एसईसीएल में श्रमिक नेता बनकर करोड़पति कर्मचारियों की असली हकीकत…राजनीतिक दलों से जुड़कर नेतागिरी करना भी दबंग बनने की लालसा
रवि सिंह-
बैकु΄ठपुर 06 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। श्रमिक नेताओं के ठाठ, नौकरी नाममात्र की, केवल तनख्वाह उठाने से मतलब। एसईसीएल में श्रमिक नेता बनकर करोड़पति कर्मचारियों की असली हक़ीक़त। मूल कर्तव्य खदान के भीतर जाना, लेकिन नेताजी रहते हैं राजनीतिक सभाओं में। राजनीतिक दलों से जुड़कर नेतागिरी करना भी दबंग बनने की लालसा। जिन श्रमिकों के हक़ के लिए बने हैं नेता उन्ही से कोई वास्ता भी नहीं। एसईसीएल में श्रमिक नेताओं के ठाठ देखते ही बनते हैं,मूल रूप से एसईसीएल कर्मचारी लेकिन साथ ही श्रमिक नेता का तमगा लगाकर एसईसीएल से हर माह तनख्वाह के रूप में बिना काम किये मोटी रकम उठाने वाले ऐसे लोगों की ही वजह से आज एसईसीएल अपनी दुर्दशा पर रोने मजबूर है।
मेहनतकश क्रमिक लगातार मेहनत से एसईसीएल को लाभ पहुंचा रहा है वहीं श्रमिक नेता बनकर कुछ लोग उन मेहनतकश श्रमिकों की मेहनत का दुगुना फायदा उठा रहें हैं जो श्रमिकों के हितों के साथ भी खिलवाड़ है और ऐसे लोग आराम से बिना काम किये तनख्वाह उठा रहे हैं और दूसरी तरफ अपनी नेतागिरी भी चमका रहें जिसमें वह श्रमिकों के वोटों के भी सौदागर बनने से नहीं चूकते। चिरिमिरी एसईसीएल में कई ऐसे श्रमिक नेता हैं जिनको केवल नेतागिरी ही करते रहना है, राजनीतिक दलों में भी इनके पदाधिकारी बनने के रास्ते इसलिए आसान बन जाते हैं क्योंकि राजनीतिक दलों को भी यह लगता है कि श्रमिक नेताओं के प्रभाव में एसईसीएल के श्रमिकों का मत होता है और वह चुनाव के दौरान मतों को राजनीतिक दलों के पक्ष में मोड़ सकने में उनकी मदद कर सकते हैं,लेकिन श्रमिक नेताओं की पकड़ कितनी है श्रमिकों के मतों को लेकर कितना उनका प्रभाव है यह सपष्ट रूप से आंका जाए तो शायद स्थिति विपरीत ही नजर आए।
कर्मचारियों को राजनीतिक दलों के पदाधिकारी बनने पर रहता है प्रतिबंध
शासकीय सेवा में कार्य करने वाले कर्मचारियों को राजनीतिक दलों में पदाधिकारी बनकर सभाओं व राजनीतिक दलों के आयोजनों में जाने पर प्रतिबंध रहता है, एसईसीएल भी केंद्र सरकार के अधीन एक शासकीय नियंत्रण में स्थापित उत्पादन इकाई है इस नाते शासकीय कर्मचारियों पर जो बाध्यताएं हैं वह यहाँ भी लागू होने चाहिए यह आरटीआई एक्टिविस्ट सत्यपूजन मिश्रा का कहना है,वह इसके लिए मय सबूत एसईसीएल के चेयरमैन सहित क्षेत्रीय महाप्रबंधक को कार्यवाही हेतु पत्र लिख चुके हैं जिसकी शिकायत प्रति भी उन्होंने सार्वजनिक कर दी है।
करोडों की संपत्ति केवल एसईसीएल की नौकरी की बदौलत कैसे संभव
आरटीआई एक्टिविस्ट सत्यपूजन मिश्रा का कहना है कि चिरिमिरी क्षेत्र के श्रमिक नेता करोड़पति बन चुके हैं उनका कारोबार भी जारी है यह सभी कुछ एसईसीएल की नौकरी वह भी ईमानदारी की नौकरी से संभव नहीं है,जबकि वहीं कई अन्य श्रमिक लगातार मेहनत करके भी केवल जीवनयापन या अंत मे एक घर भर बना पाने की ही है सियत जुटा पाते हैं जबकि उन्ही के नाम पर अपना प्रभाव जमाकर ऐसे श्रमिक नेता करोडों की संपत्ति के जल्द ही मालिक बनकर बैठ जाते है,ऐसे लोगों पर कार्यवाही की मांग करते हुए सत्यपूजन मिश्रा आरटीआई एक्टिविस्ट कहते हैं यह सभी कुछ ऐसे ही अर्जित की गई संपत्ति नहीं है इसके लिए ऐसे नेता एसईसीएल से कोयले की तस्करी भी करने से बाज नहीं आते जिसकी भी मय दस्तावेज शिकायत की जा चुकी है और कोयला तस्करी के एक मामले में गाड़ी नम्बर सहित सीबीआई जांच की मांग भी उन्होंने की है।
आखिर कौन करेगा ऐसे श्रमिक नेताओं पर कार्यवाही
आरटीआई एक्टिविस्ट सत्यपूजन मिश्रा यह भी कहते हैं ऐसे श्रमिक नेताओं पर जांच कर कार्यवाही की जानी चाहिए, इनके राजनीतिक सभाओं में जाकर शामिल होने के कई फ़ोटो उनके पास उपलब्ध हैं वहीं कई समाचार पत्रों में छपे इनके नाम जो राजनीतिक कार्यक्रमों के दौरान के छपे नाम हैं वह समाचार पत्र भी उपलब्ध हैं उनके पास, सभी शिकायतों में इन सभी विषयों को भी जोड़कर अब फिर शिकायत की जाएगी और कार्यवाही की मांग की जाएगी, उनका यह भी कहना है शिकायत करने तक तो ठीक है लेकिन ऐसे लोगों पर कार्यवाही कौन करेगा यह भी अब देखना होगा क्योंकि यह राजनीतिक प्रभाव से बचने से भी बाज आने वाले नहीं।