-संवाददाता-
अम्बिकापुर,29 अक्टूबर 2025
(घटती-घटना)।
सरगुजा राजपरिवार के मालिकाना हक वाले अलकनंदा टाकीज का लाइसेंस निरस्त करने के 33 साल पुराने मामले में अदालत ने तत्कालीन कलेक्टर टीएस छतवाल को दुर्भावना पूर्ण कार्यवाही का दोषी माना है। कोर्ट ने उन्हें मयब्याज 34795 रुपये राजपरिवार को क्षतिपूर्ति राशि अदा करने का आदेश दिया। यह बहुचर्चित मामला वर्ष 1992 का है। 2 मार्च को सरगुजा राजपरिवार के अरुणेश्वर शरण सिंहदेव के स्वामित्व वाली अलकनंदा टाकीज को नियमानुसार सिनेमा संचालन का लाइसेंस जारी किया गया था। टाकीज का संचालन उनके बड़े भाई पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव कर रहे थे। उसी दौरान वाड्रफनगर के बिजाकुरा गांव में रिबई पंडो और उसके परिवार के दो अन्य बच्चों की भूख से मौत की घटना ने पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी थी। इस मुद्दे को मध्यप्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री स्व देवेंद्र कुमारी सिंहदेव ने जोरदार ढंग से उठाया था,उन्होंने तत्कालीन कलेक्टर के निलंबन की मांग की थी। यह मामला इतना तूल पकडा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को स्वयं वाड्रफनगर आकर स्थिति का जायजा लेना पड़ा। राजनीतिक माहौल में बढ़ते तनाव के बीच 19 अप्रैल 1992 को तत्कालीन कलेक्टर टीएस छतवाल ने अलकनंदा टाकीज का लाइसेंस निरस्त करने के लिए नोटिस जारी किया। नोटिस का जवाब देने की अंतिम तिथि 23 अप्रैल थी,लेकिन 24 अप्रैल को जबलपुर हाईकोर्ट ने सिंहदेव परिवार के पक्ष में स्थगन आदेश जारी कर दिया। सिंहदेव के अधिवक्ता ने उसी दिन शपथपत्र सहित यह आदेश कलेक्टर को देने की कोशिश की,परंतु कलेक्टर ने मिलने से इंकार कर 24 अप्रेल की दोपहर अलकनंदा टाकीज का लाइसेंस निरस्त कर टाकीज का संचालन रोक दिया। इस कार्रवाई के चलते 24 और 25 अप्रैल के चार शो नहीं चल सके। सिंहदेव ने आठ हजार रुपये की क्षति की जानकारी देते हुए क्षतिपूर्ति की मांग की। अदालत में आबकारी आयुक्त ने बताया कि उनके कार्यालय में अलकनंदा टाकीज के लाइसेंस निरस्तीकरण से संबंधित कोई फाइल उपलब्ध नहीं है। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में तत्कालीन कलेक्टर टीएस छतवाल को दोषी पाते हुए ब्याज सहित 34,795 रुपये की क्षतिपूर्ति राशि राजपरिवार को देने का आदेश दिया। यह राशि न्यायालय में जमा करा दी गई है। दूसरा मामला वर्ष 1998 का है। तीन दशक बाद आये इस फैसले से साफ हो गया कि अलकनंदा टाकीज पर कार्यवाही राजनीतिक प्रतिशोध के चलते की गई थी। पूर्व मंत्री श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंह देव ने रिबई पंडो और बेटों की भूख से मौत का मामला मजबूती के साथ उठाया जी की राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बनी।
यह बात मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा की सरकार को नागवार गुजरी। सत्ता के इशारे पर उक्त कार्यवाही को अंजाम दिया गया। राजपरिवार के मुखिया एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के लिए यह फैसला राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। सिंहदेव के अधिवक्ता संतोष सिंह ने इसे न्याय की जीत बताया उन्होंने कहा कि सरगुजा पैलेस हमेशा कानून का सम्मान करता आया है। राजनीति सक्रियता चलते उन पर कई तरह के आरोप लगे सभी में वे कानूनी प्रकियाओं का पालन करते हुए बेदाग साबित हुए।
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