नई दिल्ली 09 मई 2025 (ए)। नई शिक्षा नीति किसी भी राज्य पर थोपी नहीं जा सकती! सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले में यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाल और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि किसी भी राज्य को केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
भारत के कई राज्यों ने केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आपत्ति जताई है। इस सूची में पश्चिम बंगाल,तमिलनाडु और केरल जैसे भाजपा शासित राज्य शामिल हैं। यद्यपि देश के कई राज्यों ने केंद्र के निर्देशन में नई शिक्षा नीतियां लागू कर दी हैं, लेकिन बंगाल और तमिलनाडु अभी भी अपनी पुरानी स्थिति पर अड़े हुए हैं। शुरू से ही उनका रुख यह था कि शिक्षा प्रणाली भारतीय संविधान के अनुसार एक संयुक्त सूचीकरण प्रणाली है। हालाँकि,केंद्र ने नई शिक्षा नीति पर एकतरफा फैसला लिया है, जो संविधान के खिलाफ है। उन राज्यों ने अभी तक नई शिक्षा नीति शुरू नहीं की है। जीएस मणि नामक एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर पूछा कि वे केंद्र के निर्देशों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं। उनकी दलील है कि केंद्र की नई शिक्षा नीति को लागू करना राज्यों का संवैधानिक दायित्व है। उनके शब्दों में, इस नीति का विरोध तीन भाषाओं के आधार पर किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि राज्यों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन करने के लिए कहा जाए!
