- पटना का मंडल अध्यक्ष पटना से नहीं…अब ग्रामीण से ही चलेगा
- जिलाध्यक्ष व मंडल अध्यक्ष की रिश्तेदारी ने आयोग को बनाया पटना का मंडल अध्यक्ष?
- मुंह बाए रह गए पटना के वरिष्ठ भाजपाई अपने कर्मठ कार्यकर्ता को नहीं बना पाए मंडल अध्यक्ष
-जिला प्रतिनिधि-
कोरिया/पटना ,23 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। पटना मंडल अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी पटना के वरिष्ठ भाजपाइयों के कंधे पर थी पर चली जिलाध्यक्ष व उनके रिश्तेदार मंडल अध्यक्ष की,आरएसएस फैक्टर लाकर मंडल अध्यक्ष आयोग बनाने में सफल रहे, और अपने उपलब्धि की गिनाने में लग रहे, वहीं पटना के वरिष्ठ भाजपाई मुंह बाए बैठे रहे, बैकुंठपुर के लोग आए और मंडल अध्यक्ष पटना पर थोप कर चले गए, पटना शहर का मंडल अध्यक्ष कई सालों से नहीं बना है ग्रामीण क्षेत्र से ही भाजपा का पटना मंडल अध्यक्ष बनता आ रहा है। पटना मंडल अध्यक्ष आरएसएस की उपज बात कर पटना को फिर छल दिया गया, जो भाजपा के देवतुल्य कार्यकर्ता थे वह असुर साबित हो गए, पटना 84 के जवाहरलाल गुप्ता, रविशंकर शर्मा,लक्ष्मण राजवाड़े,राजेश सोनी, शंकर सोनी, सत्यम साहू, यह नेता आते हैं और इन नेताओं के पसंद से मंडल अध्यक्ष होना था, पर यह नेता मुंह बाए रह गए और जिलाध्यक्ष व तत्कालीन मंडल अध्यक्ष ने अपना आयोग मंडल अध्यक्ष घोषित कराकर चलते बने, वही पटना से जिससे मंडल अध्यक्ष बना था और वह काफी योग्य भी था पर उसकी योग्यता व पार्टी के प्रति उसकी निष्ठा भी काम नहीं आई। मंडल अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर सिर्फ एक ही बात की चर्चा है कि मंडल अध्यक्ष नहीं रबर स्टैंप बनाया गया है, जबकि मंडल अध्यक्ष कर्मठ कार्यकर्ताओं को बनाना था क्योंकि आगे नगरी निकाय चुनाव है और नगरी निकाय चुनाव में मंडल अध्यक्ष की भूमिका काफी अहम होती है, अब ऐसे में देखना यह होगा कि पटना में पहली बार नगरी निकाय चुनाव का हिस्सा बना है और नगर पंचायत चुनाव होना है ऐसे में पटना से ही मंडल अध्यक्ष का ना बनाना क्या बीजेपी को नगरी निकाय चुनाव में नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा?
साहू समाज का एक नेता स्वयं कोरिया भाजपा जिलाध्यक्ष बनने के चक्कर में साहू समाज को मंडल अध्यक्ष से दरकिनार करवा दिया…
सूत्रो की माने तो साहू समाज से पूरे कोरिया जिले में कई अनुभवी व्यक्ति है जो मंडल अध्यक्ष बनने के दावेदार थे, पर एक साहू समाज का व्यक्ति जो अपने आप को भाजपा का जिलाध्यक्ष बनना चाहता है, वह सभी मंडल से साहू समाज के व्यक्तियों को मंडल अध्यक्ष बनने में अडंगा लगा दिया,ताकि वह साहू समाज से सीधे जिलाध्यक्ष बन सके,क्योंकि यदि साहू समाज को कहीं जगह नहीं मिलेगा तो साहू समाज विरोध करेगा जिस चक्कर में वह साहू समाज से भाजपा कोरिया जिलाध्यक्ष बन जाएगा,पर उसका यह चला उसी के समाज के लोग समझ चुके हैं और उसके समाज के लोग ही उसका विरोध कर रहे हैं बैठक में भी उसके इस कृत को लेकर समाज के लोगों में ही खूब नाराजगी देखने को मिली।
जिन्हें नाम तय करने की जिम्मेदारी थी वह नहीं निभा पाए अपनी जिम्मेदारी
पटना में काफी कद्दावर भाजपा के नेता है जो कभी बीजेपी के जिलाध्यक्ष रहे तो कोई बीजेपी के जिलाध्यक्ष के दौड़ में रहा, कुछ ऐसे भी नेता है जो वर्तमान में भी जिलाध्यक्ष के दौड़ में है साथी युवा मोर्चा के भी जिलाध्यक्ष के दौड़ में रहे, इसके बावजूद वर्तमान पटना से मंडल अध्यक्ष बना पाने में नाकाम रहे, उनके पास नाम भेजने की जिम्मेदारी थी पर इसके बावजूद वह अपने पटना से एक मंडल अध्यक्ष नहीं बना सके नाम जुड़वाने व नाम तय करने में सिर्फ जिलाध्यक्ष व तत्कालीन मंडल अध्यक्ष की ही चली।
मंडल अध्यक्ष पटना नेताओं के सहमति से बना था पर सहमति सिर्फ औपचारिकता रह गई?
