- एमसीबी पुलिस अधीक्षक के स्थानांतरण की मनमानी पर उठे सवाल…जाते-जाते कर दिया ‘चहेतों’ का उद्धार?
- क्या जाते-जाते एमसीबी के तत्कालीन एसपी अपने चहेते पुलिसकर्मियों पर उपकार करते गए…थाना दिलाते गए?
- इधर पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण आदेश आया उधर जाते-जाते उन्होंने अपने जिले के पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया?
- दैनिक घटती घटना की खबर पर एक बार फिर लगी मोहर, 112 में पदस्थ हुए मायावी प्रधान आरक्षक
- जिस दिन स्वयं का स्थानांतरण हुआ ठीक उसी दिन अपने जिले के पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण करना क्या नियम विरुद्ध नहीं?
- क्या अभी छत्तीसगढ़ के पुलिस विभाग में एक नई परंपरा शामिल हो रही है?
- उप निरीक्षक को मिला बड़ा थाना और निरीक्षक हाथ मलते रह गए…
- एक मायावी प्रधान आरक्षक को बुलाने के लिए अपने दूसरे विश्वसनीय प्रधान आरक्षक को रहने दिया जशपुर में…?
- जिसके साथ काफी लंबा सफर तय किया उसकी जशपुर से वापसी में नहीं दिखाई दिलचस्पी और मायावी की वापसी में खूब दिखी दिलचस्पी?


-संवाददाता-
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर,25 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। छत्तीसगढ़ के गृह विभाग के गृह मंत्री से यह सवाल अब होने लगा है की जब पुलिस विभाग में कई जिलों के एसपी को बदल गये है, इस बदलाव के दौरान एमसीबी जिले के एसपी का स्थानांतरण भी हुआ,यह आदेश 24 अक्टूबर को आया,ठीक उसी दिन तत्कालीन एसपी चंद्रमोहन सिंह ने इस जिले के कर्मचारियों का स्थानांतरण आदेश भी जारी कर दिया,क्या ऐसा करना सही है,क्या इस पर छत्तीसगढ़ गृह विभाग संज्ञान लेगा? वैसे इस मामले में कुछ पुलिस अधीक्षकों का कहना है कि यह गलत है,यदि आपको पता है कि आपका स्थानांतरण होना है तो आपको इस प्रकार का आदेश नहीं निकलना चाहिए,ऐसा पहले नहीं होता था पर ऐसा अब हो रहा है,मतलब कि यह एक नई परंपरा को जन्म दिया जा रहा है। एमसीबी जिले के तत्कालीन एसपी का स्थानांतरण सूची में नाम देखकर लोग चुटकी भी ले रहे हैं उनका कहना है कि वह तो ठीक हुआ कि अपने विदाई समारोह में जिले की आंतरिक तबादला सूची नहीं जारी की उन्होंने,यह दूसरी बार ऐसा इन्होंने किया है एक बार कोरिया जिले में रहते हुए और दूसरी बार एमसीबी जिले में रहते हुए,सूची भी छोटी नहीं है,काफी लंबी-चौड़ी है,दो पन्ने की सूची है,जिसमें 51 पुलिसकर्मियों के नाम है। बताया यह भी जाता है की पुलिस अधीक्षकों का जब स्थानांतरण होना रहता है तो उन्हें इस बात की जानकारी पहले हो जाती है इसीलिए वह स्थानांतरण के एक महीने के अंतराल में सूची निकालने से बचते हैं,पर यह ऐसे पुलिस अधीक्षक हैं जो अपने चहेतों के लिए जो इनके लिए तरह-तरह के काम करते हैं उनके लिए यह जाते-जाते एक उपहार स्वरूप ऐसी सूची निकाल कर जाते हैं? जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के स्थानांतरण आदेश के ठीक बाद जिस तेजी से पुलिस विभाग में तबादले हुए हैं, उसने विभागीय पारदर्शिता पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं? आरोप है कि जाते-जाते एसपी साहब ने अपने चहेते पुलिसकर्मियों का उद्धार करते हुए उन्हें मनपसंद थाने और चौकियों की जिम्मेदारी सौंप दी। इस बीच उप निरीक्षक घर के पुलिस थाने पहुंच गए और बड़े पुलिस थाने के प्रभारी बन गए वहीं निरीक्षक हांथ मलते रह गए,वैसे माना जा रहा है कि उद्धार परस्पर वाला यहां किया गया है।

पूर्व आईजी के स्थानांतरण आदेश को चार महीने में ही गलत ठहरा कर सभी कर्मचारियों को इन एसपी महोदय ने वापस बुला लिया…
