कलाकारों का किया गया सम्मान महोत्सव के अंतिम दिवस भोजपुरी कलाकार अक्षरा और इंडियन रोलर म्यूजिक बैंड देंगे प्रस्तुति
बलरामपुर,15 जनवरी 2025 (घटती-घटना)। छाीसगढ़ का उारी क्षेत्र में स्थित बलरामपुर-रामानुजगंज जिला अपनी समृद्ध संस्कृति और परम्परा के लिए जाना जाता है जो कि स्थानीय विरासत और परंपराओं को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण योगदान रखता है, यह न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष तातापानी महोत्सव का आयोजन किया जाता है। तीन दिवसीय तातापानी महोत्सव के प्रथम दिवस की सांस्कृतिक संध्या में स्थानीय कलाकारों एवं प्रदेश ख्याति प्राप्त कलाकारों ने पारंपरिक लोकगीत की शानदार प्रस्तुति दी। छाीसगढ़ी गायिका गरिमा दिवाकर और स्वर्णा दिवाकर की जोड़ी ने समा बांधा। अपने सुरीली आवाज की जादू से दर्शकों का मनमोहते हुए और अपनी टीम के साथ छाीसगढ़ी लोकगीतों की प्रस्तुति दी। हरेली गीत हो या राउत नाचा के साथ दोहा ने श्रोताओं का मन मोह लिया। इसी प्रकार छाीसगढ़ी त्योहारों पर होने वाले पारम्परिक गीतों को मधुर आवाज और अपने अंदाज में पेश कर श्रोताओं के दिल में अपनी जगह बनायी।ऐतिहासिक संक्रांति परब में लोक गीत प्रस्तुति ने अतिथियों का मन मोहा। इसके साथ ही जिले के विभिन्न स्थानों से आये स्थानीय कलाकारों ने अपने नृत्य के माध्यम से छाीसगढ़ की कला व संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। इस दौरान उपस्थित दर्शकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठाया।
प्रशासन ने किया
कलाकारों का सम्मान
तातापानी महोत्सव में अपने प्रदर्शन और कला से लोगों का मन मोह लेने वाले विभिन्न स्थानों से आये कलाकारों का पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल एवं जिला पंचायत सीईओ श्रीमती रेना जमील ने स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया।
आगामी दिवस में होंगे ये कार्यक्रम आयोजित
तातापानी महोत्सव के अंतिम दिवस 16 जनवरी को भोजपुरी कलाकार अक्षरा सिंह के द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। इसके साथ ही भिलाई की इंडियन रोलर म्यूजिक बैंड भी कला की छटा बिखेरेंगे
तातापानी महोत्सव में शासकीय योजनाओं के स्टाल देखने उमड़ रही है लोगों की भीड़
तातापानी महोत्सव में जिले के विभिन्न विभागों द्वारा स्टालों के माध्यम से विभागीय योजनाओं की उपलçधयों की प्रदर्शनी लगाई गई है। आदिवासी विकास विभाग द्वारा प्रदर्शनी में आदिवासी के पूजा एवं श्रद्धा स्थल देवगुड़ी का प्रदर्शन करते हुए आदिवासियों के सांस्कृतिक, धार्मिक रूप से संजोए हुए पारंपरिक वाद्य यंत्रों, बांस से बनी कलाकृतियां की झलकियां दिखाई गई है। ट्राइबल फूड स्टॉल के माध्यम से आदिवासी बाहुल्य जिलों की परंपरा, उनके रहन-सहन और स्थानीय जीवन को प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके माध्यम से आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली को दर्शाया गया है। पारंपरिक कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुम्हारों द्वारा पारंपरिक माटी-चाक के माध्यम से मिट्टी के बर्तन बनाने की कला का जीवंत प्रदर्शनी में लोगों ने खासा दिलचस्पी दिखाई। इस प्रदर्शनी में कुम्हारों की अद्वितीय कला और उनके द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार के बर्तनों एवं अन्य उपयोगी वस्तुओं को रखा गया है। रोजगार के नए अवसर एवं क्षेत्र की ओर लोगों को प्रोत्साहित करने सूत कातने की पारंपरिक विधि और चरखा का प्रदर्शन किया गया। श्रृंगार सदन स्टॉल के माध्यम से लाइव बैंगल और चुडि़यां बनाने की विधि का प्रदर्शन किया जा रहा है। कलाकार अपनी कारीगरी और अनुभव के साथ बैंगल और चुडि़यों को बनाने की प्रक्रिया को दिखा रहे है।मिलेट कैफे के माध्यम से स्थानीय मिलेट की खेती और उनसे बने स्वादिष्ट भोज्य पदार्थों को प्रदर्शित किया गया है मिलेट की खेती से कृषि क्षेत्र में विविधता के साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।