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बैकुण्ठपुर@अंग्रेज जमाने के जेल में बढ़ी बंदियों की संख्या,जेल पड़ा छोटा

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150 क्षमता वाले जेल में लगभग 200 की संख्या पार…जेल में सबसे अधिक एनडीपीएस के आरोपी…जेल परिसर बंदियों के लिए पड़ रहा छोटा

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 18 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। अंग्रेजी हुकुमत के साथ राजाओं के शासन काल में जिला कोरिया बैकुण्ठपुर सन् 1917 में प्रारंभ की गयी थी। जिस समय इसकी क्षमता केवल 150 की रही पर अविभाजित मध्यप्रदेश से अलग हुये छत्तीसगढ़ राज्य का गठ¸न के 20 साल बीत जाने व कोरिया जिले का गठन हुये भी सालों हो गये। कितने सरकारे आयी और गयी, विकास के नाम पर खूब ढिंढोरे भी पीटे पर बैकुण्ठपुर जेल की स्थिति जस की तस रही। 1971 में इसकी क्षमता 150 मानी थी पर वर्तमान दौर में इस संख्या से ज्यादा विचाराधीन बंदी के साथ तीन साल के सजाफ्ता कैदी मौजुद है। 150 क्षमता वाले जेल में लगभग 200 बंदी व कैदी मौजूद होने के साथ जेल के बाहर कैदीयों से मिलने आने वाले परिजनों के लिये न तो बैठने के कोई इंतजाम है और न ही उनकी सुविधाओं की किसी को परवाह। जेल में इस समय सबसे अधिक एनडीपीएस के आरोपी मौजुद है या यूं कहें कि पुलिस की एनडीपीएस कार्यवाही से जेल बंदियों के लिए जगह पड़ रही छोटी। अंग्रेजों के जमाने में बना जेल बढ़ते अपराध की वजह से छोटा तो पड़ ही रहा है साथ ही कैदीयों के सुविधाओं के साथ जेल के विस्तार पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत महसूस की जा रही है।
सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में लगभग 200 की संख्या में बंदी निरुद्ध हैं इनमे विचाराधीन और तीन साल के सजायाफ्ता 5 लोग माजुद है। एनडीपीएस के लगभग 77, हत्या के लगभग 30, चोरी के 20, अन्य में 50 विचाराधीन मौजुद है। जिसमें महिला सेल में 12 महिलाए शामिल है जो 302 के अपराध पर विचाराधीन है। क्षमता से अधिक विचाराधीन बंदियों व सजायाफ्ता कैदियों की वजह से जेल में बंदियों व कैदियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। हांलाकि जेल भले ही 150 कैदीयों की हो पर परिसर बड़ा होने से संख्या से अधिक रहने पर कोई परेषानी नहीं होती। जेल में कुल तीन ही बैरक हैं जिनमे बंदियों व कैदियों को रखा जाता है वहीं जेल में सबसे बड़ी दिक्कत तब खड़ी होती है जब क्षमता से अधिक बंदी व कैदी निरुद्ध रहते हैं और उन्हें टहलने, नहाने धोने, नित्य क्रियाओं के संपादन सहित भोजन के दौरान जगह की कमी पड़ती है।

एनडीपीएस एक्ट के तहत जारी कार्यवाही से भी बढ़ी है बंदियों की संख्या

वर्तमान में चौंकाने वाले आंकड़ो पर नजर डाले तो 5 साल पहले लगभग 100 तो 2 से 3 साल से 150 की संख्या रहती रही। पुलिस कप्तान के निजात के तहत कार्यवाही से एनडीपीएस के तहत अपराधियों की संख्या में ईजाफा हुआ है और वर्तमान में क्षमता से अधिक की संख्या में बंदी मौजुद है। वहीं पहले और वर्तमान समय में जिले के जनसंख्या भी बढ़ी जहां अपराध भी बढ़े पर नहीं बढ़ी तो जेल परिसर में बैरक। समय के साथ अपराध में बढ़ोत्तरी होती रहेगी जिस पर सरकार व विभाग को जेल में सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।

बढ़ते अपराधों के बीच जेल की कैदियों बंदियों के रहने की क्षमता बढ़ाने की जरूरत

बढ़ते अपराधों के बीच अब जिला जेल बैकुंठपुर की कैदियों बन्दियों को रखने की क्षमता को बढ़ाये जाने की जरूरत है, जेल में कुल तीन बैरक हैं और अब और बैरकों की आवश्यक्ता है जिससे बन्दियों कैदियों को दिक्कत ना हो।

