- पिछले दो साल से नहीं खुला दवाओं और उपकरणों के लिए टेंडर
- अस्पतालों में नहीं मिल रही दवाएं…
- अस्पतालों में दवाओं की कमी से मरीज परेशान
रायपुर,06अक्टूबर 2025 (ए)। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) में हुए खरीदी घोटाले की कीमत मरीजों को चुकानी पड़ रही है। घोटाला उजागर होने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से दवाओं और उपकरणों की निविदाएं (टेंडर) नहीं खोली जा सकी हैं।
इसकी वजह से राज्य के अस्पतालों में पैरासिटामोल जैसी सामान्य और अति आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।
16 निविदाएं दो वर्षों से लंबित
सीजीएमएससी द्वारा दवा एवं औषधियों की खरीद के लिए जारी की गई कुल 16 निविदाएं दो वर्षों से लंबित हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 614 दिन बीतने के बावजूद एक भी निविदा की ‘कवर ए’ तक नहीं खोली गई है।
इनमें से कई टेंडर 2023-24 और 2024-25 की अवधि के हैं और उनमें बार-बार पूर्व की कंपनियों से ही री-टेंडर किया जा रहा है। सबसे पुराने टेंडर को 614 दिन हो चुके हैं। इसके अलावा सबसे नए को 246 दिन हुए हैं। कुछ निविदाओं में 100 से अधिक दवा व उपकरण शामिल हैं।
दवाओं की कमी से मरीज परेशान
प्रदेश के अस्पतालों में पैरासिटामाल जैसी अहम दवाओं की कमी है। इसके अलावा मौसमी बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाएं लोगों को बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। संवाददाता ने रायपुर जिला अस्पताल,पीएचसी,सीएचसी और हमर अस्पताल की पड़ताल की तो पाया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों को लिखी जाने वाली दवाओं में से अधिकांश अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं,जबकि अस्पतालों में लोकल परचेजिंग के लिए अलग से बजट की व्यवस्था है। स्वास्थ्य मंत्री,श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा…जिन दवाओं और उपकरणों की निविदा लंबित है,उन्हें जल्द ही पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) से खरीदी की जा रही है।
क्वालिटी जांच में फेल फिर भी हो रही खरीदी
नई निविदाएं न होने के कारण सीजीएमएससी में पुराने टेंडर पर ही खरीदी हो रही है। बीते आठ माह में बिना नए टेंडर के तकरीबन 100 करोड़ रुपये की खरीदी हो चुकी है। चुनिंदा दवाओं का रेट अनुबंध डेढ़ साल पहले खत्म हो चुका है। सिर्फ नाइन एम फार्मा कंपनी से बिना नए टेंडर के 100 प्रकार की दवाएं खरीदी जा रही है, जबकि इसी कंपनी की आधा दर्जन गुणवत्ताहीन दवाएं सप्लाई करने के मामले सामने आ चुके हैं। इस कंपनी के प्रोडक्ट मलिटी जांच में फेल हो चुके हैं।
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