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रायपुर/धमतरी@धमतरी-रुद्री थाना कांड : क्या सच में ‘एसीबी अधिकारी’ बनकर लूट या फिर कहानी कुछ और…और बड़ा राज छिपा हुआ है?

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  • एसीबी की वर्दी या कहानी का पर्दा? धमतरी कांड की परतें खुलने लगीं,अपने ही गांव में पहचान छिपाकर लूट? रुद्री केस में बड़ा सवाल
  • घर में 8 मोबाइल…किस काम के? एफआईआर से बड़ा है प्रार्थी का राज ‘
  • सीसीटीवी का आधा फुटेज गायब…लूट की कहानी या कहानी की लूट?
  • भाजयुमो अध्यक्ष से बजरंग दल कार्यकर्ता तक…क्या किसी बड़े विवाद का परिणाम है यह एफआईआर?
  • एसीबी अधिकारी बनकर लूट? तीनों आरोपी प्रदेशभर में पहचाने जाते हैं कहानी मेल नहीं खाती…
  • धमतरी की एफआईआर में छिपा दूसरा अध्याय…क्या यह सिर्फ लूट नहीं?
  • पहचान छिपाने का दावा, पर आरोपी इलाके के ही! एफआईआर की स्कि्रप्ट पर उठे सवाल…
  • एसीबी बनकर लूट या लूट बनाकर एसीबी? रुद्री कांड की असली दिशा कुछ और बताती है…

विशेष रिपोर्ट
रायपुर/धमतरी,03 दिसम्बर 2025 (घटती-घटना)। धमतरी जिले के रुद्री थाना क्षेत्र में दर्ज एक कथित ‘एसीबी अधिकारी बनकर लूट’ की घटना ने अब कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं,शिकायत में दावा किया गया कि तीन लोग खुद को एंटी-करप्शन ब्यूरो अधिकारी बताकर घर में घुसे,8 मोबाइल और एक लैपटॉप उठाकर चले गए और कार्रवाई की धमकी देकर रायपुर बुलाया,लेकिन क्या यह कहानी उतनी सरल है जितनी बताई गई? दैनिक घटती-घटना की विशेष जांच में कई बड़े विरोधाभास उभरकर सामने आए हैं, जो पूरे मामले को संदिग्ध बनाते हैं और यह सवाल खड़े करते हैं कि क्या वाकई लूट हुई या किसी बड़े विवाद/लेन-देन को ‘एसीबी लूट’ की कहानी बनाकर पेश किया गया? बता दे की छत्तीसगढ़ की राजधानी से महज कुछ दूरी पर स्थित धमतरी जिला और जिले का रुद्री पुलिस थाना आजकल सुर्खियों में है सुर्खियों की वजह है एक अपराध थाना क्षेत्र में घटित होना जो पहचान छिपाकर लुट के प्रयास का अपराध है और जिसमे शामिल(दर्ज अपराध अनुसार) तीन युवक खुद को एसीबी अधिकारी बताकर घर में दाखिल हुए और उन्होंने घर से मोबाइल 8 नग और लैपटॉप उठाया और चलते बने,शिकायतकर्ता के अनुसार तीनों युवकों ने एसीबी अधिकारी खुद को बताया और कार्यवाही की धमकी देकर मोबाइल लैपटॉप लुटा और बीच का रास्ता निकालने रायपुर बुलाया और चले गए,सीसीटीवी से पहचान हुई और शिकायत दर्ज की गई,यह एक कहानी है जो अपराध दर्ज होने का आधार है,वैसे इस कहानी के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं,पहला सवाल यह की कोई व्यक्ति जो प्रसिद्ध हो और जिसकी पहचान पूरे प्रदेश में हो वह अपने ही घर गांव में किसी के घर जाकर क्या खुद की अलग पहचान बताएगा,क्या उसे यह भय नहीं होगा कि जिन्हें वह खुद को एसीबी अधिकारी के रूप में परिचय दे रहा है वह उसे तत्काल पहचान लेंगे और वह पकड़ा जाएगा,शिकायत में शामिल एक नाम जिस व्यक्ति का है वह बजरंग दल का बड़ा नेता है और वह घटना वाले जिले ग्राम से बिल्कुल निकट का निवासी है जहां उसकी पहचान सभी के बीच जाहिर है,कहानी जो शिकायत बनी और अपराध दर्ज हुआ और दो युवक गिरफ्तार हुए एक अन्य फरार घोषित किया गया जिसकी तलाश जारी है,वैसे पुलिस का काम कानून व्यवस्था स्थापित करना है,लोगों से साथ घटित अपराध पर तत्काल संज्ञान लेकर कार्यवाही करना है,और अपराध घटित न हो यह प्रयास करना है,शिकायतकर्ता ने शिकायत की और पुलिस ने अपराध दर्ज किया और गिरफ्तारी भी की।
पहला बड़ा सवालः क्या कोई अपने ही गांव क्षेत्र में एसीबी अधिकारी बनकर लूट करेगा?
