अम्बिकापुर,18 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। सेंट्रल जेल अंबिकापुर से हत्या के मामले में सजा काट रहे कैदी के फरार होने की घटना के बाद जेल प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। मामले की जांच पूरी होने के बाद जेल में पदस्थ चार प्रहरियों को गंभीर लापरवाही का दोषी पाते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। घटना के बाद जेल प्रशासन ने मामले की गहन जांच शुरू की थी। जांच अधिकारी की रिपोर्ट में यह सामने आया कि जेल सुरक्षा में गंभीर चूक हुई थी। इसी आधार पर केन्द्रीय जेल अंबिकापुर में पदस्थ जेल प्रहरी नीलेश केरकेट्टा,लोकेश टोप्पो, ललईराम और चंद्र प्रकाश को दोषी ठहराया गया। जेल अधीक्षक ने चारों को अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त करने की कार्रवाई की,जिसे जेल मुख्यालय ने भी मंजूरी दे दी है। बिलासपुर जिले के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत पिता हरिप्रसाद (41 वर्ष) हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। वह पहले बिलासपुर केंद्रीय जेल में बंद था,लेकिन वहां किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त पाए जाने पर वर्ष 2024 में उसे केन्द्रीय जेल अंबिकापुर स्थानांतरित कर दिया गया था। 4 अक्टूबर को कैदी को यूरिन संबंधित बीमारी की शिकायत पर जेल प्रशासन के निर्देश पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में भर्ती कराया गया था। उसे अस्पताल के जेल वार्ड में रखा गया था,जहां जिला पुलिस बल के जवान सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात थे। 6 अक्टूबर को ड्यूटी में तैनात आरक्षक आरोपी को शौचालय ले गया था। इसी दौरान कैदी ने पुलिसकर्मी को चकमा देकर फरार हो गया था। बाद में यह जानकारी मिली थी कि फरारी के बाद कैदी अपने गृह जिले बिलासपुर पहुंच गया था,जहां से आगे वह फरार हो गया था। इस घटना को लेकर कैदी मुकेश कांत की पत्नी अमरीका बाई कुर्रे ने अंबिकापुर जेल में पति को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था। उसका कहना है कि उसे जेल में मिलने वाली सुविधाएं नहीं दी जाती थी। उसका कहना है कि पति को बिलासपुर जेल में ही रखा जाए।
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