सरगुजा संभाग के पूर्व आईजी ने सरगुजा संभाग में बेहतर पुलिसिंग को बढ़ावा देने के लिए उन पुलिसकर्मियों को इधर उधर किया था जो वर्षों से एक ही जगह या जिले में पदस्थ थे और जिनकी कार्यप्रणाली से विभाग की छवि धूमिल हो रही थी और पुलिस पर से लोगों का जिन पुलिसकर्मियों की वजह से कमजोर हो रहा था,ऐसे दोषपूर्ण कार्यप्रणाली वाले पुलिसकर्मियों को इन एसपी महोदय ने चार महीने में ही वापस बुलाने के लिए प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने सहमति प्रदान किया,एक तरह से इन्होंने पूर्व आईजी के स्थानांतरण आदेश को गलत ठहराया,ऐसा करके इन्होंने कईयों को वापसी के लिए सहयोग किया,यह पुलिसकर्मी पुनः या तो पुराने जिले में आकर फिर से दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के साथ काम कर रहे हैं या अगल बगल के जिले में वह काम कर रहे हैं,पुलिस विभाग के दोषपूर्ण कार्यप्रणाली वाले पुलिसकर्मियों के लिए एसपी साहब एक ढाल थे जो उनके लिए बेहतर प्रयास करते थे।

मायावी प्रधान आरक्षक फिर हुए पोस्ट,112 में मिली जिम्मेदारी
दैनिक घटती-घटना को जब भी कोई जानकारी मिली है वह हमेशा सच ही साबित होती है,मायावी प्रधान आरक्षक के एमसीबी जिले आने से लेकर उनकी वर्तमान पोस्टिंग तक की बात सही हो गई,दैनिक घटती-घटना ने खबर प्रकाशित कर यह बताया था कि पूर्व आईजी ने जिन विवादित पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण जिले से बाहर किया था उन्हें वर्तमान पुलिस अधीक्षक द्वारा वापस लाया जा रहा है,और वह हुआ भी, और ऐसे लोग आए भी, इस खबर में यह भी बताया गया था कि मायावी प्रधान आरक्षक को 112 की जिम्मेदारी मिलेगी जो तत्कालीन एसपी ने जाते-जाते आदेश जारी करके बता दिया की घटती घटना अखबार को मिलने वाली जानकारी सही होती है, सच्ची होती है एक बार फिर उस खबर पर मोहर लगा दी है। जिले के 112 आपातकालीन सेवा में पदस्थ एक मायावी प्रधान आरक्षक को फिर से मनचाही जिम्मेदारी मिली है। बताया जा रहा है कि यह वही प्रधान आरक्षक हैं, जिन्हें पूर्व में भी विशेष परिस्थितियों में पोस्टिंग का लाभ मिला था। खबर यह भी है कि जिस दिन तत्कालीन एसपी का स्थानांतरण आदेश जारी हुआ, उसी दिन इन आरक्षक का भी जादुई पुनःप्रवेश हुआ।
अब वर्तमान एसपी क्या पूर्व तत्कालीन एसपी के स्थानांतरण आदेश उपरांत स्थानांतरित पुलिसकर्मियों से बेहतर कार्य ले पाएंगी…
जब किसी जिले में नए पुलिस अधीक्षक का आगमन होता है वह अपने अनुसार परीक्षण कर यह तय करता है कि कौन सा पुलिसकर्मी किस जगह या पुलिस थाने के लिए उपयुक्त होगा और कैसे जिले की पुलिसिंग बेहतर होगी,एमसीबी जिले में पुराने पुलिस अधीक्षक ने ही जाते जाते स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया और उन्होंने यह तय कर दिया कि नए को किस पुलिसकर्मी से कहां कहां काम लेना है,नए पुलिस अधीक्षक के हांथ में आते ही ऐसे अधिकार नहीं होंगे कि वह जल्द तबादला कर पुलिसकर्मियों को अपने अनुसार जिले की बेहतर पुलिसिंग के लिए इस्तेमाल कर सके। वैसे अब देखना है कि क्या नई पुलिस अधीक्षक क्या पुराने पुलिस अधीक्षक की पसन्द वाले पुलिसकर्मियों से बेहतर काम ले पाती हैं। वैसे पुराने पुलिस अधीक्षक ने बेहतर पुलिसिंग के लिए परीक्षण आधारित तबादला नहीं किया है,जारी तबादला सूची साफ तौर बताती है कि यह मनचाही पदस्थापना प्रदान करके जारी की गई सूची है,गृह पुलिस थाना भी इस तबादले में प्रदान किया गया है और कई अन्य को भी मन मांगी मुराद पदस्थापना बतौर प्राप्त हुई है।

स्थानांतरण आदेश के साथ ही शुरू हुआ ‘ऑपरेशन पोस्टिंग’?
