चंदा की शीतल किरणों से
विनम्र बनना सीख।
सूरज की तेज तरार चुभन से
हिम्मत रखना सीख।
मेहनती मधुमक्खी गुंजन से
मधु बांटना सीख।
पौधारोपण के संरक्षण से
पर्यावरण स्वच्छ बनाना सीख।
स्वार्थ भरी विकास दौड़ में
सजा भोगना सीख।
बादल की रिमझिम बूंदों से
प्यास बुझाना सीख।
पर्वत के ऊंचे शिखरों से
अचल रहना सीख।
मंद मंद चलती पनव से
सांसें गिनना सीख।
असीम अनंत नील गगन से
विस्तार बढ़ाना सीख।
शांत विशाल उथले सागर से
गंभीरता धारण सीख।
तबला किटार वाद्य यंत्र से
सुर ताल बजाना सीख।
माला के मनका मोती से
एक जुट रहना सीख।
नाम कमाने की हसरत से
मेहनत की खाना सीख।
सेवा का फल मीठा सबसे
श्रवण कहाना सीख।
शबरी के झूठे बेरों से
श्रद्धा- प्रेम भावना सीख।
अनिल कौशिक
क्योड़क कैथल,
हरियाणा
