
कोरिया@घटती-घटना की खबर का असर:जिला प्रशासन ने लिया संज्ञान

-राजन पाण्डेय –
कोरिया,15 नवंबर 2025
(घटती-घटना)।
दैनिक घटती-घटना द्वारा रेवला ग्राम की समस्याओं को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। कलेक्टर कोरिया के निर्देश पर प्रशासनिक अमला पहली बार वनांचल ग्राम रेवला पहुंचा और ग्रामीणों से सीधा संवाद किया। इससे ग्रामवासियों में वर्षों बाद आशा की किरण जगी है।
पहली बार पहुंचा प्रशासनिक दल
रेवला गांव में आज तक किसी भी विभाग का उच्च स्तरीय अमला नहीं पहुंचा था। लेकिन इस बार एसडीएम सोनहत अंशुल वर्मा, पीएचई विभाग के कार्यपालन अभियंता, क्रेडा अधिकारी, बीएमओ सोनहत सहित अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी रेवला पहुंचे, पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश, खराब सोलर होम लाइट की जगह नई स्थापित करने क्रेडा को आदेश, ग्रामीणों की अन्य समस्याओं की विस्तृत जानकारी ली गई, एसडीएम ने कहा कि रेवला की समस्याओं के हर संभव निराकरण का प्रयास किया जाएगा।
दूरस्थ और दुर्गम ग्राम रेवला की वास्तविक तस्वीर
रेवला ग्राम में 50 से अधिक पंडो एवं चेरवा जनजाति के परिवार निवास करते हैं, लेकिन आज तक यहां विकास की रोशनी नहीं पहुंच सकी है, रेवला की प्रमुख समस्याएं,बिजली नहीं,सड़क नहीं, शुद्ध पेयजल नहीं,स्कूल नहीं,स्वास्थ्य सुविधा नहीं,किसी भी विभाग के नियमित दौरे नहीं रेवला पहुंचने के लिए आज भी पगडंडियों और खतरनाक चढ़ाइयों से गुजरना पड़ता है। चार पहिया वाहन तो दूर,मोटरसाइकिल ले जाना भी कठिन है।
स्वास्थ्य सुविधा बेहद खराब,मरीजों को खाट पर उठाकर ले जाते ग्रामीण
एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंचती। ग्रामीणों ने बताया कि बीमारी हो या प्रसव,मरीज को खाट पर कंधे के सहारे पहाड़ी रास्तों से मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है,उसके बाद ही अस्पताल पहुंचना संभव होता है,हालांकि चिरायु टीम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कभी-कभार आते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नियमित उपस्थिति नहीं रहती।
खेती करते हैं लेकिन बेच नहीं पाते,केसीसी नहीं,पंजीयन नहीं…
ग्रामीण कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं। धान तो उगाते हैं, पर सड़क खराब होने से समिति तक ले नहीं जा पाते,न किसान पंजीयन है,न केसीसी,न खाद-बीज उपलब्ध पटवारी भी साल में सिर्फ एक बार आता है। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुंच ही नहीं पाता।
15 बच्चों वाला गांव पर एक भी स्कूल नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में लगभग 15 स्कूली बच्चे हैं, फिर भी आज तक कोई प्राथमिक शाला नहीं खोली गई, सबसे नजदीकी स्कूल 20 किलोमीटर दूर मेण्ड्रा में है, जबकि पंचायत मुख्यालय 35 किलोमीटर दूर कछाड़ी है, माता-पिता बताते हैं कि बच्चों से मिलने या सामान पहुंचाने में भारी मशक्कत होती है, कई बार बच्चे महीनों बाद ही परिवार से मिल पाते हैं।
प्रशासन के दौरे से जगी उम्मीद
ग्रामीणों का कहना है कि आज पहली बार प्रशासन उनके द्वार तक आया है, इससे उन्हें उम्मीद है कि अब सड़क,पानी,बिजली और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जाएगा,एसडीएम के लगातार ग्रामीण दौरों के चलते भी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।
कोरिया जन सहयोग समिति ने उठाई थी आवाज
10 दिन पहले घटती-घटना की टीम जब रेवला पहुंची थी,तब कोरिया जन सहयोग समिति के अध्यक्ष पुष्पेंद्र राजवाड़े,सदस्य बालकरन और मोहन प्रसाद भी वहां पहुंचे थे। पुष्पेंद्र राजवाड़े ने कहा रेवला की भौगोलिक स्थिति बेहद विषम है, यहां स्कूल खोलने की आवश्यकता अत्यंत जरूरी, सड़क मरम्मत और मोबाइल नेटवर्क बहाली की मांग की जाएगी,सड़कों का मुरमीकरण,सोलर लाइट व्यवस्था और पेयजल समाधान जरूरी,इतने से भी ग्रामीणों को बड़ी राहत मिल सकती है उन्होंने कहा कि रेवला का विकास संभव है, बस शासन–प्रशासन की थोड़ी सी संवेदनशीलता की जरूरत है।
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