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सूरजपुर@मानी में रोजाना 50 लाख का जुआ! चार महीने से चल रहा कथित खेल,पुलिस खामोशःसूत्र

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  • ‘शिकायत करो, कुछ नहीं होगा,मानी में जुआ संचालित करने वालों का दावा? जांच की मांग तेज
  • सूरजपुर में अवैध जुए का बड़ा नेटवर्क…नामों की चर्चा,कार्रवाही गायब…
  • चार महीनों से जुआ रैकेट सक्रिय? मानी में कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल
  • जुए के धंधे पर पुलिस की चुप्पी क्यों? मानी में करोड़ों का कथित खेल उजागर


-शमरोज खान-
सूरजपुर,15 नवम्बर 2025 (घटती-घटना)।
सूरजपुर जिले के मानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जुआ संचालित होने की गंभीर शिकायतें सामने आई हैं,सूत्रों का दावा है कि प्रतिदिन लगभग 50 लाख रुपए तक का जुआ खेला जा रहा है,जिसकी सूचना स्थानीय स्तर पर कई लोगों के पास है सूत्रों के मुताबिक,इस कथित जुआ संचालन में कुछ बाहरी और स्थानीय व्यक्तियों की संलिप्तता बताई जा रही है,जिनमें शमशेर,श्रीनगर के राजकुमार और बबलू (बैंढन,मध्य प्रदेश) का नाम लिया जा रहा है,हालांकि इस संबंध में आधिकारिक रूप से किसी भी स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि यह कथित जुआ लगभग चार महीने से लगातार चल रहा है, लेकिन अब तक पुलिस द्वारा किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं कि जुआ संचालित करने वाले कथित लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि‘किसी भी शिकायत का कोई असर नहीं होगा,कोई कार्यवाही नहीं होगी।’इन आरोपों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन यदि शिकायतें सही हैं तो यह मामला कानून-व्यवस्था और पुलिस कार्रवाई पर बड़े सवाल खड़े करता है,जांच के दौरान स्थानीय सूत्रों, व्यापारियों और पास के इलाकों के कई लोगों ने बताया कि कथित तौर पर प्रतिदिन 40-50 लाख रुपये तक का जुआ खेला जा रहा है।
साइबर सेल के कर्मचारियों की संलिप्तता की चर्चाएं तेज,लाखों का कारोबार की सुगबुगाहट
सूरजपुर जिले के मानी क्षेत्र में लंबे समय से संचालित अवैध जुआ फड़ को लेकर नए और गंभीर आरोप सामने आए हैं,सूत्रों के अनुसार,यहां लाखों रुपये का जुआ रोज संचालित होने की बात कही जा रही है, और सबसे गंभीर आरोप यह है कि इस पूरे संचालन में साइबर सेल के कुछ कर्मचारियों की ‘संलिप्तता या संरक्षण’ की चर्चा तेज हो गई है, सूत्रों की बात ‘जुआ फड़ का कोडनेम साइबर सेल से जुड़ा’ स्थानीय सूत्र बताते हैं कि जुआ स्थल पर ‘जारी’ के नाम से चल रहा एक शॉर्टकट सिस्टम उपयोग किया जा रहा है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह साइबर सेल कर्मचारियों द्वारा तय या सुविधाजनक किया गया कोड बताया जा रहा है ताकि जारी (कोड) की जानकारी पुलिस विभाग के अन्य अधिकारियों तक न पहुंचे और किसी भी बाहरी जांच या कार्रवाई से जुआ संचालक सुरक्षित रहें हालांकि इन आरोपों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है, परंतु क्षेत्र में यह चर्चा लगातार बढ़ती जा रही है।
चार महीने से लगातार चल रहा खेल,लेकिन कार्रवाई शून्य?
सूत्र यह भी बताते हैं कि यह कथित जुआ पिछले 4 महीनों से लगातार चल रहा है,सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध गतिविधि चलने की सूचना के बावजूद अब तक पुलिस द्वारा किसी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई, स्थानीय लोगों का कहना है कि जुआ संचालित करने वाले कथित लोग खुलेआम दावा करते हैं ‘चाहे कहीं शिकायत कर लो, कोई कार्रवाई नहीं होगी।’ यह बयान खुद ही कानून-व्यवस्था की स्थिति और पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
