चंडीगढ,24 नवम्बर 2025। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कुरुक्षेत्र दौरे के दौरान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार में कहा कि पहलगाम की घटना आज भी विचलित करती है,जब पहलगाम में पर्यटन के लिए गए हमारे निर्दोष यात्रियों को धर्म पूछ कर मारा गया। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने केवल भारत की शांतिप्रियता को ही चुनौती नहीं दी थी, बल्कि वो ये मान बैठे थे कि भारत की शालीनता उसकी कमजोरी है। इसके बाद हमने ऑपरेशन सिंदूर से इसका माकूल जवाब दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकी भूल गए भारत गीता का देश है,जहां करूणा भी है और युद्ध में धर्म की रक्षा की प्रेरणा भी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि शांति के ताप को जीवित रखना है तो उसके भीतर शक्ति का ताप अनिवार्य है। निर्दोषों की रक्षा करनी है तो बलिदान देने का साहस भी उतना ही आवश्यक है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी पांडवों को यही समझाया था कि युद्ध बदले की भावना या महत्वाकांक्षा नहीं बल्कि धर्म की स्थापना के लिए लड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने भगवान श्रीकृष्ण के संदेश का ही पालन किया। भारत ने जबाव दिया कि भारत आतंकवाद के विरुद्ध लड़ेगा और किसी भी सूरत में भारत कमजोर नहीं पड़ेगा। श्री कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र में समझाया था धर्म की रक्षा केवल प्रवचन से नहीं होती उसकी रक्षा कर्म से होती है और ऑपरेशन सिंदूर वही धर्म युक्त कर्म था जिसको कि हम लोगों ने अपना और साथियों आज हम सब याद रखना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि जिस बात को आज दुनिया इतना प्रचारित करती है, वह बात श्रीकृष्ण ने हजारों वर्ष पहले ही बता दी थी कि मनुष्य का व्यवहार उसके विचारों से बनता है और विचारों का शुद्धिकरण भक्ति और योग से होता है। कर्तव्य-बोध ही गीता का सबसे बड़ा संदेश और योगदान है। गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसे पढ़कर विपरीत परिस्थितियों में उत्साह और आशा का संचार होता है। गीता न केवल आत्मचिंतन का मार्ग दिखाती है, बल्कि मन की उलझनों को सुलझाने में भी सहायक है।
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