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अम्बिकापुर@शौचालय में नवजात का प्रसव जीवन के लिए जूझ रहा बच्चा

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-संवाददाता-
अम्बिकापुर,15 नवम्बर 2025
(घटती-घटना)।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी,जब एक गर्भवती महिला के पेट में बच्चा हलचल महसूस नहीं होने पर हड़बड़ी में नर्सों को सूचित किया गया। महिला ने बताया कि कुछ समय पहले वह शौचालय गई थी, जहां उसने देखा कि नवजात का शरीर कंबोड में फंसा हुआ था। इसके बाद अस्पताल में हडकंप मच गया और पूरी चिकित्सा टीम ने तत्काल कदम उठाए। सफाई कर्मचारियों ने कंबोड को तोडकर नवजात को सुरक्षित बाहर निकाला और उसे तुरंत विशेष निगरानी के लिए एसएनसीयू में भर्ती किया गया। यह घटना उस वक्त हुई जब रामपति बाई नाम की 30 वर्षीय महिला,जो प्रतापपुर थाना क्षेत्र की निवासी है, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुई थी। महिला 7 महीने की गर्भवती थी और 13 नवंबर को प्रसव पीड़ा के चलते उसे प्रतापपुर से अंबिकापुर अस्पताल रेफर किया गया था। महिला के पेट में दर्द होने के बाद परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। महिला की स्थिति गंभीर होने के कारण डॉक्टरों ने उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया था, जहां उसका इलाज चल रहा था। शनिवार की सुबह, महिला शौचालय गई, लेकिन कुछ देर बाद उसे एहसास हुआ कि उसके पेट में बच्चा हलचल नहीं कर रहा है। घबराकर उसने नर्सों को इसकी सूचना दी, और जब नर्सों ने जांच की, तो पता चला कि प्रसव हो चुका है। इस दौरान नर्सों ने महिला से पूछा कि वह कहां गई थी, तो महिला ने बताया कि वह कुछ देर पहले शौचालय गई थी। नर्स और परिजन शौचालय के कंबोड में पहुंचे, जहां नवजात को देखा गया। नर्सों ने तुरंत सफाई कर्मचारी सुपरवाइजर आशिष से संपर्क किया, जिन्होंने कर्मचारियों को बुलाकर कंबोड को तोड़वाया। नवजात को बाहर निकाला गया, लेकिन उसकी स्थिति गंभीर थी। नवजात का शरीर नीला पड़ा हुआ था और दिल की धडकन बेहद धीमी थी। नवजात को एसएनसीयू में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेके रेलवानी के निगरानी में रखा गया। डॉक्टर ने बताया कि नवजात की हालत गंभीर थी,लेकिन उसकी स्थिति में मामूली सुधार देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि नवजात को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और उसे विशेष देखभाल दी जा रही है। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन और चिकित्सा कर्मचारियों को चौकस कर दिया है, क्योंकि इस प्रकार की घटनाएं गंभीर स्वास्थ्य संकटों को जन्म देती हैं। इस मामले में तत्काल कार्रवाई ने नवजात की जान बचाई, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि अस्पतालों में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है।


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