संक्रमण का भी रहता है खतरा

जेल की क्षमता कम होने व क्षमता से अधिक कैदियों व बन्दियों के साथ जेल का संचालन किये जाने से संक्रमण का भी खतरा कैदियों बन्दियों के बीच बढ़ जाता है वह भी तब जब कोरोना जैसे बीमारी का प्रकोप जारी हो और जो संक्रामक हो।

जेल को विस्तारित करने व नए भवन उपलब्ध कराने की है जरूरत

जिला जेल को विस्तारित करते हुए नए भवन उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है जिससे जेल में बंदियों व कैदियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, जिला जेल का दर्जा प्राप्त जेल में अब नए भवनों के स्वीकृति की नितांत आवश्यक्ता है।

सेंट्रल जेल का दर्जा देना होगा उचित

जिला जेल बैकुंठपुर को सेंट्रल जेल का दर्जा दिया जाना अब उचित होगा क्योंकि यहाँ बंदियों के हिसाब से तो जेल में सुविधाओं की लगभग आपूर्ति की जा रही है लेकिन कैदियों के लिए किसी रोजगार संसाधनों का यहां जुगाड़ या व्यवस्था नहीं है जबकि कैदियों के लिए रोजगार की व्यवस्था होनी अनिवार्य है,जिससे वह सजा के साथ साथ जेल में रहकर ही रोजगार के माध्यम से आय भी अर्जित कर सकें।

27 एकड़ से ज्यादा रकबे में स्थापित है जिला जेल परिसर

बैकुंठपुर जिला जेल परिसर लगभग 27 एकड़ से ज्यादा भूमि रकबे पर स्थापित है, जिला जेल के पास भूमि की उपलब्धता पर्याप्त है जिसके कारण इसके विस्तार में भूमि उपलब्धता की समस्या नहीं आने वाली, जिला जेल के नाम भुअभिलेखों में 27 एकड़ से ज्यादा भूमि दर्ज है।

रिहायसी इलाके में जेल होने से जेल की सुरक्षा को भी है खतरा

जिला जले बैकुंठपुर शहर के रिहायसी क्षेत्र में स्थापित है, पूर्व व वर्तमान स्थिति अनुसार वर्तमान में जिला जेल के समक्ष बड़ी बड़ी इमारतें बनती जा रहीं हैं जो जेल की दीवारों से भी ऊंची ऊंची हैं और जिनमे से जेल के भीतर का पूरा दृश्य भी नजर आ सकता है, ऐसे में जेल की सुरक्षा व जेल के भीतर रह रहे कैदियों बन्दियों की सुरक्षा को लेकर भी किसी खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता।


ने बताया कि भाजपा की लगातार तीन पंचवर्षीय सरकार रहने के बाद भी जेल की स्थिति मे कोई बदलाव नहीं हुआ। पर कांग्रेस सरकार आते ही बैकुण्ठपुर जेल में महिला बैरक के साथ जेल मे सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। जेल में मुलाकात से लेकर फ्रिजन कांलिग सुविधा, विडीयो कान्फ्रेंस से कोर्ट की सुनवाई, कैदियों के लिये साफ कपड़े, पुस्तकालय, मनोरंजन के लिये कैरम, शतरंज के साथ कैदियों के लिये अलग से शिक्षक, बुर्जुग कैदियों के लिये चिकित्सक, खाने के लिये सप्ताह में पांच प्रकार के दालें, मौसम अनुसार सब्जी, दो वक्त चाय के साथ कई सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की गयी है। हां यह जरूर है कि कैदियों से मिलने आने वाले परिजनों के लिये जेल परिसर में बैठने के लिये सीट तथा शेड की आवष्यकता है इसके लिय मैंने सम्बन्धित जिम्मेदारों को पत्र के माध्यम से सूचित किया हूं और जेल अधीक्षक द्वारा भी अपने विभाग को अवगत कराया गया है। जेल के परिसर बढ़ना इतना आसान नहीं क्योंकि जेल बहुत पुराना है और जेल के पास भूमि भी नहीं, डबल स्टोरी किया नहीं जा सकता क्योंकि नींव उतनी मजबूत नहीं।

कमलकांत साहू जिला जेल संदर्षक

बाकी समय के मुकाबले इस समय जेल में बंदियों की संख्या अधिक है, पहले 100 के अंदर ही बंदियों की संख्या रहती थी जिस में जमानत मिलने पर चले जाते थे और कुछ को सजा मिलने पर अंबिकापुर भेजा जाता था। बंदियों के लिए व्यवस्था अंदर ठीक-ठाक रखी गई है उन्हें कोई परेशानी नहीं है।

विक्रम गुप्ता जेल अधीक्षक बैकुंठपुर


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