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अम्बिकापुर@परसोढ़ी कला में जमीन अधिग्रहण को लेकर बवाल

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ग्रामीणों-पुलिस में भीषण झड़प,कई घायल


-न्यूज डेस्क-
अम्बिकापुर,04 दिसम्बर 2025 (घटती-घटना)। सरगुजा जिले के परसोढ़ी कला गांव में बुधवार को जमीन अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों और पुलिस के बीच बड़ा संघर्ष हो गया। पुश्तैनी जमीन बचाने के प्रयास में जुटे ग्रामीणों ने प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया, जिसके चलते स्थिति तनावपूर्ण हो गई। पुलिस द्वारा खदान का काम शुरू कराने के लिए लगभग 500 जवानों के साथ गांव में प्रवेश करते ही ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया। बताया गया कि ग्रामीणों ने गुलेल से भी हमला किया। इस हिंसक झड़प में एएसपी, थानेदार सहित 25 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि 12 से ज्यादा ग्रामीणों को भी चोटें आईं। स्थिति अनियंत्रित होने पर पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में पत्थर चलाए, लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद कई ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया तथा गांव में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। तनाव के चलते गांव के पुरुष सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए, जबकि ग्रामीणों द्वारा लगाए गए टेंट-तंबुओं को पुलिस ने हटा दिया। पुलिस द्वारा लगातार छापेमारी जारी है और अतिरिक्त बल भी बुलाया गया है। यह विवाद वर्षों पुराना है। परसोढ़ी कला में एसईसीएल ने वर्ष 2001 में कोल बेयरिंग एक्ट के तहत जमीन अधिग्रहित की थी, जिसका ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं। केवल 19′ किसानों ने ही मुआवजा स्वीकार किया है, वह भी रोजगार की शर्त पूरी न होने की शिकायत के साथ। शेष ग्रामीण अपनी पुश्तैनी जमीन को खनन गतिविधियों के लिए सौंपने को तैयार नहीं हैं और लंबे समय से इसका विरोध करते आ रहे हैं। घटना पर राजनीति भी गर्मा गई है। पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने एक्स पर लिखा कि सरकार जनता पर ही लाठियां बरसा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात की निजी कंपनी से सरकारी खदान में उत्खनन कराया जा रहा है और विरोध कर रहे स्थानीय निवासियों पर अत्याचार हो रहा है। सिंहदेव ने इसे ‘गुजरात मॉडल’ बताते हुए स्थानीय रोजगार और संसाधनों पर बाहरी कब्जे का आरोप लगाया। कांग्रेस ने भी सरकार पर आदिवासियों की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरा खदान विवाद केवल भूमि का मसला नहीं, बल्कि सरकार की सोच का प्रतिबिंब है। इसके विपरीत, एसईसीएल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गांव के लोगों को अब तक 10 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जा चुका है और रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। कंपनी ने आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्व खनन कार्य में बाधा डाल रहे हैं। झड़प के बाद खदान में आंशिक रूप से काम फिर शुरू कर दिया गया है, जिसे निजी कंपनी एलसीसीआई संचालित कर रही है। एसईसीसीएल के कोल माइंस को लेकर कल पुलिस कर्मियों और गांव वालों के बीच लाठी चार्ज और पथराव के बीच कई पुलिस कर्मी घायल हो गए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारी के अलावा अपर कलेक्टर सहित कई पुलिस जवान घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ा तो दूसरी तरफ लाठी चार्ज के वजह से दर्जन भर से अधिक गांव वाले भी घायल हुए। कुल मिलाकर संघर्ष इतना खतरनाक दिखाई दे रहा था कि इसके वायरल वीडियो को देखकर लोग स्तब्ध हो गए। इस घटना के बाद आज दूसरे दिन बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में एसईसीएल प्रबंधन ने अधिग्रहित जमीन का सीमांकन करना शुरू किया और दूसरी तरफ गांव वालों ने गांव में कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी में बैठक की और तब कांग्रेस नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि वे गांव वालों के साथ हैं। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने मौके पर अफसरों से चर्चा की, है। गांव वालों का कहना है कि हम किसी भी हाल में खदान नहीं खुलने देंगे क्योंकि इसके बाद उनके पास खेती की जमीन नहीं बचेगी।
मैनपाट में खुलने वाले बॉक्साइट खदान को लेकर भी
जनसुनवाई के दौरान लोगों ने विरोध दर्ज कराया था
सरगुजा जिले में लगातार खदान को लेकर विरोध हो रहा है इससे दो दिन पहले मैनपाट में खुलने वाले बॉक्साइट खदान को लेकर भी जनसुनवाई के दौरान लोगों ने विरोध दर्ज कराया था और कहा था कि मैनपाट में खदान नहीं खोलना देंगे तो दूसरी तरफ अब सरगुजा के लखनपुर क्षेत्र स्थि.त परसोडी गांव में कोयला खदान का विरोध हो रहा है। यहां कोयला खदान से 238 जमीन मालिक हैं, जिसमे से 40 लोगों को मुआवजा दिया गया है, बाकि ने मुआवजा लेने से इंकार किया है।
माइंस के लिए आवश्यक भूमि परसोडीकला,
अमेरा,पूहपुटरा और कटकोना गाँवों में स्थित है…
अमेरा ओपनकास्ट माइंस, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की एक 1.0 रूभ्क्क्र क्षमता वाली परियोजना है। माइंस के लिए आवश्यक भूमि परसोडीकला, अमेरा, पूहपुटरा और कटकोना गाँवों में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 664.184 हेक्टेयर है। इस भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2001 में किया गया था। अधिग्रहीत भूमि के एक हिस्से का कब्जा मिलने के बाद वर्ष 2011 में खनन कार्य प्रारम्भ किया गया। इस पर वर्ष 2019 तक खनन जारी रहा, इसके बाद आगे विरोध के चलते खनन बंद करना पड़ा। वर्ष 2024 में राज्य प्रशासन के हस्तक्षेप एवं अतिरिक्त भूमि का कब्जा प्राप्त करने तथा प्रभावित परिवारों को निर्धारित मुआवज़ा एवं लाभ प्रदान करने के बाद, खदान संचालन पुनः आरम्भ किया गया।


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