अपनी कलम की आवाज से,
उठा दो अपने अंदर के वीर जवानों को।
कांप रही है,यह धरती कब से,
मिटा दो देश में बसे अत्याचारियों को।
देश में भरे पड़े हैं दुष्कर्म के दलाल,
और कर रहे हैं मनमाने शासन राज।
तस्करी और जुर्म का करते हैं वे भूचाल,
कलम उठाके करो सच्चाई से एक-एक सवाल।
अपनी जुबां की एक दहाड़ से,
युवा संगठन आ रहा है देश संभालने को।
कलम की इस तेज धार से,
चीर देंगे देश के अंदर भरे पड़े गुनहगारों को।
दिन-ब-दिन बढ़ रहा है अत्याचारों का आतंक,
देश के अंदर जाल फैला के
बना रहे हैं युवाओं को घातक।
ना डरो तुम ना हारो तुम
ना निकाले आंखों से अश्क,
एकजुट होकर मिटा दो दुराचारियों को
ना रहेगा एक भी कलंक।
मिटते नहीं,कभी मिटाने से,
सच्चाई भरी कलम की आवाज को,
मिटा दो अपनी सबूत इस धरती से,
एक दिन चीर के निकल आएगा हथियार बनने को।
अपने अधिकार के पीछे ना भगाना,
कर्तव्यनिष्ठ बनके गलत कार्यों पर आवाज उठाना।
देश का मौलिक अधिकार को जन-जन में फैलाना,
एक युवा संगठन बनाकर एक साथ चलना।
नरेश कुमार दुबे
सरायपाली,महासमुंद
छत्तीसगढ़