सिर्फ यह दावा किय जा रहा है की मंडल अध्यक्ष क्षेत्र के स्थानीय नेताओं की सहमति से बना पर यह सहमती सिर्फ औपचारिकता ही मानी जाएगी, क्योंकि जिसे वह बनना चाह रहे थे वह मंडल अध्यक्ष नहीं बन सका, जिस दिन मंडल अध्यक्ष का नाम की घोषणा होनी थी उसे दिन बड़े-बड़े नेता सिर्फ जिलाध्यक्ष का भाषण सुनकर मुंह बाए रह गए और जल्दी से बैठक से बाहर निकाल कर चलते बने।
पटना को कब मिलेगा मंडल अध्यक्ष?
भले ही भाजपा मंडल पटना के नाम से जाना जाता है पर काफी लंबे समय से खास पटना से मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया है, इस बार मांग थी कि नगर पंचायत चुनाव होना है इसलिए पटना से ही मंडल अध्यक्ष बनाया जाए, पर इस बार भी वर्तमान जिलाध्यक्ष के दादागिरी देखने को मिली, जिसका परिणाम था कि पटना को फिर इस बार मंडल अध्यक्ष से अछूता रहना पड़ा,संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम नहीं किया गया, सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ऐसे लोगों को मंडल अध्यक्ष बनाया गया, जो उनका अनुशंसा कर उन्हें निगम मंडल में जगह दिला सके जिस वजह से कमजोर लोग ही मंडल अध्यक्ष बन गए और वह कैसे अपने मंडल को मजबूत करेंगे यह भी आगामी समय में देखने को मिलेगा।
जिलाध्यक्ष वर्तमान व तत्कालीन मंडल अध्यक्ष के रिश्तेदारी ने आयोग मंडल अध्यक्ष पटना पर थोपा?
जिलाध्यक्ष व उनके रिश्तेदार मंडल अध्यक्ष दोनों मिलकर अपनी मनमानी फिर एक बार मंडल अध्यक्ष बनने में चला ली, जिसका नतीजा यह रहा कि पटना से भी ऐसे मंडल अध्यक्ष को चयन किया गया जो काफी सीधा है और पार्टी को संगठित करने में वह मंडल क्षेत्र में होने वाले चुनाव को लेकर उतनी सक्रियता नहीं दिखा पाएगा,अब कम सक्रिय वाले व्यक्ति के ऊपर ज्यादा जिम्मेदारी डालकर क्या पार्टी को गर्त में डालने का प्रयास किया गया है? और पार्टी को नीचे से ही कमजोर करने का प्रयास मनाना गलत नहीं होगा। जिस व्यक्ति का नाम मंडल अध्यक्ष में था वह व्यक्ति महामंत्री से लेकर काफी समय से भाजपा के लिए कर्मठ कार्यकर्ता है और साथ ही उसे पार्टी के सारे गतिविधियों की जानकारी है और पटना के नगर पंचायत चुनाव में भी उसका अनुभव काम आता पर उसे व्यक्ति को दरकिनार करके व अपमानित करके अपने हित के लिए रबर स्टैंप वाला मंडल अध्यक्ष बना लिया गया?