अड़बड़ हावय घाम जी,चट ले जरथे चाम।
आगी उगलत हे सुरुज,का करिहव गा काम।।
का करिहव गा काम,देंह हा जी अगियाथे।
तात-तात हे झाँझ,भोंभरा घलो जनाथे।।
आन-तान झन खाव,पेट हो जाथे गड़बड़।
रखव गोंदली संग,घाम हावय जी अड़बड़।।
अइसन गरमी आय हे,देख चाम जर जाय।
चटचट तीपय घाम मा,देंह घलो करियाय।।
देंह घलो करियाय,धरे अब्बड़ गा झोला।
ककड़ी खीरा खाव,जुड़ालव संगी चोला।।
घाम हवय गा पोठ, बरत आगी के जइसन।
छुटय पछीना रोज,आय जब गरमी अइसन।।
