- नवगठित नगर पंचायत पटना में अवैध प्लाटिंग का बड़ा खेल!
- तहसीलदार पटवारी पर अवैध प्लाटिंग का बड़ा खेल चलाने का आरोप…छोटे झाड़ मद की भूमि के लगभग 70 टुकड़े बेच डाले:सूत्र
- अंगद की तरह जमे पटवारी–बाबू, ट्रांसफ़र के बाद भी पैसे देकर वापस उसी हल्के में…
- 20 जुलाई से जिले में सख्ती शुरू,सभी उप पंजीयकों को आदेश जारी
- पटवारी तहसील की मिलीभगत की आशंका,छोटे झाड़ जंगल मद भूमि को बेचने की तैयारी:सूत्र

-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,17 नवंबर 2025 (घटती-घटना)। नवगठित नगर पंचायत पटना में अवैध प्लाटिंग का गंभीर मामला सामने आया है, सूत्रों के अनुसार पटना गायत्री मंदिर चौक में मुख्य पांडवपारा रोड के किनारे भूमि की गुपचुप प्लाटिंग कर बेचने का काम शुरू हो चुका है,इस कथित अवैध गतिविधि में राजस्व विभाग के तहसील कार्यालय से लेकर पटवारी स्तर तक की सहमति बताई जा रही है,मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि जिस जमीन की प्लाटिंग की जा रही है,वह छोटे झाड़ जंगल मद की भूमि बताई जा रही है जिसकी खरीदी-बिक्री शासन द्वारा प्रतिबंधित है। इसके बाद भी भूमि को खंड-खंड कर प्लॉट बनाकर बेचने का प्रयास किया जाना नियमों की खुली अवहेलना माना जा रहा है, तहसील पटना एक बार फिर भ्रष्टाचार के बड़े अड्डे की तरह सुर्खियों में है। सूत्रों का दावा है कि तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से गांव पटना में अवैध प्लाटिंग का करोड़ों का खेल जोरों पर चल रहा है। आरोप है कि दलालों के माध्यम से पैसों की मोटी कमाई कर छोटे झाड़ मद की प्रतिबंधित भूमि को खरीद-फरोख्त के खुले मैदान में बदल दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि छोटे झाड़ जंगल मद श्रेणी की भूमि को टुकड़ों में बांटकर बेचा जा रहा है, जबकि ऐसी भूमि की खरीदी-बिक्री पर शासन ने स्पष्ट रोक लगा रखी है, बताया गया कि जमीन बेचने वालों के पास न तो कॉलोनाइज़र लाइसेंस है और न ही 5 डिसमिल से कम भूमि बेचने की अनुमति, आरोप है कि इस पूरे मामले में तहसील कार्यालय और पटवारी की मिलीभगत है,अब बड़ा प्रश्न यह है कि क्या जिला प्रशासन इस नियम विरुद्ध प्लाटिंग और अवैध बिक्री पर कार्रवाई करेगा, या फिर मामला यूं ही दबा दिया जाएगा? सूत्रों ने यह भी बताया कि पटना में पदस्थ पटवारी को तीन साल से अधिक समय हो चुका है, जबकि नियम के अनुसार इतने लंबे समय तक एक ही जगह पदस्थ रहना सामान्य प्रक्रिया नहीं है, आरोप यह भी है कि पटवारी द्वारा छोटे झाड़–जंगल मद की भूमि का नामांतरण तक कर दिया गया है, जिसमें गायत्री चौक क्षेत्र की जमीन का नामांतरण सबसे चर्चित मामला माना जा रहा है, सूत्रों के अनुसार, प्रतिबंधित श्रेणी की भूमि का नामांतरण करना स्वयं में गंभीर अनियमितता है,और यह पूरा मामला राजस्व विभाग के भीतर गहरी मिलीभगत की ओर संकेत करता है।
अंगद की तरह जमे पटवारी-बाबू, ट्रांसफ़र के बाद भी पैसे देकर वापस उसी हल्के में…
प्रशासनिक सख्ती की खुली उड़ रही धज्जियाँ…जिले में वर्षों से एक ही स्थान पर जमा पटवारी और बाबू प्रशासन के आदेशों की खुली अवहेलना करते हुए अंगद के पाँव की तरह अपने हल्के और कार्यालय से हिलने का नाम नहीं ले रहे हैं। विभाग द्वारा किया गया ट्रांसफर महज़ औपचारिकता बन गया है,क्योंकि कई कर्मचारी अपने स्थानांतरण के बाद भी पैसे और रसूख के बल पर कुछ ही दिनों में वापस अपने निज निवास ग्राम,हल्के या मनपसंद तहसील कार्यालय में आकर फिर बैठ जाते हैं, सूत्रों के अनुसार, ट्रांसफ़र के बाद ज्वाइनिंग कहीं और, पर ड्यूटी