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कोरिया@ गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व में भ्रष्टाचार का काला तालाब?

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  • गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यो का पर्याय बना राष्ट्रीय उद्यान
  • दीवार टूट गई और सच भी, भ्रष्टाचार पर तिरपाल डालकर वन विभाग समझ बैठा कि मामला दब जाएगा…
  • गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के तालाब की दीवार पर भ्रष्टाचार की तिरपाल
  • सोनहत पार्क परिक्षेत्र में 2 साल पूर्व बनाया गया तालाब 2 माह पहले फूटा,आनन-फानन में दीवार को पुनः मरम्मत करा कर तिरपाल से ढांका गया
  • सोनहत पार्क परिक्षेत्र के कही फूटे तालाब तो कही भारी बारिश के बाद भी बेहद कम पानी,क्या गर्मी में सुख जाएंगे तालाब?
  • क्या भ्रष्टाचार छुपाने तालाब की दीवार को प्लास्टिक से ढका गया?
  • कई शिकायतों के बाद भी कार्यवाही नही, क्या बड़े अधिकारियों का भी है संरक्षण?, गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में कब खत्म होंगी अनियमितताएं?

-राजन पाण्डेय-
कोरिया,11 नवंबर 2025 (घटती-घटना)
। गुरुघासीदास दास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में भ्रष्टाचार अब ढंका नहीं, खुला नंगा नाच बन चुका है,सोनहत पार्क परिक्षेत्र में दो वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से बनाया गया तालाब सिर्फ दो मौसम भी नहीं टिक सका और बारिश आते ही धड़ाम! तालाब की दीवार टूट गई,और फिर क्या किया गया?मरम्मत नहीं, भ्रष्टाचार की ‘लाज’ बचाने तिरपाल ओढ़ा दी गई! हाँ,तालाब को रेनकोट पहना दिया गया! ये वही तिरपाल है, जो अक्सर बरसाती में सब्जी वाला खरीदता है, उसी से सरकारी भ्रष्टाचार ढकने का प्रयास किया गया। यह भ्रष्टाचार की तिरपाल अब फटने वाली है और जब यह फटेगी चेहरे भी देखेंगे, नाम भी सामने आएंगे।बता दे की गुरुघासीदास दास राष्ट्रीय उद्यान में अनियमितताए खत्म होने का नाम ही नही ले रही हैं, एक के।बाद एक नए मामले उजागर होते जा रहे हैं बावजूद इसके अधिकारियों को कोई परवाह नही है, गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी कर्मचारियों को विभाग के छवि धूमिल होने की भी परवाह नही है। कुछ दिवस पूर्व जनकपुर क्षेत्र में सड़क निर्माण में भारी अनियमितता का मामला उजागर हुआ था अभी ताज़ा मामला सोनहत परिक्षेत्र से आया है जहां तालाब निर्माण में भारी भर्रा शाही की गई,और नतीजा यह हुआ कि तालाब फुट गया,हालांकि यह मामला लगभग 2 माह पुराना है लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसे अति गोपनीय रखा और तालाब के दूरस्थ क्षेत्र में होने के कारण विभाग के लोग आस्वस्त थे कि यहां कोई देखने नही आएगा,सूत्र बताते हैं कि जब तालाब फूटा तो प्रबंधन आनन फानन में मरम्मत में जुटा और जैसे तैसे मिट्टी पाट कर उसे मरम्मत किया गया,तालाब के निकासी पानी अर्थात ओवर फ्लो सिस्टम को इतना बढ़ा दिया गया कि अब कभी दुबारा उस बड़े तालाब में ज्यादा पानी स्टोर नही हो सकेगा।
कोरिया जन सहयोग समिति करेगी पार्क का घेरावःपुष्पेंद्र
कोरिया जन सहयोग समिति के अध्यक्ष पुष्पेंद्र राजवाड़े ने कहा कि पार्क परिक्षेत्र में व्याप्त अनियमितताओं के संबंध में पूर्व में कई गई शिकायतों पर जांच व कार्यवाही नही होने से क्षेत्र के लोगो मे भारी नाराजगी है, बहुत जल्द पार्क परिक्षेत्र कार्यालय का घेराव कर जांच एवं कार्यवाही की मांग किया जाएगा।
