
- सूरजपुर में महिला एवं बाल विकास विभाग की घोर लापरवाही उजागर…
- बच्चे सड़क पर, अधिकारी कागज पर, यह कैसी विकास की तस्वीर?
- सूरजपुर में बाल भिक्षावृत्ति बेकाबू…महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी तरह विफल…
- नन्हे हाथ भीख में व्यस्त…सिस्टम चैन की नींद में…शर्म करो अधिकारी…
- कानून किताबों में…बच्चे सड़क पर…किसका विकास…किसकी जिम्मेदारी?
-ओंकार पांडेय-
सूरजपुर,16 नवंबर 2025
(घटती-घटना)।
शहर के चौक-चौराहों पर फैली असंवेदनशीलता का सबसे शर्मनाक दृश्य आज हमारा सिस्टम खुद बन चुका है,हर दिन सूरजपुर की सड़कें इस सच की गवाह हैं कि हमारे अधिकारी कागजी योजनाओं में व्यस्त हैं और बच्चों का बचपन सड़क पर बिखर रहा है।
कानून किताबों में, बच्चे सड़क पर… सबसे बड़ा विरोधाभास
बाल भिक्षावृत्ति रोकथाम कानून कहता है कि हर भिक्षा करते बच्चे को रेस्क्यू किया जाए, परिवार की आर्थिक स्थिति का मुआयना हो, शिक्षा व पुनर्वास की गारंटी हो लेकिन सूरजपुर में कानून केवल फाइलों में बंधा पड़ा है,मासूम बच्चे रोज़ कानून की लाचारी का मजाक उड़ाते हुए सड़क पर खड़े हैं,क्या अधिकारी केवल कुर्सी बचाने में माहिर हैं? या बच्चों की जिंदगी उनकी प्राथमिकता में है ही नहीं? आज सवाल यह नहीं है कि बच्चे भीख क्यों मांग रहे हैंज् सवाल यह है कि अधिकारी कब तक देख-सुनकर भी अनदेखा करते रहेंगे?

सूरजपुर की सच्चाई कड़वी है…
यहाँ बच्चे सड़क पर छोड़ दिए जाते हैं और फाइलें एसी कमरों में पलटी जाती हैं।,जब तक सिस्टम जागेगा नहीं,ये नन्हे हाथ रोज़ हर चौराहे पर जिल्लत का कटोरा थामे खड़े रहेंगे,और हम सब तमाशबीन बने रहेंगे।
बच्चे सड़क पर…और अधिकारी मीटिंग में…
सूरजपुर शहर के प्रमुख स्थानों बस स्टैंड, अस्पताल चौराहा, कलेक्ट्रेट रोड और मार्केट एरिया में मासूम बच्चे हाथ फैलाए नजर आते हैं, ये वे बच्चे हैं जिन्हें किताबें थामी होनी चाहिए थी, लेकिन वे मजबूरी में भीख मांग रहे हैं, और प्रश्न यह है, क्या महिला एवं बाल विकास विभाग की आँखें बंद हैं, या जानबूझकर मुंह फेर रखा है?
लाखों का बजट,जमीन पर शून्य काम,यह कैसी व्यवस्था?
पिछले वर्ष विभाग को बाल संरक्षण, पोषण, और पुनर्वास योजनाओं के लिए लाखों रुपये का बजट जारी हुआ,पर शहर में न रेस्क्यू अभियान दिख रहा है,न पुनर्वास की कोशिश,न निगरानी,यह साफ संकेत है कि कागजों पर योजनाएं चमक रही हैं,और सड़क पर बच्चे दम तोड़ रहे हैं।
सिस्टम की चुप्पी, क्या यह मूक समर्थन है?
जहाँ-जहाँ अधिकारी रोज़ गुजरते हैं,वहीं बच्चे भीख मांग रहे हैं,इसके बावजूद कार्रवाई का एक भी उदाहरण सामने नहीं आता,यह चुप्पी क्या दर्शाती है? संवेदनहीनता? प्रशासनिक विफलता? या फिर योजनाओं के नाम पर केवल खानापूर्ति?
सूरजपुर में बढ़ता भिक्षाटन, क्या संगठित गिरोह सक्रिय?-
लगातार बढ़ती संख्या ने संदेह गहरा किया है कि कहीं बच्चों का इस्तेमाल करने वाला संगठित तंत्र तो सक्रिय नहीं है, लेकिन विभाग की चुप्पी यह साफ कर रही है कि जांच की न इच्छा है, न इच्छाशक्ति।
घटती-घटना – Ghatati-Ghatna – Online Hindi News Ambikapur घटती-घटना – Ghatati-Ghatna – Online Hindi News Ambikapur