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नई दिल्ली@बीएलओ की मौतों पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख,राज्यों को दिए निर्देश

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नई दिल्ली,04 दिसम्बर 2025। चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब पूरे देश में मतदाता सूची पुनरीक्षण कराने का फैसला किया है, जिसकी प्रक्रिया इस साल के अंत तक पूरी होनी है। हालांकि, इस काम की तेज गति और भारी दबाव के कारण कई जगहों से बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की मौतें और आत्महत्या के मामले सामने आए, जिसके बाद आयोग को समय सीमा बढ़ानी पड़ी। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा, और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर प्रक्रिया पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणीः एसआईआर एक वैध और अनिवार्य प्रक्रिया : इस मामले की सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि एसआईआर प्रक्रिया वैध कार्यवाही है और इसे अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। उन्होंने टिप्पणी की कि ‘अगर कहीं स्टाफ की कमी है तो यह राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।’ सीजेआई ने यह भी कहा कि अगर ख्रुह्रह्य को राहत नहीं मिलती है, तो वे कानूनी मदद के लिए कोर्ट का रुख कर सकते हैं। सीजेआई ने कहा कि राज्य द्वारा एसआईआर के लिए चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए गए कर्मचारी इन कर्तव्यों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि BLOs को अत्यधिक कार्यभार जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो राज्य सरकारें इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए कदम उठा सकती हैं।
दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की
तैनाती का निर्देश

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्यों को साफ निर्देश दिए कि वे BLOs पर पड़ रहे काम के दबाव को कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती करें। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर कोई ख्रुह्र व्यक्तिगत कारणों से एसआईआर करने में सक्षम नहीं है, तो उचित कारणों की स्थिति में उन्हें राहत देने पर विचार किया जाए और उनकी जगह किसी दूसरे कर्मचारी को काम पर लगाया जाए। यह टिप्पणी BLOs की व्यक्तिगत समस्याओं और अति-दबाव को देखते हुए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।



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