सुबह की पाली देर से शुरू, शाम की पाली में अधिकांश डॉक्टर नदारद मरीज बेहाल, रोजाना रातों में जिला चिकित्सालय बन जाता है रेफर सेंटर
-शमरोज खान –

सुरजपुर,29 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों की मनमानी से मरीजों को लगातार परेशानी झेलनी पड़ रही है। इलाज की उम्मीद लेकर पहुँचने वाले मरीज समय पर डॉक्टरों को नहीं पाते। परिणामस्वरूप कई बार उन्हें घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है,तो कई मजबूर होकर बिना इलाज कराए ही लौट जाते हैं।
मरीजों की बढ़ती परेशानी
इस लापरवाही का सीधा असर आम मरीजों पर पड़ रहा है। दूर-दराज से आने वाले ग्रामीण मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है। उन्हें इलाज कराने के लिए पूरे दिन का समय और अतिरिक्त खर्च दोनों झेलना पड़ता है।
प्रशासन से अपेक्षा
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जिला अस्पताल में चिकित्सकों की मनमानी पर रोक लगाना बेहद जरूरी है। वे मांग कर रहे हैं कि अस्पताल में डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस,नियमित निरीक्षण और कठोर कार्रवाई की व्यवस्था की जाए। लोगों को उम्मीद है कि वर्तमान कलेक्टर इस स्थिति पर ध्यान देंगे और जिला अस्पताल की अव्यवस्था को सुधारेंगे।
समय पर नहीं पहुँचते डॉक्टर
नियम के मुताबिक सुबह 9 बजे से चिकित्सकों की ड्यूटी प्रारंभ होनी चाहिए,लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश डॉक्टर 10 बजे के बाद ही अस्पताल पहुँचते हैं। इससे सुबह जल्दी आने वाले मरीजों को घंटों तक इंतज़ार करना पड़ता है।
बीच में भी गायब रहते हैं…
मरीजों का कहना है कि समय पर पहुँचने में देरी करने के बाद भी डॉक्टर अपने चैंबर में लगातार नहीं बैठते। वे इधर-उधर समय बिताते नज़र आते हैं। कई बार गंभीर मरीज भी डॉक्टर को ढूँढते रह जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है।
दोपहर से पहले ही निकल लेते हैं डॉक्टर
डॉक्टरों की लापरवाही यहीं तक सीमित नहीं है। जानकारी के अनुसार कई चिकित्सक दोपहर 1 बजे से पहले ही अस्पताल छोड़ देते हैं। जिससे बाद में आने वाले मरीजों को न तो परामर्श मिलता है और न ही उचित इलाज।
शाम की पाली में तो हालत और भी खराब
शाम की पाली में तो स्थिति और भी चिंताजनक है। अधिकांश चिकित्सक शाम को ड्यूटी पर पहुँचते ही नहीं। परिणामस्वरूप अस्पताल की दूसरी पारी लगभग नाम मात्र की रह जाती है। ऐसे में जो मरीज शाम को इलाज के लिए आते हैं, उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है।
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