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रायपुर@कलेक्टर गाइडलाइन दरों में 100 फीसदी से 800 फीसदी तक वृद्धि

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सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा…जनविरोधी फैसला तुरंत स्थगित हो,पुरानी दरें बहाल हों…

रायपुर, 03 दिसंबर 2025 (घटती-घटना)। प्रदेश में जमीन खरीदी-बिक्री के लिए कलेक्टर गाइडलाइन दरों में अचानक 100 फीसदी से लेकर 800 फीसदी तक की भारी वृद्धि के बाद किसान, छोटे व्यापारियों,मध्यम वर्ग और आम नागरिकों में भारी आक्रोश फैल गया है, बिना जन-सुनवाई,बिना वास्तविक मूल्यांकन और बिना सार्वजनिक चर्चा के लागू की गई गाइडलाइन वृद्धि को लेकर रायपुर सांसद एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को कड़ा पत्र लिखकर जनभावनाओं से अवगत कराया है,सांसद अग्रवाल ने कहा है कि यह वृद्धि किसानों को कर्ज में धकेलने वाला,छोटे व्यवसायियों को तोड़ने वाला और आम जनता पर बोझ बढ़ाने वाला कदम है, उन्होंने इस फैसले को ‘अनुचित, अप्राकृतिक और अव्यावहारिक’ बताते हुए मुख्यमंत्री से इसे तुरंत स्थगित कर पुरानी दरें बहाल करने की मांग की है।
जनता से बिना पूछे जनता पर बोझ…क्या यही नया शासन मॉडल? छत्तीसगढ़ में कलेक्टर गाइडलाइन दरों में 100 प्रतिशत से 800 प्रतिशत तक की अकल्पनीय वृद्धि ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार जनता को आर्थिक भागीदार मानती है…या सिर्फ राजस्व का साधन? दुखद यह नहीं कि दरें बढ़ीं, दुखद यह है कि यह निर्णय बिना किसी सार्वजनिक चर्चा,बिना जनसुनवाई,बिना विशेषज्ञ मूल्यांकन और बिना जमीन के वास्तविक बाजार मूल्य को देखे लागू कर दिया गया,जिस प्रदेश की अर्थव्यवस्था ग्रामीण खून-पसीने से चलती है,वहां किसान और छोटे व्यवसायी पहले से ही संकटों से जूझ रहे हैं,और अब जमीन खरीदी-बिक्री पर ऐसा प्रहार। यह केवल आर्थिक फैसला नहीं,बल्कि एक सामाजिक झटका है,सरकारें आर्थिक सुधार करती हैं, पर सुधार का पहला सिद्धांत है जनभागीदारी,यहाँ न भागीदारी दिखती है, न संवेदना, गाइडलाइन में 800 प्रतिशत वृद्धि, किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में ‘वृद्धि’ नहीं, आर्थिक तानाशाही मानी जाती है, सांसद बृजमोहन अग्रवाल का पत्र इसी जनचिंता का प्रतिबिंब है,अगर सत्ता पक्ष का एक वरिष्ठ नेता भी इस फैसले को अनुचित, अव्यावहारिक और जनविरोधी कह रहा है तो सवाल और गहरा हो जाता है, क्या निर्णय पहले लिया गया और सलाह बाद में ली जा रही है? नवा रायपुर और ग्रामीण इलाकों में यह वृद्धि बिल्कुल असंतुलित दिखाई देती है, किसान जमीन नहीं बेच पाएंगे,व्यापारी खरीद नहीं पाएंगे, और मध्यम वर्ग के लिए घर का सपना और दूर हो जाएगा, एक लोकतांत्रिक सरकार की सबसे बड़ी परीक्षा यही है कि वह जनता की सुनती है या नहीं, अगर बढ़ी दरें वापस ली जाती हैं तो सरकार की संवेदना सिद्ध होगी, अगर नहीं ली जातीं तो यह संदेश स्पष्ट जाएगा कि जनता की जेब शासन की प्राथमिकता नहीं, बल्कि आवश्यकता बन चुकी है, निर्णय अभी सरकार के हाथ में है पर भरोसा जनता के हाथ से फिसल रहा है।
क्या यही जनजीवन हितैषी शासन है?…सांसद का सवाल
पत्र में सांसद अग्रवाल ने कई गंभीर सवाल उठाए क्या यही ‘जनजीवन केंद्रित शासन’ है? क्या यही व्यापार करने में आसानी है, जब गाइडलाइन दरें ही कारोबार रोक दें? क्या सरकार चाहती है कि किसान और व्यापारी जमीन खरीदने-बेचने से ही डर जाएं? क्या नई दरें रोजगार, उद्योग और निवेश को खत्म कर देंगी? उन्होंने स्पष्ट कहा कि नई गाइडलाइन ने जमीन बाजार को झटका दिया है, ग्रामीण क्षेत्र से लेकर नया रायपुर तक हजारों लोग प्रभावित हुए हैं।
ग्राम लमारू का उदाहरणः 0.405 हेक्टेयर जमीन का मूल्य 5.17 लाख से बढ़कर 12.79 लाख
उनके अनुसार कई गांवों में गाइडलाइन दरें अतार्किक तरीके से कई गुना बढ़ा दी गई हैं उदाहरणः ग्राम लमारू (रायपुर) पुरानी गाइडलाइनः 5.17 लाख नई गाइडलाइनः 12.79 लाख वृद्धिः लगभग 150 फीसदी से भी ज्यादा, नवा रायपुर क्षेत्र के कई गांवों में 400-800 फीसदी तक वृद्धि दर्ज अग्रवाल ने इसे न तो तर्कसंगत और न ही आर्थिक न्याय की दृष्टि से स्वीकार्य बताया।
बिना जनपरामर्श,बिना मूल्यांकन और बिना तर्क यह फैसला किसान विरोधी
सांसद का कहना है कि जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य नहीं देखा गया,न ग्रामीण क्षेत्र का अलग मूल्यांकन,न नगर क्षेत्र की अलग जरूरतें, न किसान,न व्यापारी और न आम नागरिक से राय,राज्य के हजारों परिवार प्रभावित उन्होंने चेताया कि इतनी भारी वृद्धि से कृषि भूमि का लेन-देन ठप पड़ जाएगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था टूटेगी और जमीन खरीद-बिक्री का प्राकृतिक प्रवाह रुक जाएगा।
मुख्यमंत्री को निवेदन
जनता के हित में तुरंत पुरानी दरें बहाल करें

अग्रवाल ने मुख्यमंत्री साय से आग्रह किया कि कलेक्टर गाइडलाइन की वृद्धि तुरंत स्थगित की जाए, मूल्य निर्धारण हेतु विशेषज्ञ समिति बनाई जाए, वास्तविक बाजार मूल्य और जनता की आर्थिक क्षमता के अनुसार नई दरें दोबारा तय की जाएं, नवा रायपुर जैसे हल्के बसाहट वाले क्षेत्रों को ‘नगरिया’ घोषित कर शहर जैसी दरें लागू करना अन्याय है, इसे तुरंत सुधारा जाए, उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि मुख्यमंत्री जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इस जन-विरोधी वृद्धि को वापस लेने के निर्देश देंगे। अंत में सांसद का बड़ा बयान यह फैसला जनता पर बोझ डालने वाला है, मुख्यमंत्री जी निश्चित ही जनहित में सोचेंगे और गलत फैसले को सुधारेंगे।


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