-संवाददाता-
अम्बिकापुर,29 नवम्बर 2025
(घटती-घटना)।
स्वास्थ्य सेवाओं की गड़बड़ी और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उदयपुर में अनियमितताओं की गंभीर शिकायतों के मद्देनजऱ, सरगुजा संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. अनिल कुमार शुक्ला ने एक औचक निरीक्षण कर इस मामले की गंभीरता से जांच की। इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्र के कर्मचारियों की अनुपस्थिति और अन्य अनियमितताओं को पाया, जिसके बाद उन्होंने तत्काल प्रभाव से कठोर कदम उठाए। संभागीय संयुक्त संचालक ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उदयपुर का निरीक्षण 28 नवम्बर की शाम करीब 4.50 बजे किया, जब वह यह जानने के लिए पहुंचे कि क्या यहाँ की स्वास्थ्य सेवाएं ठीक से चल रही हैं या नहीं। निरीक्षण के दौरान कई बड़ी कमियाँ सामने आईं, जिनमें ओपीडी सेवाओं का संचालन निर्धारित समय पर न होना, लैब और दवाइयाँ उपलब्ध नहीं होना, सुरक्षा गार्ड की अनुपस्थिति और कर्मचारियों का गणवेश में न होना प्रमुख थे। इसके अलावा, उपस्थिति पंजी में 10 से 11 कर्मचारी बिना किसी सूचना के अनुपस्थित पाए गए, जिनमें खंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) खुद भी शामिल थे, जो स्वास्थ्य केन्द्र के सुव्यवस्थित संचालन के लिए जिम्मेदार थे। संभागीय संयुक्त संचालक ने पाया कि बीएमओ की लापरवाही के कारण स्वास्थ्य केन्द्र की सेवाओं में अव्यवस्था आई थी। ओपीडी रजिस्टर भी सही तरीके से संधारित नहीं किया गया था, और यह स्पष्ट था कि स्वास्थ्य केन्द्र में कर्मचारियों की उपस्थिति भी नियमित नहीं थी। यह स्थिति मरीजों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रही थी, क्योंकि आपातकालीन स्थिति में मरीजों को अंबिकापुर या लखनपुर की ओर दौडऩे की नौबत आ रही थी। डॉ. शुक्ला ने इस बारे में पहले भी खंड चिकित्सा अधिकारी को नोटिस जारी किया था, लेकिन उनके कार्य में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके चलते स्वास्थ्य केन्द्र की सेवाएं प्रभावित हो रही थीं, और कर्मचारी भी नियमों के मुताबिक काम नहीं कर रहे थे। ऐसे में डॉ. शुक्ला ने बीएमओ डॉ. योगेन्द्र पैकरा को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया और उनके स्थान पर डॉ. संजीव कुमार तिग्गा को प्रभारी खंड चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उदयपुर में स्वास्थ्य सेवाओं का संचालन सुचारु रूप से हो सके और मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा का समुचित लाभ मिल सके।
डॉ. शुक्ला ने स्पष्ट किया कि भविष्य में स्वास्थ्य केन्द्र के संचालन में कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी, और इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने दी जाएगी। यह कार्रवाई न केवल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार लाने के लिए की गई है, बल्कि यह सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
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