सूरजपुर@क्या राठौड़-राठिया गठजोड़ से हुआ था कथित वसूली का खेल?

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क्या तहसील में चलता है माफिया नेटवर्क…असली मास्टरमाइंड आखिर कौन?
जब पत्रकार ओंकार पाण्डेय ने शिकायतकर्ता का सच लिखा तो 10 लाख मानहानि का नोटिस से हुआ स्वागत

जो सच कहने से डरे…वही सबसे बड़े दोषी होते हैं?
कलम चलती रहेगी जब तक माफिया गिर न जाए…
जनदर्शन शिकायत पर कार्रवाई शून्य…प्रशासन की चुप्पी खुद सवालों में!


-न्यूज डेस्क-
सूरजपुर,24 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)।
भैयाथान तहसील में रिश्वतखोरी का जो मामला सामने आया है यह आरोप शिकायतकर्ता ने लगाया था वह अब सिर्फ एक अधिकारी तक सीमित नहीं दिख रहा। इशारे साफ हैं यह पूरी तरह से जड़ जमा चुका अवैध कारोबार भूमि का एक नेटवर्क का रूप ले चुका है। यह नेटवर्क बहुत बड़ा है इसमें अधिकारी सहित राजस्व अमला व भू-माफिया शामिल है, जिस नेटवर्क में आदेश ऊपर से वसूली नीचे से और जनता पिसती बीच में है,यह खेल कई महीनों से नहींज्कई सालों से चल रहा है, ऐसे मामलों में जब खबर प्रकाशित होती है शिकायतकर्ताओं के शिकायत के आधार पर तब पत्रकार को चुप करने के लिए रसूखदार अधिकारी द्वारा लाखों का मानहानि का दावा किया जाता है,ताकि वह इस मामले से दूर हो जाए और उस अधिकारी व उस नेटवर्क को राहत मिल सके? पत्रकार को 10 लाख की धमकी मानहानि का वैधानिक नोटिस मिल चुका है इससे डरे कौन से लोग? पत्रकार ओंकार पाण्डेय ने यह खबर प्रकाशित की उल्टा उन्हें ही भेजा गया 10 लाख की मानहानि का नोटिस,रिश्वत का आरोपी चुप सवाल पूछने वाला कटघरे में…तो क्या अब सच्चाई लिखना छड़ो दें अपराध मान कर? यह लड़ाई केवल एक नागरिक की नहीं व्यवस्था के विरुद्ध जंग है? ज्ञात हो की भैयाथान तहसील में रिश्वत मांगने के आरोपों पर उठी आग अब और भड़कती नजर आ रही है। शिकायतकर्ता सौरभ प्रताप सिंह ने जनदर्शन में लगाई शिकायत (टोकनः 22503 25001838) को कई सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन न कोई जांच, न कोई सवाल, न कोई जवाबदेही, जब पूरा मामला लिखित अभिलेखों में दर्ज हो चुका है, तो सवाल उठता है प्रशासन आखिर किस बात से डर रहा है?

माफिया का नेटवर्क “त्रिभुज सेटअप” 3 स्तर की भूमिका सामने:

श्रेणीभूमिकासंदिग्ध व्यक्ति
नीति/दबाव स्तर   निर्णय बदलवाना, आदेश पलटना      तत्कालीन/वर्तमान अधिकारी
वसूली स्तर       रकम तय करना, रिपोर्ट हेरफेरतहसीलदार/आर/कर्मचारी    
वसूलकर्त्ता स्तरसीधे पैसा लेना, धमकाना          नगर सैनिक/दलाल          

