बैकुण्ठपुर03 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। पवनपुत्र आरती सेवा समिति के तत्वाधन में 10 दिवसीय राम कथा के आयोजन में पांचवे दिन रविवार को कथा में पुष्प वाटिका धनुष भंग का प्रसंग एवं श्री सीता राम विवाह उत्सव झांकी निकालकर कथा व्यास विक्रम दुबे महराज ने श्रद्धालु श्रोतागणों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।
दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर प्रांगण कटकोना रोड़ पटना में 10 दिवसीय राम कथा का आयोजन किया गया है। कथा का आयोजन प्रथम दिवस 29 दिसम्बर को मंगलाचरण एवं नाम महिमा श्री राम कथा से शुरूआत करते हुये 02 जनवरी पांचवे दिन पुष्प वाटिका के प्रसंग सहित धनुष भंग एवं श्री सीता राम विवाह उत्सव की झांकी निकालकर लोगो का मन मोहा। श्री राम जानकी के दर्षन पाकर श्रद्धालु श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गये। श्रोतागणों से भरा हनुमान मंदिर परिसर राम कथा के रसस्वादन से श्री राम जानकी की जय जय कार से परिसर गुंज उठ¸ा। पटना में पहली बार संगीतमय श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का आयोजन हुआ है जिसमें गावं सहित नगर के श्रद्धालु श्रोतागणों द्वारा राम नाम का भक्ति रस लेने मंदिर परिसर में लोगों का तांता लगा हुआ है। कथा व्यास महराज विक्रम दुबे द्वारा राम विवाह महोत्सव को बड़े ही आनन्द के साथ समति और श्रद्धालुओं द्वारा सीता राम विवाह उत्सव मनाया गया जिसमें लाल वस्त्र के परिधान में पूरा प्रांगण में लाल दिख रहा था। वैवाहिक झांकी में महाराज दशरथ को बारात लाने का निमंत्रण दिया। प्रभु के विवाह की तैयारी की तैयारी की बात सुनकर समस्त अयोध्यावासी खुशी से झूम उठे। चारों ओर मंगलगीतों का गान शुरू हो गया। देवताओं की मौजूदगी में जनकपुरी बारात पहुंची तो आकाश ने पुष्प की बारिश शुरू हो गई। रघुवर कोमल कमलनयन को पहनाओ जयमाला.. का गान वातावरण में चारों ओर गूंज उठा। समस्त देवी देवताओं ने इसके साक्षी बने। भवन के बाहर सांकेतिक रूप से भगवान की बारात यात्रा का मंचन किया गया। श्रद्धालुओं ने झांकी के माध्यम से लीलाओं का आनंद भरपूर आनंद लिया। अंत में व्यास विक्रम दुबे महराज द्वारा श्रोतागणों को सीख देते हुये कहा कि श्रीराम और सीता का विवाह से पूर्व का यह प्रेम अत्यंत पवित्र है। ये भाव और मन के तल पर प्रेम और स्नेह की पराकाष्ठा है। सीता और राम दोनों ही मानसिक रूप से इसे स्वीकार करते हैं। यह सात्विक दृश्य कितना प्रेरक है। वासना प्रेम नहीं है। स्वतंत्रता के नाम पर मर्यादा तोड़ना उचित नहीं है। राम ने काम को स्वीकार कर प्रेम और वासना का अंतर बताया है। यह प्रसंग उन्हें मानव के स्तर से बहुत ऊंचा उठाता है।
बैकुण्ठपुर@श्री सीता-राम विवाह उत्सव पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब,कथा के पांचवे दिन उमड़ा भींड
बैकुण्ठपुर03 जनवरी 2022 (घटती-घटना)। पवनपुत्र आरती सेवा समिति के तत्वाधन में 10 दिवसीय राम कथा के आयोजन में पांचवे दिन रविवार को कथा में पुष्प वाटिका धनुष भंग का प्रसंग एवं श्री सीता राम विवाह उत्सव झांकी निकालकर कथा व्यास विक्रम दुबे महराज ने श्रद्धालु श्रोतागणों को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।
दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर प्रांगण कटकोना रोड़ पटना में 10 दिवसीय राम कथा का आयोजन किया गया है। कथा का आयोजन प्रथम दिवस 29 दिसम्बर को मंगलाचरण एवं नाम महिमा श्री राम कथा से शुरूआत करते हुये 02 जनवरी पांचवे दिन पुष्प वाटिका के प्रसंग सहित धनुष भंग एवं श्री सीता राम विवाह उत्सव की झांकी निकालकर लोगो का मन मोहा। श्री राम जानकी के दर्षन पाकर श्रद्धालु श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गये। श्रोतागणों से भरा हनुमान मंदिर परिसर राम कथा के रसस्वादन से श्री राम जानकी की जय जय कार से परिसर गुंज उठ¸ा। पटना में पहली बार संगीतमय श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का आयोजन हुआ है जिसमें गावं सहित नगर के श्रद्धालु श्रोतागणों द्वारा राम नाम का भक्ति रस लेने मंदिर परिसर में लोगों का तांता लगा हुआ है। कथा व्यास महराज विक्रम दुबे द्वारा राम विवाह महोत्सव को बड़े ही आनन्द के साथ समति और श्रद्धालुओं द्वारा सीता राम विवाह उत्सव मनाया गया जिसमें लाल वस्त्र के परिधान में पूरा प्रांगण में लाल दिख रहा था। वैवाहिक झांकी में महाराज दशरथ को बारात लाने का निमंत्रण दिया। प्रभु के विवाह की तैयारी की तैयारी की बात सुनकर समस्त अयोध्यावासी खुशी से झूम उठे। चारों ओर मंगलगीतों का गान शुरू हो गया। देवताओं की मौजूदगी में जनकपुरी बारात पहुंची तो आकाश ने पुष्प की बारिश शुरू हो गई। रघुवर कोमल कमलनयन को पहनाओ जयमाला.. का गान वातावरण में चारों ओर गूंज उठा। समस्त देवी देवताओं ने इसके साक्षी बने। भवन के बाहर सांकेतिक रूप से भगवान की बारात यात्रा का मंचन किया गया। श्रद्धालुओं ने झांकी के माध्यम से लीलाओं का आनंद भरपूर आनंद लिया। अंत में व्यास विक्रम दुबे महराज द्वारा श्रोतागणों को सीख देते हुये कहा कि श्रीराम और सीता का विवाह से पूर्व का यह प्रेम अत्यंत पवित्र है। ये भाव और मन के तल पर प्रेम और स्नेह की पराकाष्ठा है। सीता और राम दोनों ही मानसिक रूप से इसे स्वीकार करते हैं। यह सात्विक दृश्य कितना प्रेरक है। वासना प्रेम नहीं है। स्वतंत्रता के नाम पर मर्यादा तोड़ना उचित नहीं है। राम ने काम को स्वीकार कर प्रेम और वासना का अंतर बताया है। यह प्रसंग उन्हें मानव के स्तर से बहुत ऊंचा उठाता है।