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कविता@ आप सब कैसे हैं?

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हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं
हम तो बहुत बदले,क्या आप जैसे के तैसे हैं
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं

किसी को चांदी लग गए हैं काले बालों में
किसी की झुर्रि दिख रही नाजुक गालों में
कुछ साथी तो दिखते हैं जैसे कि तैसे हैं
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं

कोई बन गया नाना तो कोई बन गई नानी
कुछ आंखे गम में नम कुछ में खुशी की पानी
सावन में बरसे बादल उमड़-2 के जैसे है
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं

संघर्ष से तपकर आप सब जीवन में आगे है
कर्मों की खेती से जुड़ते जीवन के धागे है
परिवर्तन के दौर में कुछ तो जैसे के तैसे हैं
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं

खरा सोना तपकर ही तो कुंदन बनता है
संघर्षों की कहानी जीवन की सफलता है
यह जीवन सदा लगता वलय के जैसे हैं
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं

कल तक जो बेटी थी आज किसी की मां है
कल तक जो बेटे थे आज किसी के पापा है
बीत गया तीस साल,लगता कल के जैसे है
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं

एक मंच मिला है फिर से साथ चलने का
अनुभव साझा कर मिलने और जुलने का
यह ग्रुप लगता मुझे हसीन ख्वाब के जैसे है
हमारे बैच के साथी बताओ आप सब कैसे हैं


प्रमेशदीप मानिकपुरी
आमाचानी धमतरी छ. ग.


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