इसी वसूली चेन का सबसे विवादास्पद नाम- संजय भटगांव का नगर सैनिक जो सिर्फ भैयाथान में दिखाई देता है…क्यों? बिना ट्रांसफर, बिना आदेश फिर भी पूरा सिक्का क्या कोई उसे छत्रछाया प्रदान कर रहा है? क्या इस खेल के पीछे पुराने अफसरों की अदृश्य कमांड में हेरफेर करें?
जनता के बीच बड़ा सवाल: क्या तत्कालीन तहसीलदार संजय राठौड़ ही इस खेल का असली सूत्रधार? क्योंकि उन्हीं के समय नेटवर्क की जड़ें और गहरी हुईं, कई विवादित मामलों में वसूली की चर्चाएँ फैलती रहीं, वही लोग आज भी सक्रिय बस कुर्सियाँ बदल गईं, क्या यह सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि चेहरे का परिवर्तन है?
केस स्टडी में  सौरभ प्रताप सिंह शिकायत के पक्ष में मौजूद तथ्य पर एक नजर: यदि आरआई  की जांच रिपोर्ट, कब्जे का स्पष्ट उल्लेख, प्रतिवादी के हस्ताक्षर के बाद बिना रिश्वत दिए आदेश मिलना संभव फिर भी आदेश उल्टा क्यों? और जैसे ही 1 लाख रुपये देने से मना फ़ैसला सीधे खारिज! क्या यह न्याय है या नेटवर्क का दबाव?
खबर प्रकाशन के बाद पत्रकार पर प्रहार: सिस्टम की सबसे बड़ी स्वीकारोक्ति तब हो गई जब पत्रकार  ओंकार पाण्डेय ने शिकायतकर्ता के सिस्टम से प्रताड़ना का सच लिखा तब उन्हें व उनकी सच्ची पत्रकारिता को दबाने और उन्हें आंख दिखाने के लिए 10 लाख की मानहानि होने की नोटिस भेजी गई, वह भी बिना तथ्यों के सही मायने में तो पहले तहसीलदार की जांच होनी थी और जांच में क्या पाया गया उसके बाद यह स्थिति निर्मित होनी थी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ सीधे खबर को शिकायतकर्ता के आरोपो को मानहानि की नोटिस की नोक पर रखकर दबाने का प्रयास हुआ जो प्रयास एक लोकतंत्र के चौथे स्तंभ सीधा चोट पहुंचाने का है?
मामले का निष्कर्ष क्या: भ्रष्टाचार जब संगठित हो जाए…तो लड़ाई केवल एक केस की नहीं पूरे तंत्र की हो जाती है, भैयाथान तहसील में सवालों की संख्या बढ़ गई है…अब जवाब देने की बारी प्रशासन की होती है, यह सामचार जनहित में है।
नगर सैनिक की संदिग्ध तैनाती का खेल गहरा?: शिकायतकर्ता नगर सैनिक संजय पदस्थापन भटगांव में लेकिन वसूली भैयाथान के तहसील मामले में? सिस्टम कोई स्थानांतरण आदेश नहीं, कोई अनुमति नहीं फिर भी पूर्ण प्रभुत्व कैसे? ऊपर से रिश्वत वसूली में उनकी कथित सक्रिय भूमिका…क्या ये पूरी तरह से संगठित तंत्र का संकेत नहीं? क्या अंदर ही अंदर “सिस्टम” एक-दूसरे को बचाने में लगा है?
सूत्रों का दावा: सिर्फ वर्तमान तहसीलदार नहीं…‘तत्कालीन तहसीलदार’ तक डोर जुड़ी हो सकती है।” क्या तत्कालीन तहसीलदार संजय राठौड़ अब भी पर्दे के पीछे से इस पूरे मामले को प्रभावित कर रहे हैं? क्या राठौड़-राठिया गठजोड़ से हुआ था कथित वसूली का खेल? क्या नगर सैनिक संजय दोनों अधिकारियों का भरोसेमंद वसूलीकर्मी था? इन सवालों के जवाब प्रशासन ही दे सकता है पर अभी मौन है?
जनता का निष्कर्ष बिलकुल स्पष्ट: “जहां आरोपों की जांच न हो और पत्रकारों को धमकाया जाए वहां सच सबसे ज्यादा सुरक्षित है या सबसे ज्यादा ख़तरे में? हम जनहित की लड़ाई जारी रखेंगे! जब तक सच सामने न आए, दोषियों पर सख्त कार्रवाई न हो, शिकायतकर्ता को न्याय न मिले तब तक यह अभियान अखबार की सुर्खियाँ बनकर चलता रहेगा। सवाल पूछना हमारा अधिकार है और हम पूछते रहेंगे।
जनता का मांगपत्र कौन देगा जवाब?:-
1️ क्या कलेक्टर कार्यालय इस नेटवर्क को तोड़ने की हिम्मत करेगा?
2️ संजय मिश्रा को किसने भैयाथान बुलाया?
3️ पुराने फैसलों की जांच कब शुरू होगी?
4️ शिकायतकर्ता को सुरक्षा क्यों नहीं?
5️ क्या पत्रकार को डराना ही रक्षा का एकमात्र हथियार बचा है?
6 बड़े सवाल उठा रहे हैं भूचाल:-
1 सवाल:- रिश्वत माँगने का गंभीर आरोप फिर भी अब तक एफआईआर क्यों नहीं?
2 सवाल:- क्या आरोपी अधिकारी खुद से जांच करेंगे? यही वजह है चुप्पी की?
3 सवाल:- भटगांव का नगरसैनिक संजय मिश्रा केवल भैयाथान में ही क्यों सक्रिय?
4 सवाल:- जनदर्शन में शिकायत होना क्या कागज़ों तक ही सीमित है?
5 सवाल:- पत्रकार को डराने की कोशिश से क्या सच को दबाने का प्रयास हो रहा?
6 सवाल:- कलेक्टर के निर्देशों का पालन क्यों नहीं? कौन रोक रहा है?


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