नई दिल्ली,08 सितम्बर 2025 (ए)। भारत और इस्राइल ने सोमवार को नई दिल्ली में एक द्विपक्षीय निवेश समझौते (बीआईटी) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच निवेश को बढ़ावा देना और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है। इस्राइल के वित्त मंत्रालय के मुख्य अर्थशास्त्री शमुएल अब्रामजोन ने कहा कि यह समझौता निवेशकों के लिए स्पष्टता और स्थिरता लाएगा। उन्होंने कहा, पहले से ही दोनों देशों से निवेश हो रहे हैं और हम इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं। यही इस समझौते का मकसद है।
अब्रामजोन का मानना है कि यह समझौता भारत-इस्राइल मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का रास्ता भी साफ करेगा। उन्होंने कहा,मुझे भरोसा है कि यह समझौता एफटीए की दिशा में भी एक कदम है। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच इस विषय पर शुरुआती बातचीत चल रही है। इस समझौते पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके इस्राइली समकक्ष बेजालेल स्मोटरिच ने सोमवार को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए। हालांकि, अब्रामजोन ने कहा कि एफटीए के लागू होने की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है। उन्होंने आगे कहा,फिलहाल वैश्विक स्तर पर स्थिति ऐसी है,जहां भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ व्यस्त है और इस्राइल भी अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है। लेकिन जब ये प्राथमिकताएं थोड़ी स्पष्ट होंगी, तो मुझे विश्वास है कि हम भारत-इस्राइल एफटीए पर भी चर्चा का समय निकाल पाएंगे।
भारत पर अमेरिकी टैरिफ को लेकर कहा
भारत के कृषि क्षेत्र को अमेरिका के लिए खोलने के मुद्दे पर अब्रामजोन ने कहा, हर देश को अपने हितों का संतुलन बनाना होता है। भारत का कृषि क्षेत्र बहुत बड़ा है,इसलिए यह स्वाभाविक है कि वह अपने किसानों की सुरक्षा करना चाहता है। अमेरिका भी अपने किसानों के लिए बाजार खोलना चाहता है। यह पूरी तरह से हितों का संतुलन है। इस्राइली अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत के पास इस्राइल के बुनियादी ढांचे में निवेश के बड़े अवसर हैं।