पार्क परिक्षेत्र में अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच होःजनार्दन गुप्ता
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेता जनार्दन गुप्ता ने कहा लंबे समय से हो रही शिकायतों पर जांच व कार्यवाही नहीं होना बेहद दुर्भाग्य जनक है, पार्क परिक्षेत्र के अनियमितताओं पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जाना प्रस्तावित है
जिले से लेकर मंत्री तक शिकायत और नतीजा?
चुप्पी,मौन,गोद में हाथ रखकर बैठी हुई प्रशासनिक ‘निर्मित’ बेहोशी, चाहे…स्टाफ डेम घोटाला हो,तालाब निर्माण या सड़क जिससे बारिश में मिट्टी बह जाए, शिकायतें खरीदी जाती हैं,जांचें दफन की जाती हैं, फाइलें सुन्नों की कब्र में दबा दी जाती हैं।
सवाल सिर्फ एक, क्या टाइगर रिजर्व भ्रष्टाचारियों का रिजर्व है?
जब तालाब तक नहीं बन पा रहे, तो पानी रखने की क्षमता क्या होगी? और फिर उसी पानी से टाइगर प्रोजेक्ट चलता है! टाइगर नहीं बचेंगे, जंगल नहीं बचेगा,और कारण सिर्फ एक, भ्रष्टाचार जंगल को खा रहा है।
अब कार्रवाई नहीं,संघर्ष होगा…
कोरिया जन सहयोग समिति ने घोषणा कर दी है पार्क परिक्षेत्र का घेराव होगा,गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने कहा उच्च स्तरीय जांच नहीं हुई,तो आंदोलन होगा, सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा अब भरोसा प्रशासन पर नहीं अब जवाब सड़क पर मांगेंगे।
यह तिरपाल मिट्टी नहीं,चोरों की मिली जुली समझौता-पत्र है
विभाग डर में है,भय में है। गलती उजागर होने के डर से तालाब की दीवार पर काला पर्दा चढ़ा दिया गया, काला पर्दा दीवार पर नहीं, वन विभाग की ईमानदारी पर पड़ा है।
और देखिए खेल…
तालाब फूटा,फिर मरम्मत,फिर तिरपाल,और अब ओवरफ्लो चैनल इतना छोटा कर दिया गया कि तालाब में पानी भर ही न सके,यानी तालाब रहे भी,तो खाली रहे,ताकि अगली बार टूटने का खतरा ही नहीं, यह कोई इंजीनियरिंग नहीं, घोटाले को स्थायी सुरक्षा देने की तकनीक है।
बिना इंजीनियर करोड़ों के काम,और फिर पूछते हैं भ्रष्टाचार कहाँ है!
यहाँ तालाब,बांध,सड़क,डेम —सब डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड के भरोसे, जिन्हें यह भी नहीं पता कि…दीवार ढलाई कितनी होनी चाहिए,पानी का दबाव कैसे सहा जाता है, सॉइल कंसोलिडेशन कैसे होता है। लेकिन टेंडर? कांट्रेक्टर? लाखों का भुगतान? सब सही! यानी ज्ञान ग़ायब,पैसा चालू।
पार्क परिक्षेत्र अधिकारी ‘अंगद का पैर’
जिधर अधिकारी बैठा, उधर की कुर्सी 5-6 साल से हिली नहीं, यह पोस्टिंग है या जायदाद? किसके आशीर्वाद से? किस सौदे के बदले? यह जनता पूछ रही है…और जवाब अभी तक जंगल के सन्नाटे में खो गया है।
ऐसे प्रबंधन से सरकार की छवि हो रही खराबःजयचन्द
सोनहत क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता जयचंद सोनपाकार ने आरोप लगाते हुए कहा की की राष्ट्र्रीय उद्यान में अवैघ रूप से गिटटी एवं रेत उत्खनन कर गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यो में प्रयुक्त किया जा रहा है। जो कि सीधे सीधे नियम विपरीत है कही तालाब टूट रहे हैं कही मिट्टी मुरुम सड़क बह जा रही है, बस कुछ नही हो रहा तो वह है जांच और कार्यवाही, जयचन्द ने कहा कि अब प्रशासन से जांच की उम्मीद नही बची है, ऐसे प्रबंधन के कारण शासन की छवि खराब हो रही है।


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