भ्रष्ट अधिकारी को क्या फिर मिला अभयदान,निलंबित शिक्षा अधिकारी पुनः हुए बहाल
सरगुजा संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा रहते हुए किया था भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार के लिए हैं विख्यात…
सरगुजा संभाग में एक ऐसे शिक्षक व शिक्षक संघ के नेता हैं जो अधिकारी के निलंबित होने पर दुःखी और उनके बहाल होने पर खुशी जाहिर करते हैं…
अधिकारी को जितना निलंबित होने से दुःख नहीं होता है उतना एक शिक्षक नेता को दुःख होता है उनके निलंबन से…
क्या पूर्व सरकार से लेकर वर्तमान सरकार तक अधिकारी निलंबित व बहाली की प्रक्रिया में नौकरी काट रहा है?
शिक्षा विभाग क्या केवल शिक्षकों के भरोसे ही बनेगा आदर्श विभाग,क्या अधिकारियों को भ्रष्टाचार के बाद भी मिलता रहेगा अभयदान?


-न्यूज डेस्क-
अंबिकापुर,24 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। फिर एक बार शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के लिए विख्यात अधिकारी की बहाली तय हो गई,हाल ही में जब उक्त अधिकारी का निलंबन हुआ था तो उसके कार्यकाल के भ्रष्टाचार की बातें फिर एक बार सामने आईं थीं और आलोचनाएं हुईं थीं लेकिन अब पुनः बहाली के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या शिक्षा विभाग केवल शिक्षकों के भरोसे ही आदर्श विभाग बनेगा और वहीं क्या अधिकारियों को भ्रष्टाचार के बाद भी अभयदान मिलता रहेगा,वैसे भ्रष्टाचार के साथ खड़े शिक्षक संघों के नेताओं की भी क्या सच्चाई शिक्षक समझेंगे और उन्हें भ्रष्ट अधिकारियों के समर्थन के लिए दोष देंगे,सवाल इसलिए क्योंकि दैनिक घटती घटना ने प्रदेश के एक शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारी को लेकर कई बार समाचार का प्रकाशन किया था,समाचार का आधार शिक्षकों से प्राप्त ही सूचनाएं थीं जो उन्हें आर्थिक शोषण का शिकार बताती थीं,शिक्षकों के शोषण से अपना महल बनाने वाले शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने शिक्षकों को तब अपनी लालच का शिकार बनाया था जब वह कई दशकों की ईमानदारी से की गई सेवा के बाद बड़ी मुश्किल से पदोन्नति प्राप्त कर रहे थे और तब एक भ्रष्ट और लालची अधिकारी ने अपने लालच के लिए इस्तेमाल किया और उन्हें पदोन्नति पश्चात मनचाही पदस्थापना प्रदान करने के नाम पर आर्थिक रूप से शोषित किया।
पैसा भी इतना लिया गया कि कई शिक्षक उधार तक मांगने विवश हो गए वहीं जो नहीं दे सके वह दूरस्थ भेज दिए गए जबकि वह निकट के लिए पात्रता रखते थे,यह सब खेल चिकित्सा प्रमाण-पत्र और संशोधन के हथियार के साथ खेला गया जिसमें कुछ शिक्षक नेता दलाली भी कर भूमिका अपनी निभा गए और अधिकारी के नाम पर अपनी भी जेब गर्म कर गए,शोषित शिक्षकों में से तब जिसने आवाज उठाई वह डराए गए किसी को निलंबित किया गया वहीं मामले ने जब तुल पकड़ा अधिकारी निलंबित हुए और गड़बड़ी पर जांच भी तय हुई,वैसे जांच और कार्यवाही की बजाए पुनः अधिकारी बहाल हुआ और फिर वहीं आया जहां उसने विभाग को दूषित करते हुए भ्रष्टाचार मचाया था। अधिकारी कुछ दिन बना रहा और फिर उसे हटाया गया लेकिन जहां वह गया वहां से फिर वह मनचाही जगह पहुंच गया और जब नए शिक्षा मंत्री तक बात पहुंची भ्रष्टाचार की अधिकारी निलंबित कर दिया गया,नए शिक्षा मंत्री की कार्यवाही निलंबन वाली तारीफ के काबिल बनी लेकिन अब नई जानकारी आई कि फिर अधिकारी बहाल हो गया,शिक्षा विभाग के इस भ्रष्ट अधिकारी का निलंबन और बहाली जैसे एक सतत प्रक्रिया है और इसके लिए विभाग हमेशा खाली बैठा हुआ है, इस अधिकारी