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रायपुर@ रथयात्रा महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल श्री रमेन डेका

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@ मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में हुए शामिल
@ छेरापहरा की रस्म अदायगी कर मांगा प्रदेशवासियों के लिए आशीर्वाद
रायपुर,27 जून 2025 (ए)।
राज्यपाल श्री रमेन डेका आज गायत्री नगर रायपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आयोजित महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा महोत्सव में शामिल हुए। राज्यपाल श्री डेका ने भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना कर ‘छेरा-पहरा‘ की रस्म निभाई। राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी ने श्री जगन्नाथ जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की। रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में विशेष विधि-विधान के साथ महाप्रभु जगन्नाथ जी की रथ यात्रा निकाली गई। रथ यात्रा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान की प्रतिमाओं को मंदिर से रथ तक लाया गया और मार्ग को सोने की झाड़ू से स्वच्छ किया गया। इस परंपरा को छेरापहरा कहा जाता है।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री डेका ने सभी प्रदेशवासियों को रथ यात्रा की बधाई देते हुए कहा कि यह पर्व ओडिशा के लिए जितना बड़ा उत्सव है, उतना ही बड़ा उत्सव छत्तीसगढ़ के लिए भी है। श्री रमेन डेका ने कहा कि भगवान जगन्नाथ किसानों के रक्षक हैं। उन्हीं की कृपा से वर्षा होती है,धान की बालियों में दूध भरता है और किसानों के घरों में समृद्धि आती है। मैं भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करता हूं कि इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो। उन्होंने कहा कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा से मेरी विनती है कि वे हम सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें और हमें शांति, समृद्धि एवं खुशहाली की ओर अग्रसर करें।
राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में पुरी की रथ यात्रा की तर्ज पर यह पुरानी परंपरा निभाई जाती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छेरापहरा की रस्म पूरी करते हुए सोने की झाड़ू से मार्ग बुहारकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। इसके उपरांत उन्होंने भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ तक ले जाकर विराजित किया।
ओडिशा की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में होती है रथ यात्रा
रथ यात्रा के लिए भारत में ओडिशा राज्य प्रसिद्ध है। ओडिशा का पड़ोसी राज्य होने के कारण छत्तीसगढ़ में भी इस उत्सव का व्यापक प्रभाव है। आज निकाली गई रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की विशेष विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। मंदिर के पुजारी के अनुसार उत्कल संस्कृति और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच यह एक अटूट साझेदारी का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण तीर्थ है, जहां से वे जगन्नाथ पुरी में स्थापित हुए। शिवरीनारायण में ही त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के प्रेमपूर्वक अर्पित मीठे बेर ग्रहण किए थे। यहां वर्तमान में नर-नारायण का भव्य मंदिर स्थापित है।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री श्री टंकराम वर्मा, सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, विधायक श्री पुरंदर मिश्रा, श्री धर्मलाल कौशिक सहित अन्य गणमान्य नागरिक तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
सीएम विष्णुदेव साय रथयात्रा में हुए शामिल
सोने की झाड़ू से निभाई छेरापहरा की रस्म…


राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आज महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर ,मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्य की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी ने मंदिर में पूजा-अर्चना की और पारंपरिक छेरापहरा की रस्म निभाई। मुख्यमंत्री साय ने सोने की झाड़ू से मार्ग बुहारकर रथ यात्रा का शुभारंभ किया,जो पुरी की तर्ज पर आयोजित इस उत्सव की प्रमुख परंपरा है।
छेरापहरा की रस्म और रथ यात्रा का शुभारंभ
मुख्यमंत्री साय ने विशेष विधि-विधान के साथ भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को मंदिर से रथ तक ले जाकर विराजित किया। छेरापहरा की रस्म के तहत उन्होंने सोने की झाड़ू से रथ के मार्ग को स्वच्छ किया। यह परंपरा उत्कल और दक्षिण कोसल की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक मानी जाती है। रथ यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया, और माहौल भक्ति-भाव से सराबोर रहा।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई, की समृद्धि की कामना
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने
प्रदेशवासियों को रथ यात्रा की बधाई देते हुए कहा, यह पर्व ओडिशा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। भगवान जगन्नाथ किसानों के रक्षक हैं, उनकी कृपा से अच्छी वर्षा होती है और किसानों के घर समृद्धि आती है। मैं प्रार्थना करता हूं कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में भरपूर फसल हो और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा हमें शांति व खुशहाली की ओर ले जाएं।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सांस्कृतिक साझेदारी
रथ यात्रा के आयोजन में ओडिशा की पुरी रथ यात्रा की झलक देखने को मिली। मंदिर के पुजारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण तीर्थ को भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान माना जाता है, जहां से वे जगन्नाथ पुरी में स्थापित हुए। शिवरीनारायण में त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के बेर ग्रहण किए थे, और वहां नर-नारायण का भव्य मंदिर स्थापित है। यह उत्सव उत्कल और दक्षिण कोसल की संस्कृति के बीच गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। रथ यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ के जयकारों के साथ रथ को खींचा और भक्ति में लीन रहे।


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