संपादकीय

लेख@ कोदो सुपोषण के लिए बढिय़ा अन्न

आज से चार शतक पूर्व एक वह भी समय था जब हर भारतीय की थाली में कोदो भोजन उसकी प्रतीक्षा करता और यह एक मोटे अनाज के रूप में हर घर की पहचान हुआ करता था। बचपन की स्मृतियों में कोदो और उसका स्वाद आज भी मस्तिष्क में तरोताजा है। कोदो कम बरसात में पैदा होने वाला अनाज है[ जिसे …

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लेख@ हिरोशिमा दिवस:मानवता के आत्मावलोकन का दिन

हर वर्ष 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है, जो केवल जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की त्रासदी का स्मरण नहीं,बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए आत्मचिंतन और चेतना का दिवस है। 6 अगस्त 1945 को अमेरिका द्वारा गिराया गया “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम महज कुछ ही सेकंड में हिरोशिमा शहर को राख बना गया, हजारों …

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लेख@शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के अमर नायक का युगांत

झारखंड की धरती का वो सूरज, जिसने आदिवासी समाज को शोषण,सूदखोरी और अन्याय के अंधेरे से निकालकर स्वाभिमान और सम्मान की रोशनी दिखाई, आज सदा के लिए अस्त हो गया। दिशोम गुरु शिबू सोरेन,जिन्हें झारखंड का पथ प्रदर्शक कहा जाता था, ने 4 अगस्त 2025 को सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। 81 वर्ष की आयु …

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लेख@सावन अउ बरशा के मया

धनहापुर नाम के एकठन कस्बा रहय।जिंहा सावन नाम के एक झन अड़बड़ अलबेला छोकरा रहय, अउ बरशा नाम के नटखट छोकरी रहय।ये दूनो झन के भेंट बरसाती भाई नाम के एकठन होटल मा होते।भेंट मुलाकात के बाद दूनो झिन‌ अजनबी चाय पीयत रहय तब धोखा से बरशा के चाय हा सावन के ऊपर मा गिर जते।बरशा हा कहिते माफी देबे, …

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लेख@तेजी से बढ़ रही है शिक्षित घरेलू सहायिकाओं की मांग

दोहरी आय वाले परिवारों की बढ़ती संख्या और दैनिक काम के लिए बाहरी सहायता पर बढ़ती निर्भरता के कारण शिक्षित घरेलू सहायक-सहायिकाओं (मेड) की मांग कई गुना बढ़ गई है। भर्ती मंच वर्कइंडिया की रपट में यह जानकारी दी गई।भर्ती मंच के मुताबिक,विभिन्न शिक्षा स्तर वाले घरेलू सहायकों की भूमिकाओं में 2024 में सालाना आधार पर तेज वृद्धि हुई। इस …

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लेख@ गालिब बहुत गहराई में मत जा…

उर्दू का मशहूर शायर,गालिब आगरा का रहने वाला था! बाद में वह मुगल सल्तनत के आखिरी ताजदार बादशाह, बहादुर शाह जफर के दरबार की रौनक बढ़ाया करता था। गालिब को आम खाने तथा शराब पीने का बहुत शौक था। गालिब की लिखी हुई बहुत सारी गजलें हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत सारे देशों में शौक से पढी¸ …

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लेख@ नौकरी लगते ही पतियों को छोड़ रही हैं आधुनिक औरतें

रिश्तों की हत्या का आधुनिक ट्रेंडरोज़गार मिला,रिश्ते छूटे,जिसने पढ़ाया, वही पराया हो गयाविवाह अब त्याग और समर्पण की बजाय स्वार्थ और स्वतंत्रता की शरण में चला गया है। अनेक मामले सामने आ रहे हैं जहाँ पति ने पत्नी को पढ़ाया, नौकरी लगवाई, पर जैसे ही वह आत्मनिर्भर हुई, पति को ठुकरा दिया। यह आधुनिक सोच रिश्तों को तोड़ रही है। …

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लेख@ भारतीय सेना ही देश के असली नायक

ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तान को सबक भारतीय सेनाओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश को सुरक्षित किया इसकी प्रशंसा करनी चाहिए इसे राजनीति के दृश्टिकोण के नज़रिया से नहीं बल्कि देश हित मे देखना चाहिए क्योंकि उनकी हमेशा मानसिकता देश को बचाने की होती है और सेना का मनोबल हर उस देश का राष्ट्रपति सेना को उनकी बहादुरी …

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लेख@ आधा-अधूरा कृत्रिम मेधा का ज्ञान देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक

अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपकी नब्ज पढ़कर आपके मस्तिष्क की बात तुरंत पकड़कर उस पर अमल करने लगेगा। कृत्रिम मेधा की तकनीक को वैज्ञानिकों ने मानव की सहायता के लिए और देश की बेहतरी के लिए अविष्कार किया है।अभी तक तो अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,ब्रिटेन,इजरायल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मामले में काफी आगे हो गये हैं। अब खाड़ी के देशों विगत 5 साल में …

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लेख@ साइकोलॉजी पर आधारित मानसिक रोग वैज्ञानिक तथ्य और कर्म बंधन की थ्योरी

मानव को कुदरत ने सभी अन्य जीव जंतुओं से हटकर दिमाग प्रदान किया है जो मनुष्य को सोचने समझने की ताकत देता है। यदि जीवन को सुचारु रूप से चलना हो तो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानव का मानसिक तौर पर स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। यदि व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देता है तो वह समाज से कट जाता …

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