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सूरजपुर@सेटिंग खत्म… चलो जुआ पकड़े हम!

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मानी जंगल से साइबर की टीम ने पकड़े पांच जुआरी,पर क्या यह कार्रवाई खुद को ‘पाक-साफ’ साबित करने की कोशिश?
मानी जंगल में तंबू लगाकर चलता था करोड़ों का जुआ,कार्रवाई तो हुई पर मास्टरमाइंड फिर भी बाहर

  • चार महीनों से चल रहे अवैध जुआ नेटवर्क को दैनिक घटती-घटना
  • ने बेनकाब किया,और उसी के दबाव में आखिरकार कार्रवाई हुई…
  • साइबर टीम पर संरक्षण के आरोपों के बाद अचानक हुई कार्रवाई सवालों के घेरे में…
  • पूर्व में प्रकाशित खबर से एक्सपोज़ होने के बाद कार्रवाई…पर सवाल और बड़े…
  • मानी-उदयपुर के जंगलों में करोड़ों का जुआ तंबू
  • उखड़ा…पाँच गिरफ्तार मास्टरमाइंड अब भी बाहर…
  • सवाल—मानी में रोज़ 40-50 जुआरी बैठते थे,पर पकड़े सिर्फ पाँच? करोड़ों का फड़ कहाँ गया? किसने सुरक्षा दी?


-शमरोज खान-
सूरजपुर,21 नवम्बर 2025
(घटती-घटना)।

जिले के सरहदी इलाके मानी-उदयपुर के घने जंगलों में लंबे समय से करोड़ों का जुआ तंबू लगाकर संचालित हो रहा था,यह कोई छोटा-मोटा जुआ नहीं,बल्कि एक ऐसा ‘जुआ फड़’ था जिसमें जिले-सूरजपुर के नामचीन चेहरों की बैठकी होती थी,यह वही जगह है जहाँ से अवैध कारोबार वर्षों से फलता-फूलता रहा,और यह वही मामला है जिसे दैनिक घटती-घटना ने लगातार उजागर किया,खबरें प्रकाशित होने के बाद तंबू उखड़ गया,जुआ बंद हुआ,पर चोरी-छिपे खेल जारी रहा। फर्क बस इतना कि बड़े नामचीन चेहरे पीछे हट गए,और एक बार फिर जुआ का अड्डा सरककर उदयपुर थाना क्षेत्र की ओर खिसक गया,पर सबसे बड़ा सवाल—जिन्हें पकड़ना था वे हाथ नहीं गए…और जिन्हें पकड़ना आसान था, वही थम गए!


