

ईरान से लापता खेमनेइ,मारा गया कमांडर इन चीफ अल शदनामी
इजरायल ईरान युद्ध के महत्वपूर्ण समय में फ्रांस में जी-7 समिट आहूत किया गया है, इसी दौरान जी-7 सम्मेलन के बीच से लौटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अब सीजफायर नहीं अब अंतिम फायर ही होगा। उन्होंने अपने बयान में कहा कि इजरायल-ईरान संघर्ष का असली समाधान चाहते हैं।
ईरान आतंकवाद का स्रोत?
इंटरनेशनल न्यूज़ एजेंसी सीएनएन के अनुसार कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले दुनिया की साथ बड़ी आर्थिक ताकतों ने पश्चिम एशिया में जारी युद्ध को लेकर साझा बयान जारी किया है इन सब नेताओं ने पश्चिम एशिया में शांति की स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने कहा कि ईरान आतंकवाद का बड़ा स्रोत भी है। ईरान लगातार इसराइल तथा अन्य देशों के विरुद्ध आतंकवाद का छद्म युद्ध लड़ रहा है, ईरान ने नेपथ्य में रहकर औरहिजबुल,हूती विद्रोहियों और हमास को लगातार फंडिंग तथा अस्त्र-शास्त्र उपलब्ध कराता रहा है जिसके कारण इजरायल में लगातार हमले हुए। जी-7 समिट में 7 देशों ने संयुक्त बयान में कहा है कि इसराइल को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है सभी सात देशों ने इसराइल को अपना पूर्ण समर्थन प्रस्तावित किया है इसके साथ ही उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता पश्चिम एशिया शांति स्थिरता के लिए एक स्वर में जताई है। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा की ईरान के लोगों को तेहरान खाली कर देना चाहिए। किन्हीं भी परिस्थितियों में ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए ईरान को अंतिम चेतावनी दी जाती है कि वह समझौता कर लें अन्यथा स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। ईरान को समझौता करने में शर्म कैसी युद्ध से लोगों की जानें जा रही है,यदि समझौता नहीं करता है तो ईरान को पूरी तरह नष्ट कर दिया जाएगा। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप जी-7 सम्मति से कनाडा से अचानक लौटे हैं तो वह युद्ध की तैयारी एवं इसराइल को पूर्ण समर्थन देने के लिए ही अमेरिका लौट कर आए हैं। ईरान ने जी-7 में इसकी अनदेखी का आरोप लगाया। ईरान ने जी-7 देश पर अपने देश की अनदेखी का आरोप लगाया ईरान के विदेश मंत्रालय के अनुसार जी-7 नेताओं के बयान में ईरान के खिलाफ इजरायल की आक्रामक नीति का समर्थन कर ईरान देश की अनदेखी की गई है। ईरान के विदेशी प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि हमारे शांतिपूर्ण परमाणु बुनियादी ढांचे पर गैर कानूनी हमले के साथ-साथ आवासीय क्षेत्र तथा नागरिकों की जगन्य हत्या को पूर्णता नजर अंदाज कर दिया गया है। यह ईरान के साथ ना इंसाफी है। ईरान ने आगे कहा है कि हमने पर परमाणु हथियार बनाने की बात से इनकार किया है। उनके अनुसार परमाणु अप्रसार संधि के एक पक्ष के रूप में उन्होंने परमाणु संवर्धन किया है। उन्हें भी अन्य देशों की तरह बम बनाने का पूर्ण अधिकार है। लेकिन इजरायल अमेरिका का मानना है कि संपूर्ण पश्चिम एशिया का ईरान एकमात्र ऐसा देश है जिसके पास परमाणु हथियार मौजूद है ईरान ने पहले से परमाणु बम बना कर रखा है और पश्चिम एशिया में इजरायल अमेरिका के खिलाफ परमाणु बम का उपयोग कर भारी शांति और मानवता के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है। उल्लेखनीय है कि फ्रांस में आयोजित जी-7 समिट में फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रो ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया है भारत एक शांति दूत की तरह कार्य करता है। भारत के पास परमाणु बम होने के बावजूद उसने कभी परमाणु बम उपयोग की धमकी या बात नहीं कही है। भारत के संबंध इसराइल और ईरान के के साथ लगभग बराबरी के हैं। ऐसे में भारत ईरान अथवा इजरायल के साथ समर्थन अथवा विरोध का दावा नहीं करता है।
युद्ध से सीमित हो सकती है भारत की डाटा ट्रैफिक क्षमता।
यह आशंका पश्चिम एशिया स्थित इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां एवं विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म की एजेंसी ने जताई है और कहा है कि युद्ध की स्थिति में यदि समुद्री इलाके में नेविगेशन और मेंटेनेंस गतिविधियां बाधित होती हैं या केबल क्षतिग्रस्त होते हैं तो भारत की डाटा ट्रैफिक क्षमता सीमित हो सकती है इनका असर विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय कॉल वीडियो स्ट्रीमिंग, क्लाउड सर्विसेज और ऑनलाइन लेनदेन पर पड़ सकता है।
इसराइल ने कहा है की ईरान से बिना किसी शर्त के समझौते पर बातचीत हो सकती है किन्तु इजरायल नें ईरान से समझौते पर तीन शर्ते रखी हैं ईरान अपने परमाणु ईंधन को उपयोग बंद करे, टारगेटेड प्लास्टिक मिसाइल का निर्माण बंद करें और आतंकवादियों को समर्थन देना, फंडिंग करना बंद करें। गौरतलब है कि 86 वर्ष के ईरानीं सर्वमान्य नेता अयातुल्ला अली खेमनइ पिछले 36 साल से ईरान में शासन संपूर्ण शक्ति तथा ऊर्जा के साथ चला रहे है और विगत 36 वर्षों से भी ईरान से सुरक्षागत कारणों से बाहर नहीं निकले हैं। यह ईरान में आम चर्चा है कि ईरान के सर्वे-सर्वा नेता आयतुल्लाह ईरान से अपनी सुरक्षा के कारण किसी दूसरे देश में पनाह ले चुके हैं। उनकी खुफिया सेना,थल सेना तथा वायु से और उनके निजी सुरक्षा गार्ड मारे जा चुके हैं जितने परमाणु वैज्ञानिक थे उनको इसराइल ने अपना निशाना बना दिया है। ईरानी प्रमुख को इसराइल ने असहाय बनाकर असमर्थ बना दिया है। ईरान में तख्ता पलट की काफी अफवाहें फैल चुकी है। और अमेरिका ने दावा किया है कि उनका भी हाल कर्नल गद्दाफ़ी और सद्दाम हुसैन जैसा कर दिया जाएगा। इजराइल में ईरानी राजधानी तेहरान में सभी मीडिया सेंटर एयरपोर्ट तथा आर्मी मुख्यालय पर ताबड़तोड़ हमले कर सबको तबाह कर दिया गया है। उधर ईरान ने दावा किया है की इसराइल के तेल अबीब के गैस तथा तेल भंडारों पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दिया है।
कुल मिलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस यूक्रेन युद्ध, इसराइल फिलिस्तीन ईरान युद्ध से वैश्विक अशांति बनी हुई है। इजरायल ईरान युद्ध के बीच परमाणु बमों का उपयोग होता है तो यह मानवता के लिए एक बड़ा विनाशकारी संकट होगा जिसे हर संभव रोकने का प्रयास विश्व के सभी देशों द्वारा किया जाना चाहिए।
संजीव ठाकुर,
रायपुर छत्तीसगढ़