- 1 करोड़ 90 लाख का आदिवासी बालक छात्रावास भवन निर्माण कैसे देखेंगे?
- तकनीकी सहायक संविदा कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रभार कैसे मिला?
- तकनीकी सहायक अपने मूल पद के साथ आदिवासी विकास विभाग का जिम्मा भी संभाले बैठे हैं,क्या यह नियम विरुद्ध नहीं?

-रवि सिंह-
कोरिया,28 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। आदिवासी विकास विभाग कोरिया में इस समय क्या चल रहा है यह किसी से छुपा नहीं है आदिवासी विकास विभाग कोरिया में कोई भी इंजीनियर उनका विभागीय नहीं है वहीं पंचायत विभाग के तकनीकी सहायक के भरोसे बड़े-बड़े निर्माण कार्य कैसे हो रहे हैं यह सवाल खड़ा हो रहा है,यहां पर प्रधानमंत्री आवास विभाग के तकनीकी सहायक रविंद्र सोनी इस समय तिहरा प्रभार में मजे काट रहे हैं जहां उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का जिम्मा दिया गया था वहां वह साथ में अतिरिक्त प्रभार लेकर आदिवासी विकास विभाग कोरिया का भी जिम्मा संभाल रहे हैं अब सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री आवास 2 लाख 25 हजार की लागत से बनता है जिसके लिए उन्हें तकनीकी सहायक पद पर पदस्थ किया गया है पर वही आदिवासी विभाग में करोड़ों के निर्माण कार्य होते हैं फिर 2 लाख 25 हजार का मूल्यांकन करने वाले लाखों करोड़ों के निर्माण कार्य का मूल्यांकन कैसे करेंगे अभी ही सोनहत क्षेत्र के कटगोड़ी में 1 करोड़ 90 लाख की लागत से बालक छात्रावास भवन बना है और इस भवन की देखरेख भी क्या अतिरिक्त प्रभार देखने वाले तकनीकी सहायक रविंद्र सोनी ही देखेंगे जहां यह 2 लाख 25 हजार की लागत वाला घर का निर्माण देखते थे अब यह 1 करोड़ 90 लाख का निर्माण कैसे देखेंगे सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या संविदा कर्मचारियों को भी अतिरिक्त प्रभार मिलता है क्योंकि इस समय वह अतिरिक्त प्रभार लेकर बैठे हैं वहीं जानकारों का मानना है कि संविदा कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रभार देने का नियम नहीं है फिर कैसे वह अतिरिक्त प्रभार के साथ दो-दो जगह काम संभाल रहे हैं और तकनीकी सहायक होकर ठेकेदारों से निर्माण के नाम पर वसूली भी कमीशन की कर रहे हैं?
क्या आदिवासी विकास विभाग के पास कोई अपना इंजीनियर नहीं है?
आदिवासी विकास विभाग के पास कोई अपना इंजीनियर नहीं है ऐसा क्यों है,एसडीओ भी विभाग के संभाग स्तर पर बैठते हैं और उनका कभी कभार ही आना हो पाता है वहीं विभाग के पास अपना इंजीनियर क्यों नहीं है यह सवाल है। जिले में कई इंजीनियर उपलध हैं जो विभाग में काम कर सकते हैं लेकिन जुगाड से एक ही व्यक्ति का पद पर बने रहना कई आशंकाओं को जन्म देता है जो गड़बड़ी वाली आशंकाएं है,वैसे बताया यह भी जाता है कि विभाग में निर्माण मरम्मत कार्य लगातार चलते रहते हैं और वहां एक पूर्णकालिक इंजीनियर अति आवश्यक है।
लंबे समय से जिले में पदस्थ जिला पंचायत सीईओ का मिला हुआ है संरक्षण:सूत्र
सूत्रों की माने तो जिले में लंबे समय से पदस्थ जिला पंचायत सीईओ का संरक्षण मिला हुआ है तकनीकी सहायक रविन्द्र सोनी को जिसके कारण रविंद्र सोनी को अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है आदिवासी विकास विभाग जिला कोरिया का,बताया तो यह जाता है कि जिला पंचायत कोरिया के सीईओ का जिले के हर विभाग में हस्तक्षेप है और वह हर जगह अपने हिसाब से अपना विश्वासपात्र रखे हुए हैं और रविन्द्र सोनी भी उनके ऐसे ही विश्वासपात्र हैं।
संविदा कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रभार देना क्या नियम के विरुद्ध नहीं?
रवींद्र सोनी एक तरफ तकनीकी सहायक प्रधानमंत्री आवास के पद का जिम्मा संविदा आधार पर सम्हाल रहे हैं वहीं उन्हें आदिवासी विकास विभाग का भी पूरे जिले का जिम्मा अतिरिक्त प्रभार स्वरूप दे दिया गया है अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या संविदा कर्मचारी को अतिरिक्त प्रभार देने का प्रावधान है,क्या संविदा कर्मचारी दो दो जगह काम कर सकता है। वैसे जानकारों का कहना है यह गलत है।
प्रधानमंत्री आवास के तकनीकी सहायक पर मेहरबानी लंबे समय से किस-किस की बरसती रही?
प्रधानमंत्री आवास के तकनीकी सहायक को दो दो प्रभार जिले में मिला हुआ है,रविन्द्र सोनी नाम के तकनीक सहायक को कब कब किसका किसका संरक्षण मिलता रहा यह भी विचारणीय है क्योंकि जिले में कई अन्य भी विभाग के और पंचायत विभाग के पास ही इंजीनियर हैं लेकिन दो दो प्रभार पर लंबे समय से एक ही इंजीनियर जमे हुए हैं। रविंद्र सोनी केवल मेहरबानी के कारण दो दो प्रभार पर बने हुए हैं ऐसा बताया जाता है।