के विषय में यही समझ में आता है। भ्रष्ट अधिकारी सरगुजा संभाग में संयुक्त संचालक शिक्षा रहते हुए जिस कदर भ्रष्टाचार में डूबा रहा वह जगजाहिर विषय है। संयुक्त संचालक सरगुजा रहते हुए उक्त अधिकारी ने बड़ी चालाकी से अपने भ्रष्टाचार के दुकान का संचालन किया था,कुछ शिक्षक नेताओं की दलाली से यह अधिकारी मालामाल होता रहा,वैसे उसका साथ देने वाले शिक्षक नेता भी बड़ी बेशर्मी से भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मानते नजर आते हैं,जब अधिकारी निलंबित होता है वह मायूस हो जाते हैं जब निलंबित होता है वह प्रसन्न हो जाते हैं,उनकी मायूसी और उनकी प्रसन्नता बताती है कि अधिकारी ने चिल्हर कम से कम भ्रष्टाचार का उन्हें भी प्रदान किया है जिसके कारण वह भ्रष्ट अधिकारी के लिए हर हाल में खड़े नजर आते हैं।
संयुक्त संचालक सरगुजा रहते हुए किया था अधिकारी ने भ्रष्टाचार,दूसरी बार हुआ था निलंबित
उक्त अधिकारी संयुक्त संचालक शिक्षा सरगुजा रहते हुए निलंबित हुआ था,अधिकारी ने सरगुजा में शिक्षा विभाग को दूषित करने का काम किया था और शिक्षकों को उनकी पदोन्नति के दौरान आर्थिक रूप से शोषित किया था,शिक्षकों ने विरोध किया था लेकिन कुछ दलाल शिक्षक नेताओं ने शिक्षकों की बजाए अधिकारी का साथ दिया था जिसके बाद मामले में अधिकारी निलंबित हुआ था। माना जाता है कि तब करोड़ों रुपए की वसूली शिक्षकों से हुई थी जिसमें कुछ शिक्षक नेताओं ने दलाली कर अपनी भी जेब भरी थी।
भ्रष्ट अधिकारी के निलंबन से दुखी और बहाली से प्रसन्न होते हैं सरगुजा संभाग के एक तथाकथित शिक्षक नेता
जिस भ्रष्ट अधिकारी की निलंबन बहाली की बात हो रही है उसने शिक्षक नेताओं को अपना समर्थक भी बना रखा है,कुछ शिक्षक नेता उक्त अधिकारी के निलंबन से उदास होते हैं और उसकी बहाली से प्रसन्न,शिक्षक नेताओं के लिए वह किसी भगवान से कम नहीं ऐसा कहना उनकी उदासी और प्रसन्नता देखकर गलत नहीं लगता,वैसे शिक्षक नेताओं को शिक्षकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए अधिकारियों से उनकी दूरी समझ में आनी चाहिए लेकिन उनकी नजदीकियां भ्रष्ट अधिकारी से वह भी जिसने शिक्षकों का शोषण किया समझ से परे है और जिसे वह अपनी शान समझते हैं।
शिक्षा विभाग क्या शिक्षकों के भरोसे ही बनेगा महान…अधिकारी करेंगे भ्रष्टाचार…मिलेगा अभयदान?
भ्रष्ट अधिकारी की बहाली से एक सवाल खड़ा होता है कि क्या शिक्षा विभाग शिक्षकों के सहारे की मात्र महान बनेगा, क्या अधिकारियों के लिए भ्रष्टाचार अभयदान का मामला बना रहेगा, वैसे दो बार का निलंबन और दोनों बार की बहाली बताती है कि मामला शिक्षकों पर ही अनुशासन कायम करने तक का है शिक्षा विभाग में।
निलंबन और बहाली के लिए विख्यात शिक्षा विभाग का अधिकारी फिर हुए निलंबन से बहाल
शिक्षा विभाग में बड़े भ्रष्टाचार के लिए विख्यात अधिकारी फिर बहाल हो गया,बहाली भी चंद ही दिनों में सम्भव हो गई,ऐसा लगा जैसे विभाग की एक शाखा उसी के लिए स्थापित है जो उसके निलंबन और बहाली के लिए स्वतंत्र और एकल स्थापित है,यह दूसरी बार है कि उक्त अधिकारी बिना जांच के पूर्ण हुए बहाल कर दिया गया। वैसे जांच भी कछुए की चाल से जारी है यदि वह भी अधिकारी के निलबंन और बहाली जैसी तेज होती अब तक पूर्ण हो चुकी होती, अधिकारी अब जांच जारी रहते हुए पद में बना रहेगा और अपने लिए सेवा निवृत्ति स्वत्व के भुगतान की तैयारी करेगा,इस बीच उसकी और उसके भ्रष्टाचार की चर्चा बंद हो चुकी होगी और वह आराम से सेवा निवृत्त हो चुका होगा।
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