शिकायत में दर्ज तीन नामों में से एक आरोपीः उसी इलाके का निवासी,बजरंग दल का जाना-पहचाना कार्यकर्ता,जिला व प्रदेश स्तर तक पहचान वाला व्यक्ति,अब सवाल यह है जो व्यक्ति इलाके में जाना-पहचाना है,वह अपने ही गांव के लोगों को कैसे यह विश्वास दिला देगा कि वह ‘एसीबी अधिकारी’ है? क्या उसे यह डर नहीं होगा कि लोग तुरंत पहचान लेंगे? क्या यह संभव है कि गांव के ही आसपास जाकर वह अपनी पहचान छिपा ले? यह बिंदु ही पूरे मामले की जड़ हिला देता है।
दूसरा बड़ा सवालः भाजयुमो कोरिया जिलाध्यक्ष सहित तीन नाम…क्या सियासी साजि़श या गलत कहानी?
दर्ज अपराध में शामिल एक नाम कोरिया भाजयुमो जिले के अध्यक्ष का है,इससे बड़ा सवाल उठता है क्या तीनों युवा सच में ‘एसीबी बनकर’ गए थे या यह किसी दूसरे विवाद/लेन-देन का मामला है जिसे अब ‘लूट’ की कहानी में बदल दिया गया? धमतरी व कोरिया दोनों जिलों में भाजपा व हिंदू संगठनों के भीतर अब इस घटना को लेकर भारी सरगर्मी है।
तीसरा बड़ा सवालः प्रार्थी के घर में 8 मोबाइल फोन…क्यों?
शिकायतकर्ता ने पुलिस में प्रस्तुत शिकायत में यह आरोप लगाया है कि उसके घर से लैपटॉप और 8 नग मोबाइल तीनों युवक एसीबी अधिकारी बनकर ले गए,आरोप अनुसार पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की और जब्ती की भी बातें सामने आईं,अब इसके इतर सवाल यह है कि एक व्यक्ति के घर पर 8 मोबाइल किस उपयोग के लिए उपलब्ध था,सामान्यतः एक घर में दो से चार मोबाइल मिलना अचरज का विषय नहीं होता वहीं प्रार्थी खुद बाहर था तो 8 मोबाइल कौन उपयोग कर रहा था और किस लिए किस काम में मोबाइल का उपयोग हो रहा था,क्या पुलिस जांच में इन बिंदुओं को शामिल किया गया है,क्या बात कुछ और और कहानी कुछ और है। सबसे बड़ा और संदेहपूर्ण तथ्य एक घर में 8 मोबाइल क्यों? प्रार्थी घटना के समय घर पर नहीं था, घर में मौजूद कौन लोग 8 मोबाइल का उपयोग कर रहे थे? क्या कोई अवैध ऑनलाइन ट्रेडिंग? क्या कोई मल्टी-डिवाइस ऑपरेशन? क्या यह किसी और गतिविधि का ‘कवर-अप’ था? 8 मोबाइल सामान्य घरेलू संख्या नहीं है, इसलिए यह बिंदु जांच का केंद्र होना चाहिए था पर पुलिस ने इस दिशा में कोई गहन पड़ताल नहीं की।
चौथा बड़ा सवालः सीसीटीवी फुटेज में घर में प्रवेश तो दिखा…मगर बाहर निकलते समय का फुटेज कहां गायब?
शिकायत में कहा गया कि तीन लोग घर में दाखिल हुए और 8 मोबाइल व लैपटॉप उठाकर ले गए,घर में प्रवेश का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है, लेकिन सवाल यह है जब अंदर जाते हुए फुटेज है,तो बाहर निकलते समय का फुटेज क्यों नहीं? घर का वही कैमरा उन्हें दोबारा रिकॉर्ड करता, फिर फुटेज कहां है? किसने हटाया? क्या पुलिस ने यह फुटेज मांगा? क्या यह फुटेज ही असली कहानी का खुलासा कर सकता था?