जगह बदलकर खेला जा रहा जुआ,पकड़ से बचने की तकनीक?
जांच के दौरान सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार जुआ कई बार स्थान बदलकर खेला जाता है, जिससे कार्रवाई करना और भी मुश्किल हो जाता है। बताया जाता है कि इस कथित जुआ रैकेट के पास बाहरी राज्यों से आने वाले खिलाड़ी स्थानीय संपर्क सूत्र और निगरानी रखने वाले लोग सक्रिय हैं।
स्थानीय जनता डरी,प्रशासन खामोश?
कई ग्रामीणों ने बताया कि वे इस पूरे मामले की शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि ‘ऊपर तक पहुँच’ का दावा किया जाता है, स्थानीय व्यापारियों का यह भी कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर जुआ चलना क्षेत्र में अपराध बढ़ने, शराबखोरी और नशे के फैलाव, हिंसक घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।
पुलिस की चुप्पी बड़ी पहेली
जबकि कानून स्पष्ट है कि किसी भी प्रकार के जुए पर तत्काल कार्रवाई अनिवार्य है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मानी क्षेत्र में ‘सिस्टमेटिक साइलेंस’ देखने को मिल रहा है, इस संबंध में आधिकारिक प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हो सकी है, अगर शिकायतें सही हैं, तो यह पूरा मामला उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है।
अगर शिकायत का असर
नहीं होता,तो कानून किसके लिए है?
सूरजपुर मानी के जुआ मामले ने पुलिस पर उठाए बड़े सवाल सूरजपुर जिले के मानी क्षेत्र में कथित तौर पर रोजाना 50 लाख का जुआ खेला जाना केवल एक अवैध गतिविधि नहीं है यह सिस्टम के भीतर मौजूद खामियों का आईना भी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि सूत्र बताते हैं कि जुआ संचालित करने वाले कथित लोग खुलेआम यह दावा करते हैं कि ‘किसी भी शिकायत का कोई असर नहीं होगा।’ यदि यह सही है, तो यह सिर्फ जुआ का मामला नहीं बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की विफलता का मुद्दा बन जाता है।
कानून केवल किताबों में?
जुए पर प्रतिबंध है,जुए में लिप्त पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, लेकिन जब धरातल पर कानून लागू नहीं होता, तब कानून का अस्तित्व ही सवालों में घिर जाता है, चार महीने तक खेल चलता कैसे रहा? यदि एक अवैध गतिविधि चार महीनों तक लगातार चलती है और स्थानीय प्रशासन तक इसकी भनक नहीं पहुंचती या पहुँच कर भी कार्रवाई नहीं होती तो इसका मतलब साफ है कि या तो सूचना छुपाई जा रही है या सूचना पर अमल करने में कहीं न कहीं बाधा है।
जरूरत है उच्च स्तरीय जांच की…
यदि आरोप सही हैं,तो यह मामला केवल स्थानीय स्तर का नहीं,बल्कि जिले और संभाग स्तर की तत्काल जांच का विषय बन जाता है, ऐसे मामलों में खुफिया जांच, वित्तीय ट्रैकिंग, और पुलिस की भूमिका तीनों का परीक्षण जरूरी है। मानी की यह घटना हमें याद दिलाती है कि प्रशासनिक तंत्र तभी मजबूत है जब वह कानून को जमीन पर लागू करने की क्षमता रखता हो, न कि सिर्फ फाइलों में।
पुलिस की आधिकारिक प्रतिक्रिया का इंतजार
अब तक पुलिस विभाग की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है क्षेत्रवासियों का कहना है कि तत्काल जांच की आवश्यकता है साइबर सेल कर्मचारियों की भूमिका स्पष्ट की जाए, मानी में चल रहे अवैध जुआ पर कड़ी कार्रवाई की जाए,स्थानीय लोगों की मांग है की जांच टीम बने ग्रामीणों व सामाजिक लोगों ने मांग की है कि एक स्वतंत्र जांच टीम बनाई जाए, साइबर सेल और मानी क्षेत्र से संबंधित पुलिस स्टाफ की भूमिका की जांच हो, लगातार चल रहे जुआ फड़ को पूरी तरह बंद किया जाए।


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