अनूपपुर,@तो क्या.! भाजपा में डमी विधायक की चल रही तैयारी.?

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पोस्टर और बैनर तक ही सीमित रह गई जन आशीर्वाद यात्रा

प्रदेश में अब राजनैतिक गरमाहट शुरू हो चुकी है जिसके तहत अब टिकट दिया जाए या नहीं के सर्वे के बाद अब टिकट मिलेगा या नहीं को लेकर सर्वे का दौर अनूपपुर में शुरू है। मतदाताओं के फैसले से जनता का मिजाज भांपने के लिए हर स्तर पर कोशिशें तेज हो गई है, फिर बात चाहे विधायक की हो या टिकट के दूसरे दावेदारों की। सभी दावेदारों ने क्षेत्र में भ्रमण तेज कर दिया है जिससे माननीयों के माथे पर बल पड़ना लाज़मी है।

-अरविंद द्विवेदी-
अनूपपुर,18 सितम्बर 2023 (घटती-घटना)। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो गया है एवं सभी राजनीतिक दलों की सरगर्मियां शुरू हो गई है। प्रदेश के प्रमुख दल कांग्रेस-भाजपा बूथ स्तर पर चुनावी संगठन खड़ा करने में लगे हैं। वहीं बीजेपी जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से जनता तथा कार्यकर्ताओं को साधने में लगी हुई है। लेकिन कोतमा अनूपपुर सहित पूरे क्षेत्र में यात्राएं बहुत फीकी रहीं। केवल पोस्टर और बैनर तक सीमित दिखी जमीन में कहीं भी पहले जैसी भीड़ व जनता का समर्थन नहीं दिखा। वहीं कांग्रेस के नेता कार्यकर्ताओं की छोटी-छोटी बैठक कर उनकी राय जान रहे हैं, उनमें जान फूंकने का प्रयास कर रहे हैं।

टिकट वितरण की चूक बनेगी हार का कारण

बहरहाल टिकट के लिए दोनों दलों में लंम्बी कतारें हैं। कांग्रेस में कुछ ज्यादा ही दावेदारों की सूची है, तो वहीं भाजपा में भी तमाम वरिष्ठ नेताओं अपनी अपनी दावेदारी है। भाजपा के टिकट बंटवारे को कांग्रेस बहुत बारीक निगाह से देख रही है क्योंकि पहले भी भाजपा के टिकट वितरण की चूक के कारण ही कांग्रेस कोतमा विधानसभा में बाजी मारती रही है। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ कांग्रेस के आम कार्यकर्ता से मिलकर कांग्रेस की नैया पार करने के लिए माहौल बनाने में  लगे रहे।

प्रचार-प्रसार में सबसे आगे पोस्टर वीर दावेदार

पार्टी बैठकों व कार्यक्रमों से दूर-दूर तक मतलब न रखने वाले चूल्हा चौका में ब्यस्त प्रत्याशी भी चुनावी तैयारी फ्लेक्सी, बैनर में पूरी ताकत झोंके हुए हैं। जिनके पूर्व में जनप्रतिनिधि रहते हुए जनता को अपने काम के लिए परिवार वालों के चक्कर लगाना पड़ता था। ऐसे प्रतिनिधि न तो जनता को पहचानते हैं और न भाजपा के नेताओं को। पूर्व में परिवार के लोगों ने सिस्टम चलाकर अनाप शनाप पैसा भी इकट्ठा किया है जिसके कारण अभी ऐसे बूढ़े बीमार न चल फिर सकने वाले लोग भी बैनर में  प्रचार-प्रसार में सबसे आगे दिखाई देते हैं।

भाजपा की अंतर्कलह का फायदा कांग्रेस को

आगामी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस भाजपा के निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रही है। कहने को तो भाजपा का संगठन बहुत अच्छा माना जाता है लेकिन प्रत्याशी चयन में पिछली गलतियों के कारण से ही कांग्रेस को कोतमा विधानसभा क्षेत्र में जीत मिलती रही है। परिवारवाद और राजनीतिक गुटबाजी के कारण टिकट वितरण के साथ ही भाजपा में तेजी से अंतर्कलह होती है जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता है। यदि इस बार भी जनता और कार्यकर्ताओं को न पहचानने वाले प्रत्याशी को बड़े नेताओं के इशारे पर भाजपा थोपती है तो कांग्रेस की जीत सुनिश्चित है।


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