@कहानी @ एकता म बल

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अब का होही माँ! हमर जंगल के तरिया सुखागे। एसो तो सूरज देवता ह सउॅंहत आगी उगलत हे। नानकुन बरई, जेकर नाँव छम्मू रिहिस; वो ह अपन माँ संग गोठियावत जंगल म किंजरत रहै।
हव बेटी बड़ करलई हे। माई छेरी किहिस।
माँ! त फेर हमन प्यास म मर जाबो का? छम्मू अपन माँ ले सवाल ऊपर सवाल करत रहै।
अओ…! तँय काय काय गोठियाथस बेटी। काबर मरबो, जंगल म सिरिफ हमन दुनों झन भर हन का? दिगर मन घलो तो हें। माई छेरी हर बरई ल हिम्मत बँधाइस। जम्मोझन मिलके उदीम करबोन न भई !
माई छेरी छम्मू ल थोरिक तेज आवाज म किहिस।
थोरिक बेरा म डेरी बाखा कोती ले हनू हिरन अउ नीलू खरगोश दुनों खेलत खेलत छम्मू कर पहुँचिन।
ऐ छम्मू! तुमन कती जावत हव? हनू हर पूछिस।
येदे तरिया मन सुक्खा परगे त पानी बर कति जाना हे तेला, माँ अउ मँय सोचत हन। छम्मू के गोठ ल सुनके माई छेरी मुस्का दिस।
छम्मू नानकुन भले रिहिस, फेर ओकर बड़े बड़े गोठ-बात के आगू सब के पसीना छूटै।
सुन न छम्मू! नीलू किहिस।
हाँ, काय होगे नीलू बता? छम्मू के कहना होइस।
जंगल म आज बैठक रखे हे, सुने हँव। फेर बैठक म का होथे, तेला सोचत हँव।
होना का हे,सबझन एक जगह बइठथें, अउ अब्बड़ गोठ-बात करथें।
देखव तो तेंदू पेड़ के तीर बड़े जान पचरी दिखत हे, अउ कतका सुग्घर पानी हे। इहाँ ले चमकत हे। जानो मानो फिल्टर करे हे। चल न त तीर म जाबो। हनू किहिस। जइसे ही एक कदम अउ बढ़ाइस,देखथे कि शंकू सियार ह मूड़ नवाके पानी ल सपर सपर पियत हे।
रुको… रुको….। ये शंकू बपुरा ह प्यास मरत हे, पानी पियत हे, चलव धीर लगा के उल्टा पाँव इहाँ ले लहुँटना चाही, नइ ते हमन नइ बाँचबो। छम्मू अउ हनू, नीलू ल सचेत करत किहिस। साँस ह फूलत रहे तीनों झन के। ओमन ल ए घटना ल जंगल म बताना जरूरी लागिस।
नीलू तँय ज्यादा झन डर्रा। छम्मू किहिस।
काबर? तँय तो नानकून हस; शंकू के चटनी बरोबर।
वाह छम्मू ! मोर जीव ऊपर नीचे होवत हे, अउ तोला मजाक सूझत हे। तीनों झन हाँस डारिन। छम्मू ठट्ठा करत ऊँखर ध्यान ल भटकाइस अउ जंगल म पहुँचगें।
हॅंफरत हॅंफरत तीनों झन सूँड़ वाले हाथी बबा घर सीधा पहुँचगें,काबर कि उहाँ जम्मो झन सकलाए रिहिन। सबके-सब तीनों झन ल देखे लगिन।
अरे! काय होगे तुमन ल? बिल्लो बिलई पूछिस।
एक खुशखबरी हे,दूसर दुखखबरी हे। नीलू किहिस-त पहिली काला सुनाए जाय। कोनो खुशखबरी बर बोलैं त कोनो दुखखबरी बोलैं। कलल-कलल होय लगिस।
ओह..हो…! सबके-सब चुप रहौ। कौआ घलो अतका नइ नरियाय। सूँड़ वाले बबा किहिस।
कजरी कौआ गुर्रावत हाथी बबा ल देखिस। सबो घटना ल छम्मू बताइस। अब कइसे करे जाय। सब सोचे ल लगगें।
दूसर दिन मुँधरहा ले छम्मू, हनू, नीलू अउ बिल्लो बिलई उठके पचरी कोती जावत रीहिन। ओती बर ले छम्मू के दाई देख डारिस। पूछथे-तुमन कहाँ जावत हव?
छम्मू कहिथे-येदे! अब गारी खाय ले कोनो नइ बचा सकै। अब्बड़ प्यास लगत हे माँ त पचरी कोती जावत हन।
तुमन लइका लइका काबर जावत हव,रुको महूॅं जाहूँ। छम्मू के दाई समझावत रीहिस-देखव बेटी हो…! अपन आप ल कभू कमजोर झन समझहू,सब अपन आप म शक्तिशाली रहिथे। बिपत परे म अपन दिमाग के इस्तेमाल करना चाही। शेर हो या सियार, ओला घलो तुॅंहर ले डरे बर परही। हमन पाँच झन अउ शंकु एक झन,त बल पाँच म होना चाही। शंकु ल देख के भागना नइ हे, समझे? बल्कि एक हो के ओकर सामना करना हे। तभे तो जंगल म रहि पाबो। ये बात ल ध्यान लगा के सब सुनत रिहिन। गोठियात ले पचरी पहुँचगें। ओतका बेर तो शंकु नइ रीहिस त सबझन जल्दी जल्दी पानी पियीन।
खेलत, नहावत सब झन ल मजा आत रीहिस। भूलागें कि शंकु घलो कभू भी आ सकत हे। कोनो तेंदू पाना ल खावय, त कोनो डुबक डुबक के नहावय। बिल्लो बिलई रखवारी करत रहै।
पाछू ले कलेचुप शंकु आगे। जोर जोर से हँसे लगिस- हा….हा…अरे….का बात हे, आज तो दावत हे दावत! लार चुचवात किहिस-ताजा ताजा भोजन मिलही। बड़ दिन होगे, बने खाय ल मिले नइ हे। छम्मू बीच म रीहिस त फँसगे। बाकी मन निकलगे। सब के जीव धुकधुकी हमागे। शंकु धीरे धीरे छम्मू तीर आवय त छम्मू अउ दहरा म जावय। छम्मू ल आज तो कोनो नइ बचा पावय। मँय डरॅंव नहीं, दम हे त मोर तीर म आ के बता। छम्मू किहिस।
मोला चुनौती देवत हस? माथा गरम होगे शंकु के-तुमन ल बाद म खाहूँ आज तो छम्मू ल पहली खतम करहूँ।
छम्मू, हनू अउ नीलू ल इशारा करके शंकु के पाछू आये ल किहिस। छम्मू के दाई घलो गिस। हनू छम्मू के उपाय ल जान डारिस, नीलू ल किहिस-डर्रा झन, कुछ नइ होय। जइसे ही शंकु छम्मू मेर पहुँचिस; सब मिलके शंकु ल दबोच दिन दहरा म। उबुक–चुबुक होगे शंकु हर। हमन ल नान नान झन समझ। एकता म कतका ताकत हे तेला देख। बोल बोल के सब झन शंकु के नानी याद दिला दिन। शंकु बचाव–बचाव कर के चिल्लावत रहिगे अउ डूबगे। जम्मो झन बाहर निकलगें। माँ ह सबझन ल पोटार लिस। जंगल के बाकि सदस्य मन ह मनोबल ल देख के खुशी ले झूमे ल लगगें।
प्रिया देवांगन प्रियू
राजिम गरियाबंद छत्तीसगढ़


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