वहीं, यह खेल वर्षों से चलता आ रहा है, अधिकारी भी आँख मूंदकर इस व्यवस्था को सहन कर रहे हैं, क्योंकि इसमें सबकी हिस्सेदारी की चर्चा खुलेआम होती है,ट्रांसफर नीति का मज़ाक सरकार द्वारा बनाई गई स्थानांतरण नीति का मैदान स्तर पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा,ट्रांसफर के आदेश जारी होते ही कर्मचारियों की एक टीम सक्रिय हो जाती है,और कुछ दिनों में फिर वही पुरानी कुर्सी,वही पुराना हल्का और वही पुराना खेल, सब कुछ पहले जैसा हो जाता है, क्या प्रशासन कार्रवाई करेगा? जनता लगातार मांग कर रही है कि,वर्षों से एक ही जगह जमे पटवारी–बाबुओं की सूची सार्वजनिक की जाए, उनके अवैध पुनःस्थापना की जांच हो,और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो, ताकि राजस्व व्यवस्था में फैली यह जमावट संस्कृति समाप्त हो सके।
नियम-कानून को दरकिनार कर विवादित भूमि का नामांतरण कराने का आरोप
राजस्व विभाग में नियमों की खुली धज्जियाँ उड़ाने का गंभीर मामला सामने आया है जानकारी के अनुसार, पूर्व तहसीलदार पटना द्वारा किए गए कई विक्रय पत्रों और नामांतरणों को न्यायालय ने अवैध प्लाट में होने का आधार बताते हुए ऑनलाइन नामांतरण प्रक्रिया में खारिज कर दिया था, इन मामलों में न्यायालय की स्पष्ट टिप्पणी थी कि भूमि अवैध प्लाटिंग की श्रेणी में आती है, इसलिए इसका नामांतरण राजस्व पुस्तिका में दर्ज नहीं किया जा सकता, नियम कहते हैं की राजस्व पुस्तिका-6 के अनुसार, यदि नामांतरण खारिज हो जाता है, तो संबंधित पक्ष को अपीली अधिकारी,अर्थात अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) के समक्ष अपील प्रस्तुत करनी होती है,अपीली अधिकारी के निर्णय के बाद ही आगे की प्रक्रिया संभव होती है लेकिन यहां मामला बिल्कुल उल्टा दिख रहा है, ऑनलाइन खारिज, फिर तहसीलदार ने ऑफलाइन नामांतरण किया सूत्रों के अनुसार, जिन प्रकरणों को न्यायालय द्वारा अवैध घोषित कर ऑनलाइन सिस्टम ने खारिज कर दिया था, उनका ऑफलाइन आवेदन लेकर पुनः नामांतरण कर दिया गया।
खसरा नंबर 732, प्रतिबंधित श्रेणी की भूमि फिर भी लगभग 70 टुकड़ों में बेच डाली:सूत्र
सूत्र बताते हैं कि ग्राम पटना स्थित खसरा नंबर 732, जो मिसल 1946-47 में छोटे झाड़ मद दर्ज है…जिसकी बिक्री पर रोक है प्लाटिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध है कॉलोनाइज़र लाइसेंस अनिवार्य है इसके बावजूद 70 प्लॉट में बांटकर दी गई बिक्री पटना में खुलेआम की गई है, यह सब बिना अनुमति, बिना लाइसेंस और बिना राजस्व नियमों का पालन किए, सूत्रों का कहना है कि इस भूमि के कई हिस्सों का दायर्वसन भी कराया गया, जबकि पुराने रिकॉर्ड में यह भूमि हस्तांतरित होने योग्य ही नहीं।
खसरा नंबर 729,आदिवासी भूमि भी बेची गई? लगभग 49 टुकड़े तैयार,गैरआदिवासियों के नाम:सूत्र
सूत्र बताते हैं कि खसरा नंबर 729, जो मिसल 1946-47 में पर्व कुंवर गोंड (आदिवासी) के नाम से दर्ज है, आदिवासी भूमि होने के कारण विशेष अनुमति अनिवार्य परंतु इस भूमि को 49 टुकड़ों में बांटकर बिना अनुमति गैरआदिवासियों को बेच दिया गया, सूत्रों के मुताबिक अनुमति के कागजों पर डायवर्सन का नाम जरूर है,पर 1946-47 के छोटे झाड़ मद के असली रिकॉर्ड का उल्लेख ही नहीं,जिससे पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।
5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री पूर्णतः बंद, 20 जुलाई से जिले में सख्ती शुरू,सभी उप पंजीयकों को आदेश जारी
