@ कहा ऐसे मामलों में राज्य सरकार की अनुमति
बिलासपुर,20 दिसंबर 2024 (ए)। राज्य में जब कांग्रेस की सरकार थी तब राज्य शासन ने सीबीआई को छत्तीसगढ़ में बैन कर दिया था। बगैर अनुमति जांच के लिए एंट्री पर पाबंदी लगा दी गई थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही सीजीपीएससी घोटाले की सीबीआई जांच की राज्य सरकार ने सिफारिश की और पांच साल बाद सीबीआई की प्रदेश में एंट्री हो पाई। साजिश और धोखाधड़ी के एक मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि मामले की जांच करनी है तो राज्य सरकार से अनुमति की जरुरत नहीं है। पढि़ए हाई कोर्ट का वह फैसला जिसमें घटित अपराध, क्षेत्राधिकारी और शासन की अनुमति के संबंध में क्या कहा है। आपराधिक घटना,रची गई साजिश की पड़ताल के लिए सीबीआई जांच को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में अपराध की प्रकृति, स्थान और क्षेत्राधिकार को लेकर महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि छत्तीसगढ़ से बाहर आपराधिक घटना को अंजाम देने के लिए साजिशें रची गई, उसके बाद यहां आकर अपराध को अंजाम दिया गया है तो ऐसी स्थिति में सीबीआई जांच के लिए उस राज्य की सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है जहां अपराध को अंजाम दिया गया है। पूरा मामला साढ़े 24 करोड़ के फ्राड से जुड़ा हुआ है। साजिशकर्ताओं ने दो राज्यों में बैठकर फ्राड के लिए साजिशें रची। पश्चिम बंगाल के कोलकाता और दिल्ली में ब्लू प्रिंट तैयार किया और छत्तीसगढ़ में आकर इसे अमलीजामा पहनाया है। रायपुर स्थित हुडको के तत्कालीन क्षेत्रीय प्रमुख सुरेंद्र सिंघई पर आरोप लगाया गया था कि पद का दुरुपोग करते हुए उन्होंने उद्योगपति सुनील मल के साथ आपराधिक साजिशें रची। सुनील, इस्पात एंड पावर लिमिटेड कोलकाता के संचालक हैं और उनका संयंत्र ग्राम- चेराईपानी रायगढ़ में है। दोनों ने मिलकर स्वयं को लाभ पहुंचाने के लिए 24.50 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की।फ्राड के इस मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट द्वारा आरोपी को रिहा करने से इंकार करने वाले आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
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