पांचवा बड़ा सवालः पुलिस की जल्दबाज़ी इतना बड़ा मामला प्रथमदृष्टया जांच का था,सीधी गिरफ्तारी का नहीं
रुद्री पुलिस ने बिना विस्तृत जांच किएः एफआईआर दर्ज की,दो को गिरफ्तार किया, एक को फरार घोषित किया मगर क्या यह मामला टैक्निकल जांच,डिजिटल सबूत, कॉल डिटेल, डिवाइस फोरेंसिक के बिना दर्ज होना चाहिए था? यह सीधे गिरफ्तारी वाला मामला नहीं बल्कि डीप इन्वेस्टिगेशन का केस था।
छठवा बड़ा सवालः प्रार्थी ने पहचान क्यों नहीं की क्या यह संभव है?
तीन में से दो लोग प्रदेश स्तर पर पहचाने जाते हैं,एक भाजपा युवा मोर्चा कोरिया जिलाध्यक्ष,दूसरा बजरंग दल का धमतरी का बड़ा कार्यकर्ता इनकी पहचान इतनी प्रसिद्ध है कि किसी भी गांव में छिपाई नहीं जा सकती,फिर प्रार्थी ने कैसे विश्वास कर लिया कि वे ‘एसीबी अधिकारी’ हैं? क्या प्रार्थी ने जानबूझकर पहचान नहीं की? या क्या यह पूरा प्रकरण किसी पूर्व विवाद का परिणाम है? यह जांच का प्रमुख बिंदु है।
भाजयुमो कोरिया अध्यक्ष के पद पर लगातार ‘ग्रहण’ दो अध्यक्ष,दो अपराध
पूर्व अध्यक्ष अंचल राजवाड़े आदिवासी के साथ ठगी के मामले में बर्खास्त, वर्तमान अध्यक्ष हितेष प्रताप सिंह अब धमतरी लूट मामले में आरोपी,दोनों ही पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष की पसंद थे अब कोरिया भाजपा में चर्चा तेज है कि जिला भाजयुमो अध्यक्ष का पद ही क्यों लगातार विवादों में आ रहा है? पार्टी पर दबाव है कि वर्तमान अध्यक्ष को भी पूर्व अध्यक्ष की तरह हटाया जाए,भाजयुमो कोरिया जिला अध्यक्ष रहते हुए पूर्व अध्यक्ष अंचल राजवाड़े पर मामला दर्ज हुआ था उन्हें पार्टी की छवि बचाने निष्कासित किया गया था और तभी से आजतक वह पार्टी में पद के लिए प्रयासरत हैं जो उनकी छवि के कारण प्रदान नहीं की जा रही है वहीं अब वर्तमान पर मामला दर्ज हुआ है और अब देखना है कि क्या भाजपा जिलाध्यक्ष पार्टी छवि बचाने के लिए हितेश प्रताप सिंह को पार्टी और पद से निष्कसित करते हैं।
एसीबी लूट की कहानी में कई बड़े छेद,मामला कुछ और लगता है…
जांच के सामने आए तथ्यों से यह साफ है कि एसीबी अधिकारी बनकर लूट की कहानी संदिग्ध है,प्रार्थी के घर में 8 मोबाइल अपने आप में गंभीर प्रश्न है, सीसीटीवी का आधा फुटेज गायब है,आरोपी प्रसिद्ध लोग थे,पहचान छिपाना असंभव, राजनीतिक दबाव और आपसी विवाद की आशंका,पुलिस ने पर्याप्त जांच से पहले ही गिरफ्तारी की यह मामला सिर्फ एसीबी बनकर लूट नहीं कहीं बड़ा विवाद,विवादित लेन-देन या छुपी सच्चाई का संकेत दे रहा है,अब यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि मोबाइलों की फोरेंसिक जांच, प्रार्थी की कॉल डिटेल,सीसीटीवी के गायब फुटेज, तीनों युवकों और प्रार्थी के बीच पुराने संबंध,संभावित आर्थिक विवाद की विस्तृत जांच करे।
दैनिक घटती-घटना का संपादकीय डिस्क्लेमर….जांच-आधारित नोट
दैनिक घटती-घटना ने इस पूरे प्रकरण को उपलब्ध तथ्यों,सामने आए विरोधाभासों,उठते सवालों और संभावनाओं के आधार पर तैयार किया है,पुलिस जांच पूरी होने तक घटनाक्रम के हर पहलू पर हमारी निगरानी बनी हुई है।


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