जिले में कृषि भूमि को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बेचने और अवैध प्लाटिंग को बढ़ावा देने पर आखिरकार प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है,लंबे समय से पाँच डिसमिल से कम भूमि की रजिस्ट्री धड़ल्ले से की जा रही थी,जिससे अनियंत्रित और अवैध कॉलोनाइज़ेशन लगातार बढ़ रहा था। अब राज्य सरकार ने छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री पर सख्त रोक लगा दी है,जारी आदेश के अनुसार 20 जुलाई से जिले में पाँच डिसमिल (0.05 एकड़) से कम भूखंड की रजिस्ट्री नहीं की जाएगी,सभी जिला पंजीयकों एवं उप पंजीयकों को इसके लिए स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं, शासन ने 5 डिसमिल (लगभग 2,178 वर्गफीट) से कम भूमि की खरीदी-बिक्री पर स्पष्ट रोक लगा रखी है,लेकिन पटना में कथित तौर पर इसी सीमा से नीचे छोटे-छोटे भूखंड बनाकर उनकी बिक्री की तैयारी की जा रही है,अब बड़ा सवाल क्या राजस्व विभाग इस मामले से अनभिज्ञ है? क्या पटवारी को इसकी जानकारी नहीं? या फिर पूरा मामला मिलीभगत का परिणाम है?
सवाल गंभीर,क्या पटना तहसील अवैध प्लाटिंग का केंद्र बन चुका है?
जो आरोप सामने आए हैं,वे कई बड़े सवाल खड़े करते हैं,क्या तहसील और पटवारी कार्यालय जमीन माफियाओं के साथ मिलकर काम कर रहा है? क्या प्रतिबंधित भूमि को जानबूझकर प्लाटिंग योग्य दिखाया जा रहा है? क्या जिला प्रशासन को वास्तविक स्थिति छिपाई जा रही है? क्या राजस्व विभाग इस पूरे खेल से अनभिज्ञ है या मिलीभगत से आंखें मूंदे है?
जनता परेशान,कामकाज प्रभावित
एक ही क्षेत्र में वर्षों से जमे पटवारी-बाबुओं के कारण, दस्तावेज़ों में मनमानी, देरी और भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है, ग्रामीणों को आवश्यक नस्ती, नामांतरण, बंटवारा और गिरदावरी जैसे कार्यों के लिए महीनों चक्कर काटने पड़ते हैं, कई स्थानों पर शिकायत है कि पुराने संपर्कों और जमावट के कारण लेन-देन की व्यवस्था पहले से भी मजबूत हो गई है।
बीजेपी सरकार की पुरानी
व्यवस्था फिर लागू
उल्लेखनीय है कि बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में भी पाँच डिसमिल से कम भूमि के उपखंड और रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाया था। बाद में कांग्रेस सरकार ने इस रोक को हटा दिया था, जिसके बाद पांच डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री बड़े पैमाने पर होने लगी थी। अब पुनः बीजेपी सरकार ने पुराने नियम को लागू करते हुए इसे कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए हैं।
विधानसभा में पारित भू-राजस्व संहिता विधेयक 2025 लागू
राज्य सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक 2025 पारित किया है,नए प्रावधान के तहत किसी भी स्थिति में कृषि भूमि को ऐसा उपखंड बनाकर नहीं बेचा जा सकेगा,जिसका क्षेत्रफल पाँच डिसमिल से कम हो,उप-पंजीयक कार्यालय में ऐसे किसी दस्तावेज को पंजीकृत नहीं किया जाएगा।
क्या जिला प्रशासन लेगा संज्ञान?
क्या होगी नियम विरुद्ध खरीदी-बिक्री पर रोक? यदि सूत्रों द्वारा बताई गई बातें सत्य हैं, तो यह पूरा मामला बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग और नियमों की खुली धज्जियां उड़ाने जैसा प्रतीत होता है, अब सवाल उठ रहा है कि क्या जिला प्रशासन इस मामले का संज्ञान लेकर जाँच कराएगा? क्या अवैध रूप से की जा रही प्लाटिंग और बिक्री पर रोक लगेगी? क्या कूटरचना कर भूमि बेचने वालों पर कार्रवाई होगी? सूत्रों का कहना है कि पूरा मामला अवैध प्लाटिंग का है और इसे नियमों के विरुद्ध बेचा जा रहा है।
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