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अनूपपुर@पत्रकारों की एकता बनी ऐतिहासिक…

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कलमकारों के संघर्ष के आगे झुका प्रशासन,सभी मांगों पर चर्चा का मिला आश्वासन


-विशेष संवाददाता-
अनूपपुर,09 नवम्बर 2025 (घटती-घटना)। अनूपपुर की धरती आज पत्रकारों की गूंज से दहक उठी। साथियों कलम की ताकत जब सड़कों पर उतरी तो प्रशासन को भी सुनना पड़ा। जिले में पत्रकारों के साथ हो रहे उत्पीड़न, फर्जी मुकदमों और लगातार उपेक्षा के विरोध में अनूपपुर पत्रकार एकता मंच के बैनर तले कलमकारों ने ऐतिहासिक एकता का प्रदर्शन किया। न्यू बस स्टैंड अंडरब्रिज के पास चल रहे अनिश्चितकालीन आंदोलन ने प्रशासन को झकझोर दिया और अब प्रशासन ने पत्रकारों की सभी मांगों पर चर्चा व समाधान का भरोसा दिया है।
कलम की जुबान से निकली क्रांति की आवाज़
8 नवंबर 2025 को जब जिलेभर से पत्रकार एकजुट होकर आंदोलन स्थल पर पहुंचे, तो यह महज़ एक विरोध नहीं बल्कि आत्मसम्मान की लड़ाई बन गई। सैकड़ों पत्रकार चिलचिलाती धूप में भी डटे रहे नारे गूंजे, आवाज़ें बुलंद हुईं और एक ही संदेश गूंजता रहाः हम डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं, सच्चाई लिखते रहेंगे!
पत्रकारों का यह गुस्सा प्रशासन की उस बेरुखी के खिलाफ था, जिसने वर्षों से कलम की आवाज़ को दबाने की कोशिश की थी। फर्जी मुकदमे, उत्पीड़न और धमकियों से अब सब्र का बांध टूट चुका था।
छत्तीसगढ़ से भी मिला कंधे से कंधा मिलाकर समर्थन
साथियों इस संघर्ष को सीमाओं से परे समर्थन मिला। छत्तीसगढ़ से आए वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र जायसवाल, कर्मुनिशा और आदित्य गुप्ता ने मंच से गरजते हुए कहा – यह आंदोलन केवल अनूपपुर का नहीं, बल्कि पूरे देश के पत्रकारों की आवाज़ है। अगर मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले लेगा। इन शब्दों ने आंदोलन में नई ऊर्जा और जोश भर दिया।
सियासत भी आई मैदान में – नेताओं ने दी खुली समर्थन की घोषणा : पत्रकारों की यह जंग अब राजनीतिक गलियारों तक पहुंच चुकी है। कांग्रेस से जीवेंद्र सिंह, राजीव सिंह, बाबा खान, सतेंद्र दुबे और भाजपा से राज तिवारी व कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल मंच पर पहुंचे और खुलकर समर्थन दिया। नेताओं ने एक स्वर में कहा पत्रकार लोकतंत्र की रीढ़ हैं, उनके साथ अन्याय किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा। दोनों दलों ने यह भी आश्वासन दिया कि पत्रकारों की यह आवाज़ मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जाएगी।
प्रशासन हरकत में – बैठक का हुआ ऐलान :

लहराते बैनरों और गूंजते नारों के बीच प्रशासन भी सक्रिय हुआ। अनुविभागीय दंडाधिकारी कमलेश पूरी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगन्नाथ मरकाम मौके पर पहुंचे और पत्रकारों की सभी मांगों को गंभीरता से सुनते हुए कहा पत्रकार समाज की आंख और कान हैं, उनकी मांगों का समाधान हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने आंदोलनरत पत्रकारों को भरोसा दिलाया कि मंगलवार दोपहर 2 बजे नर्मदा सभागार में कलेक्टर के साथ बैठक कर समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
अनूपपुर की कलम अब खामोश नहीं
आज का दिन अनूपपुर की पत्रकारिता के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। यह आंदोलन बताता है कि जब कलमकार एकजुट होते हैं, तो प्रशासन को भी जवाब देना पड़ता है। अब सवाल यह है क्या प्रशासन वाकई पत्रकारों की मांगों को गंभीरता से पूरा करेगा या आंदोलन और तेज़ी से उभरेगा? एक बात तो तय है अनूपपुर के कलमकार अब जाग चुके हैं, और यह जागरण सिर्फ पत्रकारों का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा का है।


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