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जशपुर@ जशपुर जिले में पत्रकार को अपने नवजात शिशु का शव लाने नहीं मिली मुक्ताजंलि वाहन

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जिला प्रशासन ने अपनी नाकामी छिपाने कर दी लीपापोती
पत्रकारों ने स्पष्ट कहा…
अब अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा…

पत्रकारों ने कहा…दबाव से पत्रकारिता नहीं रुकेगी…
सिस्टम की गलती उजागर करना अपराध नहीं… यह जनता के प्रति जिम्मेदारी है…
जशपुर,21 नवंबर 2025 (घटती-घटना)।
जशपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग की बेहद लचर व्यवस्था के कारण एक पत्रकार को अपने नवजात शिशु का शव लाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि जिला प्रशासनिक स्वास्थ्य विभाग की इस अव्यवस्था और मनमानी की बगैर निष्पक्ष जांच कराए ही पत्रकारों को जनसंपर्क विभाग के ग्रूप में धमकी दे डाली।
उल्लेखनीय है कि जशपुर जिले में पत्रकार मुकेश नायक को अपने नवजात शिशु के शव को घर ले जाने के लिए शव वाहन तक उपलब्ध न होना प्रशासन की संवेदनहीनता का ऐसा उदाहरण बन गया,जिसने जशपुर की पत्रकारिता और जनता दोनों को झकझोर दिया है।
बताया जाता है कि घटना के दिन मुकेश नायक ने स्वास्थ्य विभाग को बार-बार संपर्क किया, लेकिन उन्हें न मुक्ताजंलि वाहन के संबंध में सही जानकारी मिली,न वाहन। लगातार आश्वासन,टाल-मटोल और अनुत्तरदायित्व की स्थिति ने उन्हें और उनके परिवार को अपार मानसिक पीड़ा दी। सीमावर्ती क्षेत्र में ओडिशा प्रशासन की मदद मिली,जबकि छत्तीसगढ़ की 102 सेवा ने मदद से मना कर दिया। अंततः मजबूर होकर परिजनों को नवजात का शव स्कूटी पर रखकर घर लाना पड़ा। यह घटना न केवल अमानवीय है, बल्कि जिले की स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
इस संवेदनशील मामले को उठाए जाने के बाद विभागों की प्रतिक्रिया और भी विचलित करने वाली रही। जिम्मेदारी स्वीकारने और समस्या का समाधान ढूंढने की बजाय जिला प्रशासन ने सीपीआर नोटिस,कानूनी कार्रवाई और मानहानि के दावों की धमकियों का रास्ता अपना लिया। स्वास्थ्य विभाग की अव्यवस्था की खबरों पर तुरंत खंडन जारी कर पत्रकारों को डराने का प्रयास किया गया, जैसे सच को दबाना ही समाधान हो। जल्द ही पत्रकार एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच, जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई तथा जिले में बढ़ रहे विभागीय दमन पर रोक लगाने की मांग करेंगे।
कमियां उजागर करते ही हर बार धमकी और खंडन से आखिरकार बिफरे पत्रकार
इसी दमनकारी और गैर-जिम्मेदार रवैये के खिलाफ अब जिले के पत्रकार एकजुट हो गए हैं। ष्टक्कक्र नोटिस और दबाव की इस नीति का विरोध करते हुए जिले के लगभग तीन दर्जन से अधिक पत्रकारों ने जनसम्पर्क विभाग के आधिकारिक प्रशासनिक व्हाट्सऐप ग्रूप से सामूहिक रूप से बाहर हो गए। इनमें कई वरिष्ठ,अनुभवी और जिले की बड़ी खबरों को कवर करने वाले पत्रकार शामिल हैं। पत्रकारों ने यह कदम सीधे तौर पर विभागों को संदेश देने के लिए उठाया कि वे धमकी,दबाव और नोटिस की राजनीति को अब स्वीकार नहीं करेंगे। पत्रकारों ने कहा कि सवाल उठाना,गलतियों को उजागर करना और जनता के हित के मुद्दों को सामने लाना उनका कर्तव्य है। किसी भी विभाग की कमी को दिखाना मानहानि नहीं,बल्कि लोकतंत्र की रक्षा है। यदि एक पत्रकार पिता को अपने नवजात के शव के साथ ऐसी त्रासदी झेलनी पड़ती है,तो आम जनता की स्थिति की कल्पना मात्र ही भयावह है। पत्रकारों का आरोप है कि कुछ विभाग सच से बचने और अपनी लापरवाही के लिए जिम्मेदारी लेने के बजाय उल्टा मीडिया को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। लगातार नोटिस भेजना, खंडन जारी करना और कानूनी डर दिखाना लोकतांत्रिक अधिकारों को कमजोर करने वाली प्रवृत्ति है।


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