दैनिक घटती-घटना की तीन बड़ी रिपोर्टों का असर,जंगल से तंबू उखड़ा,फड़ उठा,और पुलिस दबाव में आई…
15,16 और 17 नवंबर को दैनिक घटती-घटना ने तीन हाई-इम्पैक्ट एक्सपोज़ प्रकाशित किए ‘मानी में रोज़ाना 50 लाख का जुआ!’ ‘जंगल में तंबू… और तंबू के नीचे करोड़ों का जुआ!’ ‘हज से लौटा संचालक… जिसने कहा था ‘जुआ हराम है’ फिर फड़ चला रहा!’ इन रिपोर्टों में चार महीने से चल रहे कथित जुआ रैकेट,नामचीन संचालकों,पुलिस से संभावित गठजोड़,तंबुओं, जंगल अड्डों और करोड़ों के दांव का पूरा खुलासा हुआ। इन खुलासों के बाद जंगलों से तंबू समेट दिए गए,गुप्त अड्डे खाली हुए,और बड़े संचालक भूमिगत हो गए ठीक इसी के बाद 20 नवंबर की रात पुलिस हरकत में आई।
सवालों में साइबर टीम…
जिस टीम पर संरक्षण के आरोप थे,उसी ने कार्रवाई कर अपना दाग धोने की कोशिश की?, लंबे समय से सूरजपुर साइबर टीम के प्रभारी पर इस फड़ को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे, जुआरी खुद पत्रकारों को फोन कर खबर न चलाने की गुहार लगा रहे थे,कई बार यह आरोप भी लगा कि साइबर प्रभारी की मौजूदगी में जुआ ‘सुरक्षित’ चलता था,प्रभारी को बदलने की मांग भी लगातार उठती रही,लेकिन कार्रवाई तब हुई जब दैनिक घटती-घटना ने चुभते हुए सवाल उठाए,और साइबर टीम पर उंगलियाँ उठीं,और जैसे ही उनकी फजीहत हुई,टीम हरकत में आ गई और पांच जुआरियों को पकड़कर कोतवाली पुलिस को थमा दिया…ताकि खुद को ‘पाक-साफ’ साबित किया जा सके, मगर सवाल बना ही है इतने दिनों तक क्या कर रहे थे? और जब पकड़े भी तो मास्टरमाइंड कहाँ गायब?
विवेचना में कोतवाली पुलिस ने दिखाई कड़ाई,एसपी के निर्देश पर तगड़ी कार्रवाई, ताकि दोबारा कोई तंबू न लगा सके…
साइबर टीम ने पकड़कर फाइल तो कोतवाली के हवाले कर दी, पर उसके बाद वास्तविक कार्रवाई कोतवाली पुलिस ने की,एसपी प्रशांत ठाकुर के निर्देश पर सूरजपुर पुलिस ने जंगल में घेराबंदी की, वेश बदलकर दबिश दी,और पांच जुआरियों को मौके से रंगे हाथों गिरफ्तार किया पर सबसे बड़ा मुद्दा,खबरों में जिस स्तर के ‘बड़े जुआ’ की बात थी,वैसा रकम बरामद नहीं हुआ,जिससे सवाल और गहरा गया कि आखिर मास्टरमाइंड कौन बचा लिया गया?
मानी जंगल से 5 जुआरी गिरफ्तार
नगदी,मोबाइल और बाइक जब्त- डीआईजी व एसएसपी के निर्देश पर सूरजपुर पुलिस ने की कार्रवाई 20 नवंबर की रात मुखबिर की सूचना पर थाना सूरजपुर की टीम मानी नर्सरी जंगल पहुँची। यहाँ घेराबंदी कर इन जुआरियों को पकड़ा गया,शिवराज राजवाड़े,36 वर्ष, केनापारा, रामवृक्ष राजवाड़े,41 वर्ष, सपकरा,धनसाय राजवाड़े,25 वर्ष, केनापारा,बृजेश पाण्डेय,25 वर्ष, सलका,दर्पण राजवाड़े,36 वर्ष,सपकरा से मौके से जब्त किया गया 19,880 नकद,4 मोबाइल, 1 बाइक जुआ प्रतिषेध अधिनियम 2022 की धारा 3(2) के तहत कार्रवाई की गई है कार्यवाही में थानेदार विमलेश दुबे व टीम सक्रिय रही।
साइबर टीम पर उठे आरोपों के बाद अचानक हुई कार्रवाई
क्या यह ‘अपने को पाक-साफ’ दिखाने की कोशिश?- लंबे समय से साइबर टीम के प्रभारी पर संरक्षण के आरोप लगते रहे हैं,जुआरियों ने खुद पत्रकारों से कहा था कि ‘खबर मत छापो… व्यवस्था से बात हो गई है ‘,लेकिन दैनिक घटती-घटना ने खबर चलाई,पूरा सिस्टम हिल गया,सवाल उठे,और साइबर टीम की फजीहत शुरू हुई,इसी दबाव के बाद साइबर टीम ने पाँच जुआरी पकड़े और फाइल कोतवाली के हवाले कर दी…ताकि उनकी भूमिका पर उठे सवाल दब जाएँ।
फिर भी सवाल कायम…
मास्टरमाइंड कहाँ गायब?
संरक्षण कौन देता था?
बड़े फड़ से सिर्फ 19,880 कैसे मिले?
क्या यह कार्रवाई वास्तविक है या छवि-सुधार?
जहाँ रोज़ 40-50 जुआरी बैठते थे,वहाँ पुलिस को सिर्फ पाँच ही क्यों मिले?
चार दिनों में 1 करोड़ की कमाई का दावा था,फिर कुल रकम सिर्फ 19,880 कैसे?
जो संचालक चार महीने से फड़ चला रहे थे,वे कहाँ गायब हो गए?
क्या पुलिस ने छोटी मछलियां पकड़ी और बड़े नामों को निकल जाने दिया?


निष्कर्षं
दैनिक घटती-घटना ने अपना काम कर दिया- दैनिक घटती-घटना हमेशा की तरह सवाल पूछती रहेगी क्योंकि अवैध तंबुओं में चलने वाला जुआ खत्म हो,यही जिले के सम्मान और समाज की सुरक्षा का सवाल है,सच को सामने रखा,जंगल का अड्डा उजागर किया, सिस्टम को जगाया, और कार्रवाई करवाने पर मजबूर कर दिया। अब बारी प्रशासन की है क्या वे आधी कार्रवाई पर रुकेंगे,या पूरी सच्चाई सामने लाएंगे?


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