नई दिल्ली@ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर बने

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नई दिल्ली,26 जून 2024 (ए)।
ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा के स्पीकर चुने गए। बुधवार, 26 जून को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रोटेम स्पीकर भतृर्हरि महताब ने स्पीकर के चुनाव की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत एनडीए के नेताओं ने समर्थन किया। सदन में ध्वनिमत से बिरला के नाम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद पीएम मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी उन्हें चेयर तक छोड़ने आए। इससे पहले शिवसेना (यूटीबी) सांसद अरविंद सावंत ने कांग्रेस सांसद के. सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुने जाने का प्रस्ताव रखा। सदन की कार्यवाही ढाई घंटे (सुबह 11 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक) चली।


बिरला की स्पीकर बनने पर पीएम ने कहा- आपका अनुभव देश के काम आएगा। राहुल गांधी ने कहा-मुझे विश्वास है कि आप विपक्ष की आवाज दबने नहीं देंगे।
सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा-उम्मीद है कि विपक्ष की आवाज नहीं दबाई जाएगी। न ही निष्कासन जैसी कार्रवाई की जाएगी। आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता है, सत्ता पर भी रहे। आपके इशारे पर सदन चलता है, इसका उल्टा न हो।
बिरला ने पहले भाषण में आपातकाल को काला धब्बा बताया
बिरला ने पहले भाषण में आपातकाल को काला धब्बा बताया। 2 मिनट का मौन रखवाया। सत्ता पक्ष ने मौन रखा,लेकिन विपक्ष ने हंगामा किया और कहा…स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। सत्र 27 जून को राष्ट्रपति के अभिभाषण तक स्थगित कर दिया गया।


बिरला भाजपा के पहले ऐसे सांसद हैं, जो लगातार दूसरी बार स्पीकर बने। वे राजस्थान के कोटा से तीसरी बार जीत कर आए हैं। खास बात यह है कि देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ भी राजस्थान से आते हैं।


स्पीकर ओम बिरला इमरजेंसी के दौरान जान गंवाने वालों की याद में दो मिनट का मौन रखने को कहा। सत्ता पक्ष के सांसदों ने मौन रखा, लेकिन कांग्रेस और विपक्ष के सांसद हंगामा करते रहे। कांग्रेस सांसदों का आरोप था कि स्पीकर भाजपा का एजेंडा चला रहे हैं। मौन के बाद स्पीकर ने गुरुवार तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया।


मंत्रिमंडल के परिचय के दौरान जैसे ही पीएम मोदी ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम लिया, विपक्ष के सांसदों ने शेम-शेम के नारे लगाए।


स्पीकर ने कहा- गतिरोध सदन की परंपरा नहीं है। बेल में आना सदन की परंपरा नहीं है। मैं कभी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करना नहीं चाहता, लेकिन जब नियम तोड़े जाते हैं तो कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं। विरोध को संसदीय मर्यादा के तहत दर्ज कराएं।
स्पीकर ने आपातकाल की निंदा की,पक्ष-विपक्ष ने नारेबाजी कीओम बिरला ने कहा-यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने की निंदा करता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाकर अंबेडकर के संविधान का अपमान किया था। इंदिरा गांधी ने भारत पर तानाशाही थोपकर लोकतंत्र का अपमान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी छीनी गई। मीडिया पर अनेक पाबंदियां लगा दी गई थी। कई नेताओं को मीसा के तहत बंद किया। जैसे ही स्पीकर ने निंदा प्रस्ताव रखा, पक्ष और विपक्ष से नारेबाजी शुरू हो गई।


हमारी युवा पीढ़ी संविधान को जाने,संविधान को समझे। मेरी कोशिश रहेगी कि मैं सभी सदस्यों को पर्याप्त समय दूं। सभी पक्षों के विचार यहां आनी चाहिए। हम अलग-अलग विचारधारा से चुनकर आते हैं, लेकिन देश सबसे पहले हैं। जिन मुद्दों पर असहमति होगी, आप उसे व्यक्त करेंगे। आप चर्चा में सुझाव भी देंगे। पक्ष और विपक्ष मिलकर सदन चलता है। मेरी कोशिश रहेगी कि सबसे मिलकर सदन चलाऊं। किसी दल का एक सदस्य भी हो, तो उसे मौका दूं। क्योंकि वह भी चुनकर आए हैं। मेरी अपेक्षा रहेगी कि आप सब निर्वाध रूप से सदन चलाएंगे।


विपक्ष के सांसदों के भाषण के बाद एक बार फिर स्पीकर ओम बिरला ने भाषण देना शुरू किया। उन्होंने कहा… पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए की सरकार बनी है। जनता की आकांक्षाएं अपेक्षाएं बढ़ी हैं। इसलिए हमारा दायित्व है कि हम जनता की अपेक्षाएं पूरी करें। यह हमारे रचनात्मक चिंतन की लोकसभा होनी चाहिए। पक्ष-विपक्ष की मर्यादित सहमति होनी चाहिए। सार्थक चर्चा और संवाद हो। विकसित भारत के संकल्प के साथ काम हो। मैं अपने पूर्व के स्पीकर्स को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने इस सदन की मर्यादा बनाई। मैंने कोशिश की कि हर सदस्य को पर्याप्त समय मिले। 281 नए सदस्य चुनकर आए हैं, मैं उन्हें बधाई देता हूं। वे संसदीय मर्यादाओं का पालन करें और अपने सीनियर्स से अनुभवों का लाभ लेंगे।

रायबरेली लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। कांग्रेस ने मंगलवार को राहुल गांधी को 18वीं लोकसभा में नेता विपक्ष बनाए जाने का ऐलान किया था। देर रात इंडिया ब्लॉक की बैठक में राहुल को लेकर फैसला लिया गया। उसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखा और इस फैसले की जानकारी दी। विपक्ष का नेता बनने के साथ ही राहुल गांधी को अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है। इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ गया और वे विपक्षी गठबंधन के पीएम फेस के दावेदार हो गए। पांच बार के सांसद का यह पहला संवैधानिक पद है, जो राहुल गांधी ने अपने ढाई दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में संभाला है।
विपक्ष का नेता बनने के साथ ही पीएम मोदी और राहुल गांधी कुछ-कुछ मौके पर एक ही टेबल पर आमने-सामने बैठते हुए दिखेंगे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के अलावा लोकपाल, सीबीआई प्रमुख, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले महत्वपूर्ण पैनल के सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री भी ऐसे सभी पैनलों के प्रमुख होते हैं।
इन सारी नियुक्तियों में राहुल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री और सदस्य बैठेंगे। इन नियुक्तियों से जुड़े फैसलों में प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी। उनकी राय और मशविरा मायने रखेगा। राहुल सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर पाएंगे और सरकार के फैसलों पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। वे ‘लोक लेखा’ कमेटी के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है।


कैबिनेट मंत्री के बराबर रैंक
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