नई दिल्ली@ आखिर कब तक जहर उगलते रहोगे नेताजी

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इन्हें तो पार्टी ही नहीं राजनीति में भी रहने का हक नहीं
नई दिल्ली,15 मई 2025 (ए)।
देश के कुछ नेताओं की बेहूदा बयानबाजी को देखकर खून खौल उठता है। ये क्या तमाशा है? जिन सैनिकों ने ऑपरेशन सिंदूर में देश का सिर गर्व से ऊंचा किया, उनके खिलाफ ये जहरीले तीर क्यों? बीजेपी के विजय शाह हों या सपा के रामगोपाल यादव, दोनों ने अपनी सियासी रोटियां सेंकने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसे सैन्य नायकों को धर्म और जाति की आग में झोंक दिया। इन नेताओं की संकीर्ण सोच और गिरी हुई मानसिकता देश की एकता पर थूकने जैसी है। यह सिर्फ दो सैनिकों का अपमान नहीं, बल्कि भारतीय सेना की गरिमा और देश के हर नागरिक के स्वाभिमान पर हमला है।
विजय शाह:सांप्रदायिकता का जहरीला चेहरा
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहकर जो घृणित बयान दिया,वह उनकी सांप्रदायिक सोच का नंगा प्रदर्शन था।
इंदौर के एक मंच पर,जहां लोग ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जश्न मना रहे थे, शाह ने सोफिया को निशाना बनाकर न केवल एक सैनिक का अपमान किया,बल्कि देश की सेना को सांप्रदायिक चश्मे से देखने की शर्मनाक कोशिश की। उनकी
माफी? वह तो महज एक ढोंग था, हंसते हुए दी गई माफी,जिसमें न पश्चाताप था,न शर्मिंदगी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया, सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई,लेकिन बीजेपी की चुप्पी क्या दर्शाती है? क्या पार्टी ऐसी जहरीली मानसिकता को चुपके से हवा दे रही है? शाह जैसे लोग,जो सत्ता के नशे में देश के गौरव को कुचलने से नहीं चूकते, क्या मंत्रीपद के लायक हैं? इनका इस्तीफा नहीं,बल्कि इन्हें सियासत से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।
रामगोपाल यादव:जातिवादी सियासत का पाखंड
रामगोपाल यादव भी इस कीचड़ में कम नहीं डूबे। सपा के इस नेता ने विवाद को और भड़काने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़कर ऐसा बयान दिया, जो उनकी सियासी चालबाजी और जातिवादी सोच को उजागर करता है।
उन्होंने दावा किया कि सोफिया कुरैशी को उनके मुस्लिम होने के कारण गाली दी गई, जबकि विंग कमांडर व्योमिका सिंह को राजपूत समझकर छोड़ दिया गया। सच क्या है? व्योमिका सिंह हरियाणा की जाटव (चमार) समुदाय से हैं, न कि राजपूत। यादव का यह बयान बेहद शर्मनाक है।
देश को ऐसे नेताओं से खतरा
यहां सवाल सिर्फ दो बयानों का नहीं,बल्कि उस मानसिकता का है,जो देश को बांटने की साजिश रच रही है। विजय शाह और रामगोपाल यादव जैसे नेता देश की एकता के दुश्मन हैं। एक ने सांप्रदायिक जहर उगला,तो दूसरे ने जातिगत नफरत की आग भड़काई। दोनों की सोच में कोई फर्क नहीं है, दोनों ही सत्ता की भूख में अंधे हो चुके हैं। भारतीय सेना, जो धर्म और जाति से ऊपर उठकर देश की रक्षा करती है,उसके नायकों को इस तरह की गंदी सियासत का शिकार बनाना घोर अपराध है।यह शर्मनाक है कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी उपलब्धि, जो देश की एकता और ताकत का प्रतीक है,को इन नेताओं ने अपनी सियासी चालों का शिकार बनाया। विजय शाह और रामगोपाल यादव जैसे लोग न तो माफी के लायक हैं, न ही सत्ता के। इनके बयान सिर्फ दो सैनिकों का अपमान नहीं, बल्कि देश के हर उस नागरिक का अपमान हैं,जो सेना के पराक्रम पर गर्व करता है। बीजेपी और सपा को चाहिए कि वे अपने इन नेताओं पर तुरंत कड़ी कार्रवाई करें, वरना जनता का गुस्सा इनकी सियासत को सबक सिखाएगा। देश की जनता और सेना इनसे कहीं बेहतर की हकदार है।


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