मजदूरी करने गए पंडो जनजाति युवक की घर पहुंचने से पहले ही बस में हो गई मौत

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पण्डो युवक को ठेकेदार द्वारा मजदूरी नहीं दिए जाने से समय पर नहीं करा सका था इलाज

बलरामपुर जिले में काम नहीं मिलने पर मजदूरी करने गया था हैदराबाद,तबियत खराब होने पर साथियों के साथ लौट रहा था घर

अम्बिकापुर 20 अक्टूबर 2021 (घटती-घटना)। स्थानीय स्तर पर रोजगार न मिलने से बलरामपुर जिले के दर्जनों पंडो जनजाति काम की तलाश में चेन्नई व हैदराबाद गए हुए हैं। यहां ठेकेदार द्वारा समय पर पैसे नहीं दिए जाने से एक मजदूर समय पर अपना इलाज नहीं करा सका और भोजन के अभाव में वह कमजोर हो गया। वह निराश होकर अपने दो साथियों के साथ अपने गांव वापस लौट रहा था। रास्ते में अंबिकापुर पहुंचने से पूर्व ही बस में ही मजदूर की मौत हो गई।
गौरतलब है कि विशेष पण्डो जनजाति के उन्नयन के लिए शासन द्वारा चलाए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गरीब और अशिक्षित विशेष पंडित जनजाति रोजी रोटी के लिए दूसरे प्रदेश जाने को विवश हैं। सोहर ताव पण्डो पिता धीरसाय ताव पण्डो उम्र 32 वर्ष तिवरीपारा बिशुनपुरा ग्रामपंचायत महादेवपुर रामचंद्रपुर ब्लॉक जिला बलरामपुर-रामानुजगंज का निवासी था। 3 महीना पूर्व गांव के ही जगेश पण्डो , सुरेश पण्डो , रामजीत पण्डो, सुरेन्द्र पण्डो के साथ चेन्नई मजदूरी करने गया था। ठेकेदार द्वारा समय पर मजदूरी नहीं दिया जा रहा था। इससे निराश होकर सभी हैदराबाद काम करने चले गए। वहां काम करने के दौरान सोहर ताव पण्डो की तबियत खराब हो गई। ज्यादा तबियत खराब होने पर सोहर ताव गांव वापस जाने की बात कही। तबियत खराब होने के बादवजूद भी ठेकेदार इन मजदूरों को पूरा पैसा नहीं दिया केवल कराया देकर सोहर साय, जागेश व सुरेश को वापस भेज दिया। सभी हैदराबाद से बस से रायपुर 19 अक्टूबर की शाम को पहुंचे। रायपुर से अंबिकापुर होते हुए वाड्रफनगर बस से आ रहे थे। तभी रास्ते में सोहर साय की ज्यादा तबियत खराब हो गई और अंबिकापुर पहुंचने से पहले सोहर साय की बस में ही मौत हो गई। बस कंडक्टर द्वारा अंबिकापुर बस स्टैंड पहुंचने से पहले ही रिंग रोड में उतार दिया गया।
1 माह का वेतन चेन्नई में नहीं मिल पाया था इसके बाद हैदराबाद आकर पाइप लाइन का काम कर रहे थे। हैदराबाद में काम किया हुआ का वेतन नहीं मिला । हैदराबाद में कंपनी वाला 25-26 अक्टूबर को वेतन देने को बोला था । पाईप लाईन का काम करने के लिए 12 हजार माहिना देने के लिए बोला गया था। घर जाने के लिए कंपनी के द्वारा केवल किराया दिया गया था। मौत की स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण उसके साथी मजदूरों ने 108 एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए। यहां जांच के दौरान चिकितसकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

नहीं मिल पा रहा योजनाओं का लाभ

पंडो जनजाति के पदाधिकारियों का कहना है कि सोहर साय काफी गरीब परिवार से था। वह परिवार का अकेला कमाने वाला था। इसके दो लड़कियां है। अत्यंत गरीब होने के बावजूद भी उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभी नहीं मिल पाया है। वहीं गांव में मनरेगा व अन्य योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल पाता है। इससे परेशान होकर लोग रोजी-रोटी की जुगाड़ में मेहनत मजदूरी करने दूसरे प्रदेश जाने को विवश हैं।


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