बैकुंठपुर@48 प्रतिशत में एसईसीएल कौन सा मानसून प्रिपरेशन कार्य करवाएगी?

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-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,18 जून 2025 (घटती-घटना)। एसईसीएल क्षेत्र बैकुंठपुर में निविदा के नाम पर भ्रष्टाचार का नया खेल खेला जा रहा है, इस खेल को बहुत बारीकी से समझने की जरूरत है किसी भी ऐसे कार्य के लिए टेंडर निकाल दिया जाता है जिसे कर करना ही नहीं है,और यदि कार्य दिखाना भी हो तो वहां पर कोई जाकर देख नहीं पाएगा,और यह निविदा उसी को मिलता है जिसको अधिकारी चाहे लेते हैं,क्योंकि वह पैसा अधिकारी के पास ठेकेदार के माध्यम से आ जाता है, ऐसा ही अभी एसईसीएल बैकुंठपुर के अंतर्गत झिलमिली के लिए मानसून प्रिपरेशन का कार्य की निवेदन निकल गई थी,यह कार्य है भूमिगत खदानों में जहां से खदानें गई हैं उस पहाड़ी पर जाकर यह देखना है कि कहीं पर दरार तो नहीं है वहां से बरसात का पानी खदान के अंदर तो नहीं जाएगा, जहां दरार होगा वहां पर उसे भरना है यह निविदा 16 लख रुपए की निकाली गई थी पर आश्चर्य की बात तो यह है कि इस निविदा को सिर्फ 48 प्रतिशत में पाया गया है, यानी की 52 प्रतिशत काम में, अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि 52 प्रतिशत काम में ऐसा कौन सा कार्य है कि हो जाएगा, एसईसीएल ने अपने कार्य को करने की लागत 16 लाख की रकम तय की है जीएसटी के साथ, उनके इंजीनियरों को लगता है कि इस कार्य में 16 लख रुपए लगेगा वहीं ठेकेदार उसे कार्य को 619000 में करने को तैयार है,अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि ठेकेदार होशियार है या फिर एसईसीएल के इंजीनियर बेवकूफ है या फिर यह काम होगा ही नहीं और इसका पैसा अधिकारियों के जेब में जाएगा? मिली जानकारी के अनुसार एसईसीएल बैकुंठपुर के द्वारा झिलमिली की भूमिगत खदान के ऊपरी सिरे पर जो पहाडि़यों पर पड़ता है उस पर कहीं दरार तो नहीं है बरसात के समय कही पानी खदान के अंदर तो नहीं चला जाएगा,उसे देखने के लिए और उसके मरम्मत कार्य के लिए 16 लख रुपए का टेंडर निकाला गया है, ताकि बरसात से पहले पहाडि़यों पर यदि ऐसा कोई दरार हो और वहां से ज्यादा मात्रा में पानी खदान के अंदर ना चले जाए,उसकी मरम्मत के लिए यह पैसा उन्होंने स्वीकृत किया है इस काम का नाम है मानसून प्रिपरेशन है,इस काम में आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि यह काम 16 लाख की लागत से होने की स्वीकृति मिली इसमें 11 ठेकेदारों ने पार्टिसिपेट किया, जिसमें एक ठेकेदार को यह काम मिला जिस ठेकेदार को यह काम मिला है उस ठेकेदार ने इस काम को 52 प्रतिशत बिलों में पाया है,यानी की जो लागत एसईसीएल ने तय किया था उसे 52 प्रतिशत काम में वह इस काम को करके दे देंगे, अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस काम को वह 48 प्रतिशत की राशि में कैसे करेंगे? यदि यह कर देते हैं तो यह तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी,ऐसे ठेकेदारों को तो पुरस्कृत करना चाहिए,क्या एसईसीएल ऐसे ठेकेदारों को पुरस्कृत कर पाएगी या फिर पुरुस्कृत करने की वजह वह कार्य होगा ही नहीं और उसका पैसा एसईसीएल के अधिकारी के जेब में जाएगा और कुछ हिस्सा ठेकेदार को मिलेगा?

वैसे सूत्रों का कहना है कि जिसे यह काम मिला है उसे यह काम अधिकारियों ने ही दिलाया है,क्योंकि अधिकारी ने ही उसे इतनी कम रेट में काम लेने का सुझाव दिया था,क्योंकि वह पैसा अधिकारियों की जेब में जाना है और यह कार्य होना नहीं है,क्योंकि यह कार्य सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए ही बनाया गया है क्योंकि पहाड़ों के काफी नीचे खदानें हैं और वहां पर पानी घुसने की संभावना बहुत कम होती है, इस कार्य को इसलिए ही दिया गया है ताकि विजिलेंस भी इसे पता ना कर पाए और यह कार्य हुआ है कि नहीं हुआ है इसकी जांच में यदि कोई आता है तो भी वह इसे पता नहीं कर पाएगा, क्योंकि उसे देखने के लिए इतना चलना पड़ेगा और जंगलों में घूमना पड़ेगा जिस वजह से वहां कोई जांच करने पहुंचे गई नहीं, इसी वजह से इस कार्य को निकला गया है ताकि उसे भ्रष्टाचार किया जा सके वैसे जिस ठेकेदार को यह काम मिला है यह नगर पालिका अध्यक्ष के भाई हैं जो अपने मित्र के नाम पर इस कार्य को लिया है, सूत्रों का यह भी कहना है कि इसकी शिकायत सतर्कता या निगरानी विभाग को होगी, क्योंकि काम स्वीकृत हो चुका है और यह कार्य होना नहीं है इससे पहले ही इस कार्य की जांच हो जाए और इसकी निविदा निरस्त हो, यह अब मांग उठने लगी है।
भ्रष्टाचार करने का नया तरीका?
सूत्रों ने बताया कि बैकुंठपुर क्षेत्र के झिलिमिली उप क्षेत्र में पांडवपारा खदान के मानसून की तैयारी के लिए निचले क्षेत्र को भरना कार्य के लिए निविदा निकला, यह निविदा सिर्फ पैसा खाने का तरीका ही है क्योंकि यह कार्य होगा नहीं और इस कार्य की जांच भी कोई कर नहीं पाएगा, इसलिए इस प्रकार के कार्य एसईसीएल सोच समझकर निकलता है, ताकि पैसे का बंदरबाट कर सके और यही वजह है कि इस कार्य को लेने के लिए 52त्न बिलों तक ठेकेदार को जाना पड़ा है, क्योंकि वह भी जानता है कि यह कार्य करना है नहीं, पर फिर भी यह विषय जांच का है और इसमें विजिलेंस तक शिकायत होनी है यह भी तय, अब देखना यह है कि विजिलेंस इसमें क्या एक्शन लेती है, इस तरह के निविदा का निकलने वाले पर कार्रवाई होता है या नहीं यह भी देखने वाली बात होगी।


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