अम्बिकापुर@पण्डो विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को नहीं मिल रहा पीने का शुद्ध पानी

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ढ़ोढ़ी का गंदा पानी पीने को मजबूर,गर्मी के कारण ढ़ोढ़ी का पानी भी मिलना हुआ मुश्किल
-नगर संवाददाता-
अम्बिकापुर,23 मई 2022(घटती-घटना)।
बलरामपुर जिले के रामचंन्द्रपुर ब्लॉक के त्रिकुंडा थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत नवाडीह मुरनीयापारा में 8-10 पण्डो परिवार निवासरत हैं इनकी कुल संख्या 25 है। इन पण्डो विशेष पिछड़ी जनजाति को पीने की पानी एवं आवागमन हेतु रोड़ का बहुत बड़ी समस्या है।
इन सभी पण्डो परिवार 4 वर्षों से लगातार ढोंढ़ी का गंदा पानी पीते आ रहे हैं। और गर्मियों के दिनों में यह पानी भी सूख जाता है। इससे पहले पण्डो परिवार लगभग 3 किलोमीटर दूर से पानी पीते थे। इनके द्वारा स्वयं से 4 साल पहले इस ढोंढ़ीनुमा कुआं का निर्माण किया गया था। ढोंढ़ी का गंदा पानी पीने के कारण इनकी तबीयत हमेशा खराब होते रहता है। पानी की समस्या को लेकर अनेक बार सरपंच, सचिव और जनसमस्या निवारण शिविरों में बताया गया है पर कोई समाधान नहीं किया गया। इन समस्याओं को गंभीरता से देखते हुए छत्तीसगढ़ सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति समाज कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडो ने इसकी लिखित शिकायत आयुक्त सरगुजा संभाग और ई-मेल के माध्यम से कलक्टर बलरामपुर से किया है।
ढोंढ़ी का पानी इतना गन्दा रहता है कि पानी को कपड़े से छानकर पीना पड़ रहा है इसके बाद भी स्वच्छ जल नहीं मिल पा रहा है। इन पण्डो परिवारों के घर तक आने -जाने के लिए कोई सडक़ भी नहीं है। इनका घर ग्राम पंचायत के मुख्य रोड़ से लगभग 3 किलोमीटर दूर जंगल किनारे है। आपातकाल में बीमार पडऩे पर गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए एम्बुलेंस जैसी सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है। जिससे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
गरीब पण्डो परिवार स्वयं के खर्चे से बनवाया रोड़
पण्डो परिवार द्वारा चंदा कर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर तक अपने खर्चे से जेसीबी मशीन से कच्ची सडक़ बनवाया है। जेसीबी मशीन से 5 घंटे तक काम कराया गया और 1100 रूपये प्रति घंटा की दर से काम किया गया था। इसका भुगतान पण्डो विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों द्वारा चंदा के माध्यम से जेसीबी मशीन के संचालक को किया गया।
बरसात के दिनों में
रोड़ की समस्या
बरसात के दिनों में काफी परेशानी की समस्या से गुजरना पड़ता है। आने- जाने वाले रास्ता का ज़मीन दूसरे लोगों के होने के कारण फसल उगाने से पगडंडी रास्ता ही रहता है जिससे गाय- बैल, बकरी को लाने लेजाने में बहुत समस्या होती है।


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