कविता @ पेड लगाबो…

Share


आवव एकक पेड़ लगाबो,
महतारी के नाव में।
मया अउ दुलार हम पाबो,
जेखर कोंवर छाँव में।
पेड़ लगा के निसदिन करबो,
हम ओखर निगरानी।
जरूरत परे मा देवत रहिबो,
सरलग खातू पानी।
मया अउ दुलार ल पाके,
ओ रुख ह जब बाड़ जाही।
कोवर कोवर छाँव दिही अउ,
सुघ्घर फूल फर आही।
दाई के अंचरा कस छाँव म,
अपन थकान ल मिटाबो।
ओखर परोसे कस गुरतुर,
फल फलहारी खाबो।
हर मइनखे ल तइयार करन,
जम्मो शहर अउ गांव में।


Share

Check Also

कविता @ पिता श्री…

Share पिता में ही बसती है, प्रभु की मूरत,पिता के चरणों में ही रहती है …

Leave a Reply