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खड़गवां@17 वर्षों से खडग़वां की कुर्सी पर जमे एसडीओ-शासन की सर्जरी से अछूते

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-राजेन्द्र शर्मा-
खड़गवां, 28 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। ग्रामीण यांत्रिकी विभाग उप संभाग कार्यालय खड़गवां की कुर्सी से लगता है पदस्थ एस डी ओ का मोह नहीं जा रहा है, जो उप अभियंता से एसडीओ तक का सफर तय करने वाले मात्र एक ऐसे एसडीओ पिछले सत्रह से अठारह वर्षों से भी अधिक समय से एक ही स्थान पर अंगद के पांव की तरह जमे हुए है। जबकि पूर्व एवं वर्तमान राज्य शासन द्वारा समय-समय पर शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों की सर्जरी की जाती रही है।
सत्ता पक्ष के अपने आकाओं की जी हुजूरी करके अपना पोस्टिंग खड़गवां कराने में सफल रहते हैं, और इस प्रकार लगभग 17- 18 वर्षों से एक ही स्थान पर वे जमे रहकर खड़गवां ग्रामीण यांत्रिकी विभाग उप संभाग की कुर्सी को अपना स्थाई अड्डा बना रखे है। शायद शासन-प्रशासन ने भी इस ओर ज्यादा ध्यान देना मुनासिब नही समझा, जिसके कारण ये बड़े ढिठ किस्म के हो चले हैं साथ ही ग्राम पंचायतों में होने वाले अनेक निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी ग्रहण लगाते चले आ रहे है।
जैसे अजगर को उसके जगह से हटाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, ठीक उसी किस्म के एसडीओ साहब लगते है। तथा लगता है इनको खड़गवां ग्रामीण यांत्रिकी विभाग उप संभाग का हवा-पानी कुछ ज्यादा ही भा गया है, इसीलिए खड़गवां का मोह नही छोड़ पा रहे है। इसकी दूसरी वजह यह भी है कि एसडीओ साहब का यहां मन मुताबिक निर्माण कार्य का कमीशन भी धड़ल्ले से वसूल किया जाता है प्रत्येक निर्माण कार्य की फाइल में बीस से तीस हजार रुपए की वसूली का खेल जारी है खड़गवां ग्रामीण यांत्रिकी विभाग उप संभाग कार्यलय में बिना कमीशन के कोई भी निर्माण कार्य की फाइल हिलती तक नहीं है और छूना तो दूर की बात है जब तक कमीशन की राशि नहीं मिलती फाइल पड़ी धूल खाती है मनरेगा के निर्माण कार्य और अन्य योजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की सी सी जारी करने धड़ल्ले से कमीशन कि वसूली होती है जो अन्य जगह में शायद नहीं मिलती हो।
ग्रामीण यांत्रिकी विभाग उप संभाग कार्यलय में जब भी जाएंगे तो अन्य कर्मचारियों का जवाब रहता है कि साहब फिल्ड में गए हुए है कहां…गए है पता नही..! आखिर एसडीओं साहब इतना फिल्ड करते कहां-कहां है जो ज्यादातर कार्यालय में दिखते नही.. छोडि़ए वो एसडीओं साहब है? कुछ भी कर सकते है? फिलहाल वे वर्षों से एक ही स्थान में पदस्थ है। जबकि शासन के नियम अनुसार उनका स्थानांतरण कब का हो जाना था। लेकिन इनको अभयदान मिलता आ रहा है। शासन-प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है। क्योंकी एसडीओं अगर 17-18 वर्षों से एक ही जगह पर रह सकते है तो अन्य अधिकारी-कर्मचारी क्यों नहीं रह सकते ?


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