सूत्र बताते हैं कि जैसे ही वरिष्ठ मुख्यालय से तत्कालीन पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण आदेश जारी हुआ,उसी दिन जिले के भीतर कई आरक्षक,प्रधान आरक्षक और उपनिरीक्षकों के तबादले कर दिए गए। यह बात विभाग में चर्चा का विषय बनी हुई है कि जब कोई अधिकारी स्वयं ट्रांसफर पर हो,तो क्या उसे अपने अधीनस्थों की पोस्टिंग बदलने का अधिकार होना चाहिए? विभागीय नियमों के जानकार कहते हैं कि सामान्यतः ऐसे आदेश स्थानांतरण प्रभावी होने के बाद नए पदस्थ अधिकारी द्वारा किए जाते हैं। लेकिन यहां ठीक उल्टा देखने को मिला,मानो विदाई से पहले चुने हुए लोगों को उपहार मिल गया हो।
उप निरीक्षक को मिला बड़ा थाना,निरीक्षक हाथ मलते रह गए
स्थानांतरण सूची में कुछ नामों ने सबको चौंकाया। एक उप निरीक्षक को सीधे मुख्य थाना प्रभारी का चार्ज दे दिया गया,जबकि उसी जिले के वरिष्ठ निरीक्षक हाथ मलते रह गए। विभाग के अंदर यह चर्चा तेज है कि यह विश्वास या निकटता का परिणाम था? वैसे पुलिस थाने के साथ घर का पुलिस थाना मिला यह भी चर्चा है,वैसे माना जा रहा है जैसी चर्चा भी है कि उप निरीक्षक जुगाड और संबध बनाने में माहिर हैं और सत्ता से जुड़कर अपना लाभ तय करना उन्हें बखूबी आता है जो उनकी खूबी है।
‘विश्वसनीयों’ को जशपुर में ही रहने दिया गया
खबर यह भी सामने आई है कि तत्कालीन एसपी ने अपने एक विश्वसनीय प्रधान आरक्षक को जशपुर में ही रोक लिया, जबकि उनके साथ लंबे समय से काम करने वाले दूसरे प्रधान आरक्षक को मनेंद्रगढ़ लौटने में विशेष रुचि दिखाई। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, इस अदला-बदली के पीछे एक “मायावी समीकरण” काम कर गया।
क्या पुलिस विभाग में बन रही है नई परंपरा?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है क्या अब छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में यह नई परंपरा बनती जा रही है कि अधिकारी अपने स्थानांतरण से पहले अपने चहेते स्टाफ की पोस्टिंग तय कर जाएं? विभागीय सूत्र मानते हैं कि यदि ऐसा चलन जारी रहा, तो इससे न केवल मनोबल पर असर पड़ेगा, बल्कि निष्पक्षता की भावना भी कमजोर होगी।
जिले में चर्चा, मुख्यालय मौन
पूरा मामला फिलहाल चर्चा में है। हालांकि पुलिस मुख्यालय से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं, जिले के अंदर कुछ अधिकारी मानते हैं कि स्थानांतरण सूची की समीक्षा “प्रशासनिक शुचिता” के दृष्टिकोण से आवश्यक है।
बॉक्स न्यूज़:
- पूर्व आईजी आदेश को चुनौती: सरगुजा संभाग के पूर्व आईजी ने जिले में बेहतर पुलिसिंग के लिए स्थानांतरण किया था, जिसे तत्कालीन एसपी ने चार महीने में बदल दिया।
- विश्वसनीयों को विशेष लाभ: एक प्रधान आरक्षक को जशपुर में रोका गया, जबकि दूसरे को मनेंद्रगढ़ लौटने में रुचि दिखाई गई।
- नए एसपी की चुनौती: नए पुलिस अधीक्षक के लिए अब यह चुनौती होगी कि पुराने एसपी की पसंद वाले कर्मचारियों से बेहतर कार्य लिया जा सके।
विश्लेषण:- विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह चलन जारी रहा, तो न केवल विभागीय निष्पक्षता प्रभावित होगी बल्कि मनोबल पर भी असर पड़ेगा। ‘जाते-जाते पोस्टिंग’ के इस नए रूप ने पुलिस प्रशासन में पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
जिले में चर्चा:- इस घटनाक्रम ने जिले में हलचल मचा दी है। पुलिस मुख्यालय की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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