@बाल कहानी@ क्रोध का परिणाम

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कुणाल के माता-पिता मध्यम वर्गीय परिवार से थे। कुणाल उनकी इकलौती संतान थी। जिसके कारण वे उसे बहुत लाड प्यार करते थे। उसे किसी भी चीज की कमी ना हो इस बात का पूरा ख्याल रखते थे; उसके कुछ मॉंगने के पहले ही उसकी हर जरूरत को पूरा कर देते थे। माता-पिता के इसी परवरिश ने कुणाल को जिद्दी बना दिया था। बचपन में उसके शौक आसानी से पूरे हो जाते, लेकिन अब कुणाल बड़ा हो रहा था और वह महॅंगी चीजों की çज़द करने लगता। कभी महॅंगी साइकिल लेने को कहता, तो कभी वीडियो गेम; कभी घर वालों के साथ घूमने जाता तो महॅंगी चॉकलेट खरीदने को कहता। अब उसके माता-पिता उसकी ज़रूरत को पूरा करने के लिए असमर्थता जताने लगे, जिससे कुणाल चिड़चिड़ा होने लगा। कुणाल अब आठवीं कक्षा में था।
एक दिन उसने अपनी कक्षा के एक साथी रोहन को स्मार्ट वॉच पहने हुए देखा। पहले उसने रोहन से उस वॉच की खासियत पूछी। उसके बाद वह उसे पहन कर देखने की çज़द करने लगा। रोहन ने मना कर दिया; जिससे कुणाल आग बबूला हो उठा। वह रोहन से
झगड़ने लगा और उसने पास पड़े पत्थर को उठाकर रोहन की वॉच पर दे मारा। रोहन की कीमती घड़ी टूट गई; यह सब वहॉं पर खड़े पीटी टीचर ने देखा तो कुणाल को लेकर प्रिंसिपल के पास गए। प्रिंसिपल ने कुणाल को एक हफ्ते के लिए स्कूल से बाहर कर दिया।
कुणाल का गुस्सा अभी भी सातवें आसमान पर था; उसने घर जाकर पापा से वैसे ही वॉच दिलाने को कहा जिस पर पापा ने उसे मना कर दिया। मना करते ही कुणाल ने गुस्से में पास रखे हुए पापा के अत्यंत महत्वपूर्ण फ़ाइल को भी फाड़ दिया, जिसमें उनके काम के कई प्रोजेक्ट लिखे हुए थे। अब तो पापा ने उसे खूब डॉंटा और अगले दिन उसके स्कूल से उसकी टीसी निकलवा कर बोर्डिंग स्कूल में भर्ती करवा दिया। वहॉं कुणाल अकेला रहने लगा; उसे अपना सारा काम स्वयं करना पड़ता था और कोई उसे अपना दोस्त भी नहीं बनाना चाहता था। अब धीरे-धीरे कुणाल को अपनी की हुई गलतियों पर पछतावा हो रहा था लेकिन अब देर हो चुकी थी।
इसीलिए श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है-
क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
अर्थात् क्रोध से सम्मोह होता है,सम्मोह से स्मृति का विभ्रम होता है। स्मृति के भ्रम से बुद्धि का नाश होता है, और बुद्धि के नाश से व्यक्ति का सर्वनाश हो जाता है।
प्रिया देवांगन प्रियू
राजिम गरियाबंद छत्तीसगढ़


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