अनुकम्पा की बांट जोहता युवक,शासन की अनदेखी का होता रहा शिकार

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सफलता के लिए मेहनत ही काफी है…सिफारिश और कृपा कमजोरी की निशानी…ऐसा ही साबित कर दिखाया आदिवासी नवयुवक ने

रवि सिंह-

बैकु΄ठपुर 19 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। सफलता के लिए केवल मेहनत ही एकमात्र उपाय है और परिश्रम के अलावा कोई अन्य मार्ग भी नहीं ऐसा कहना आज गलत नहीं होगा वह भी तब जब हम एक ऐसे आदिवासी नवयुवक की बात करने जा रहें हैं जिसने अपने बचपन से ही अपने संघर्ष को कायम रखा लक्ष्य निर्धारित रखा और आज वह भले ही अस्थाई व भविष्य को लेकर अनिश्चित ही सही संविदा शिक्षकीय सेवा में चयनित हो सका।
बैकुंठपुर विकासखण्ड अंतर्गत सोरगा ग्राम पंचायत निवासी वर्ष 2014 में ही शिक्षाकर्मी रहने के दौरान मृत पंचायत शिक्षक स्व कलम सिंह का पुत्र चयन सिंह अपने पिता की मृत्यु जो बीमारी की वजह से हुई के दौरन नाबालिग भी था वहीं कक्षा नवमीं में जवाहर नवोदय विद्यालय बैकुंठपुर का छात्र भी था। असमय साथ ही बचपन मे ही पिता साथ ही परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य की मृत्यु उपरांत कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बीच चयन सिंह ने अपना अध्ययन जारी रखा और हायर सेकेंडरी की परीक्षा बेहतर अंकों से उतीर्ण भी की। इस दौरान उसकी माता साथ ही ननिहाल पक्ष ने उसकी मदद की और वह उनके सहारे खुद को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़े रखने का अभियान जारी भी रखा।


पिता की जगह शासकीय अनुकम्पा नियुक्ति चाहती थी चयन के लिए उसकी माता

चयन सिंह को उसकी माता अपने मृत पति जो शिक्षाकर्मी सेवा में कार्य करते हुए कालकलवित हुए और शासन के नियमानुसार परिवार के आश्रित सदस्य को अनुकम्पा बतौर सहायक शिक्षक पद पर अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान भी उसकी माता को विभागीय तौर पर अनुकम्पा नियुक्ति की मांग पर बताया गया था, इस स्थिति को देखते हुए और समझते हुए चयन सिंह की माता चाहती थीं कि उसके पुत्र को अनुकम्पा नियुक्ति के रूप में सहायक शिक्षक का पद प्राप्त हो सके और वह लगातार प्रयासरत रहीं की शासन द्वारा निर्धारित अनुकम्पा नियुक्ति हेतु तय अहर्ता नियत समय पर उनका पुत्र ग्रहण कर सके वहीं वह अहर्ता ग्रहण कर जल्द से जल्द शिक्षक बनकर पिता की तरह शिक्षा की ज्योत भी प्रज्वलित कर सके वहीं परिवार का भरण पोषण भी पिता की मृत्यु उपरांत जो कठिनाइयों से हो पा रही है कर सके।

अनुकम्पा नियुक्ति हेतु उस समय से अब तक क्या है प्रावधान क्या है नियत समयावधि

शिक्षाकर्मी या पंचायत शिक्षकों की सेवा शर्ते संविलियन पूर्व जो थीं उनके अनुसार किसी भी पंचायत संवर्गीय शिक्षक की सेवा के दौरान मृत्यु पर उसके परिवार के आश्रित सदस्य को सहायक शिक्षक पंचायत पद पर नियुक्ति का प्रावधान पहले भी था और वह वर्तमान में भी अंतिम राजपत्र संविलियन समय तक प्रावधानित भी है,किसी भी पंचायत संवर्गीय शिक्षक की सेवा के दौरान मृत्यु पर यह अनुकम्पा नियुक्ति उसके परिवार के आश्रित सदस्य को कुछ अहर्ताओं के ग्रहण करने उपरांत ही दी जा सकेंगी जिसमें हायर सेकेंडरी, डीएलएड साथ ही शिक्षक पात्रता परीक्षा उतीर्ण करना वह भी मृत पंचायत शिक्षक की मृत्यु दिनांक से 6 वर्ष के भीतर अनिवार्य अहर्ता ग्रहण करनी होगी यह नियत किया गया है।


