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सूरजपुर@ मारवाड़ी युवा मंच ने लगाया कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर, 76 को लगे हाथ-पांव

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-संवाददाता-
सूरजपुर,17 नवंबर 2025 (घटती-घटना)।
छत्तीसगढ़ प्रांतीय मारवाड़ी युवा मंच व भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति झारखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में नि:शुल्क कृत्रिम अंग प्रत्यारोपण शिविर का आयोजन मंच की सूरजपुर व संस्कृति शाखा के द्वारा किया गया। जिसमें पैर,हाथ के साथ कैलिपर्स,बैशाखी,छड़ी,कान की मशीन का वितरण मंच की ओर से संपन्न हुआ। 14 नवम्बर को प्रारंभ हुए शिविर में लगभग 100 से उपर दिव्यांगों का पंजीयन किया गया,जिसमें 63 को पैर,13 को हाथ तथा 5 को कैलिपर्स लगाए गए। मानवीय मूल्यों के कर्तव्यों का निवर्हन करने के साथ दुर्घटनाओं में अपने हाथ व पैर गंवा चुके या जन्म से ही दिव्यांग लोगों के लिए मंच का यह शिविर आत्मविश्वास लौटाने और उनके चेहरों की खुशी वापस लाने का माध्यम बना। मंच के अध्यक्ष सुमित मित्तल व शिविर के संयोजक विकास जैन ने बताया कि स्थानीय अग्रोहा भवन में उक्त आयोजन किया गया। शिविर के माध्यम से संस्था के सदस्यों ने दिव्यांगों का पंजीयन कर उनके पैर व हाथों का माप लिया और स्थल पर ही जयपुर फूट बनाकर प्रदान किए गए। जिसमें सूरजपुर जिले के साथ कोरिया,सरगुजा,जशपुर व बलरामपुर जिले के दिव्यांगजनों ने शिविर का सीधा लाभ लिया। शिविर को सफल बनाने में मंच के सुनील अग्रवाल,मुकेश गर्ग,अंकुर गर्ग, स्वयं गोयल, गौरिश जिंदल, संस्कार अग्रवाल,यश अग्रवाल,अंकित अग्रवाल,प्रणव अग्रवाल सहित संस्कृति शाखा की प्रज्ञा अग्रवाल, लहर मित्तल सहित दोनों शाखाओें के सदस्य सक्रिय थे। वहीं नगर के मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल एसआरपीआर के संचालक राहुल अग्रवाल व हॉस्पिटल की टीम का पूरे शिविर में विशेष योगदान रहा।
लोगों ने किया मंच का आभार व्यक्त
मारवाड़ी युवा मंच के इस शिविर का लोगों ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हाथ व पैरों के लिए वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं और बाहर जा पाने में असमर्थ हैं तथा कई-कई वर्षों से राह देख रहे थे। जब उन्हें शिविर की जानकारी मिली तो वे शिविर में पहुंचकर नि:शुल्क पैर व हाथ का माप देकर वहीं पर बनने की प्रक्रिया देखी और शरीर के उक्त अंग को प्राप्त करने के बाद कईयों के आंखों से भी खुशी के आंसू थे। अनेक दिव्यांगजनों व उनके परिजनों ने मंच के इस जनसेवी कार्य के लिए आभार व्यक्त किया।
बैशाखी व दूसरे के सहारे आये लोग खुद चलकर गए
शिविर के दौरान पहले दिन का आलम यह था कि दिव्यांगजन या तो बैशाखी के सहारे आये थे या फिर उनके परिजन उन्हें ढोकर लाये थे और जब उनके पैरों का माप हुआ और चलकर बिना किसी सहारे के गए तो उनका आत्मविश्वास भी देखते ही बनता था। अनेक दिव्यांगजनों ने तो दो दिन तक उनको लगे पैरों पर स्थल में ही चलकर अपने आपको मजबूत भी किया व बिना बैशाखी व बिना सहारे के सड़क पर भी जाकर चहल कदमी की।


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