नियत छः वर्षों में ग्रहण की सभी अनिवार्य अहर्ता

इसे नौकरी पाने की जिद कहें अनुकम्पा की जरूरत समझें या अपनी माँ का पिता की ही जगह उनकी तरह शिक्षक बनकर शिक्षा का अलख जगाने का आदेश,चयन सिंह ने हायर सेकेंडरी उतीर्ण की, डीएलएड परीक्षा पास की वहीं शिक्षक पात्रता परीक्षा भी छठवें वर्ष से पहले पूर्ण कर ली वहीं अपने पिता का स्थान प्राप्त शासन की अनुकम्पा से उसने अनिवार्यअहर्ता ग्रहण कर आवेदन भी अनुकम्पा नियुक्ति हेतु वर्ष 2019 में जिला पंचायत कोरिया के समक्ष प्रस्तुत कर दिया।


दो वर्ष तक शासन प्रशासन की उदासीनता युवक को मजदूरी करने पर मजबूर करती रही

वर्ष 2019 में शासन द्वारा अनुकम्पा हेतु तय किये गये सभी अनिवार्य अहर्ताओं को ग्रहण करने उपरांत जब युवक चयन सिंह ने खुद को अपने मृत पंचायत शिक्षक पिता के परिवार का आश्रित साथ ही अनिवार्य अहर्ता ग्रहण कर शासन की मंशा अनुरूप योग्य रूप में साबित करते हुए अनुकम्पा नियुक्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत किया उसे दो साल तक लगातार अधर में लटकाए रखा गया वहीं उसे शासन के ही नियमो का हवाला देकर जो कि हवाला देने वालों को भी मालूम था कि उसके साथ गलत किया जा रहा है दौड़ाया जाता रहा और अंततः उसे माननीय उच्च न्यायालय की शरण मे जाकर न्याय की गुहार लगानी पड़ी।


अवमानना मामला विचाराधीन है माननीय उच्च न्यायालय में

युवक चयन सिंह ने थक हारकर एक वर्ष पूर्व माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली वहां से प्रथम सुनवाई में न्यायालय ने 90 दिवस के भीतर निराकरण हेतु जिला प्रशासन सहित विभाग को निर्देशित किया,विभाग व जिला प्रशासन मामले में इस 90 दिवस जो कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित था निराकरण हेतु के दौरान भी युवक के न्याय पक्ष को लेकर उदासीन बना रहा वहीं अब युवक ने 90 दिवस उपरांत माननीय उच्च न्यायालय में अवमानना मामला दर्ज किया है जिसको न्यायालय ने स्वीकार करते हुए सुनवाई की तिथि भी तय कर दी है।


इसी बीच युवक का हुआ चयन शिक्षक पद पर

लगातार अनुकम्पा नियुक्ति की बांट जोह रहे युवक को स्वामी आत्मानन्द अंग्रेजी विद्यालय की नियुक्ति का विज्ञापन जारी होने की सुचना मिली उसने अपना आवेदन प्रस्तुत किया, साक्षात्कार भी दिया और अब वह बिना कृपा शासन के ही महत्वाकांक्षी विद्यालय से जुड़कर काम करने हेतु चयनित हो सका जिससे उसने साबित किया सफलता मेहनत के ही भरोसे मिल सकती है। युवक ने अनारक्षित श्रेणी साथ ही अजजा श्रेणी हेतु दो विकासखण्ड में अपना स्थान बनाकर साबित किया उसे अब शासन की कृपा की बजाय खुद से आगे बढ़ना आ गया है।


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